सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर करते हुए कुछ लोग कह रहे हैं कि लखनऊ में एक मुस्लिम ई-रिक्शा चालक को पुलिस ने इतना पीटा कि उसकी मौत हो गई. वीडियो में कुछ पुलिसवाले एक बेसुध आदमी को कंधे पर लादकर ले जा रहे हैं. आसपास काफी भीड़ भी नजर आ रही है.
वीडियो को शेयर करते हुए कुछ लोग लिख रहे हैं, “भारत में मुसलमान होना गुनाह है? लखनऊ में अभी निशातगंज चौराहे के पास रोज़गार मुस्लिम ई रिक्शा चालक को पुलिस के द्वारा मारा गया है जिससे तुरंत सड़क पर ही उसकी मौत हो गयी”.
इस कैप्शन के साथ वीडियो को फेसबुक और एक्स पर सैकड़ों लोग शेयर कर चुके हैं. ऐसे ही एक पोस्ट का आर्काइव्ड वर्जन यहां देखा जा सकता है.
आजतक फैक्ट चेक ने पाया कि लखनऊ में अतिक्रमण हटाने के दौरान नूर मोहम्मद नाम का एक ई-रिक्शा चालक पुलिस की पिटाई से बेहोश हो गया था लेकिन उसकी मौत नहीं हुई थी.
कैसे पता की सच्चाई?
वायरल पोस्ट में इसे लखनऊ के निशातगंज चौराहे की घटना बताया गया है. कीवर्ड्स की मदद से सर्च करने पर हमें “द फ्री प्रेस जर्नल” की 8 मार्च की एक खबर मिली. इसमें वायरल वीडियो के साथ बताया गया है कि निशातगंज चौराहे पर ट्रैफिक जाम होने के कारण पुलिस, ई रिक्शा वालों को भगा रही थीं. इस दौरान पुलिस की नूर नाम के एक ई रिक्शा चालाक से कहा सुनी हो गई. पुलिस ने नूर को पीट दिया जिससे वो बेहोश हो गया.
उसके साथी चालक नाराज हो गए और उन्होंने पुलिस कार्रवाई का विरोध करना शुरू कर दिया. नूर को बाद में अस्पताल में भर्ती कराया गया. पुलिस ने इस मामले पर कहा कि नूर ने रोजा रखा था और उसे अंगूठे में मामूली चोट आई थी.
इस मामले से संबंधित दैनिक भास्कर और नवभारत टाइम्स ने भी खबरें छापी हैं. किसी भी खबर में नूर की मौत होने का जिक्र नहीं किया गया है. लखनऊ पुलिस ने भी एक्स पर बताया है कि ई-रिक्शा चालाक को मामूली चोटें आई थीं. उसकी मौत का दावा अफवाह है. इस अफवाह को फैलाने वालों कि खिलाफ कार्रवाई की गई है.
खबरों में ये भी बताया गया है कि समाजवादी पार्टी के कुछ नेता नूर मोहम्मद से मिले थे और उन्होंने उसकी आर्थिक मदद की थी. इसके अलावा, ई-रिक्शा चालक की पिटाई करने के आरोप में सिपाही जगपाल को लाइन हाजिर कर दिया गया था.