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फैक्ट चेक: मराठा आरक्षण की लड़ाई लड़ रहे मनोज जरांगे की मौत का फर्जी दावा हुआ वायरल

आजतक फैक्ट चेक ने पाया कि मनोज जरांगे की मौत का दावा झूठ है. वो सही सलामत हैं.

आजतक फैक्ट चेक

दावा
महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण की मांग कर रहे मनोज जरांगे का निधन हो गया है.
सच्चाई
मनोज जरांगे सही सलामत है. उनकी मौत का दावा झूठा है.
अर्जुन डियोडिया
  • नई दिल्ली ,
  • 04 जुलाई 2024,
  • अपडेटेड 2:33 PM IST

मराठा आरक्षण की मांग कर रहे समाजसेवी मनोज जरांगे के बारे में इंस्टाग्राम पर दावा किया जा रहा है कि उनका निधन हो गया है. वायरल हो रहे पोस्ट में आजतक की एंकर अंजना ओम कश्यप की एक तस्वीर है. साथ में मनोज जरंगे की फोटो भी है जिसपर माला चढ़ी हुई है. पोस्ट में शव यात्रा की एक तस्वीर भी है.

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पोस्ट के कैप्शन में मनोज जरांगे को श्रद्धांजलि दी गई है. वायरल पोस्ट का आर्काइव्ड वर्जन यहां देखा जा सकता है. 

आजतक फैक्ट चेक ने पाया कि मनोज जरांगे की मौत का दावा झूठ है. वो सही सलामत हैं.

कीवर्ड की मदद से सर्च करने पर हमें न्यूज वेबसाइट ‘नवभारत लाइव’ की 18 जून 2024 की खबर मिली. मनोज जरांगे की मौत की झूठी खबर 'न्यूज विद कोमल' नाम के एक यूट्यूब चैनल ने फैलाई थी. वायरल इंस्टाग्राम पोस्ट में जो स्क्रीनशॉट है वो भी इसी चैनल का है.

जैसे ही ये अफवाह फैली थी जरांगे के परिजनों ने इसका खंडन कर दिया था. झूठी खबर फैलाने वाले के खिलाफ पुलिस में शिकायत भी दर्ज कराई गई थी.

इससे पहले जरांगे मराठा आरक्षण को लेकर भूख हड़ताल पर बैठे थे. छह दिन बाद 13 जून को उन्होंने इसे स्थगित कर दिया था. उनका इलाज एक निजी अस्पताल में चल रहा था. इस बारे में हमारी बात जरांगे के करीबी और आंदोलन में उनके साथी पांडुरंग तारक से हुई. उन्होंने भी हमें यही बताया कि जरांगे ठीक हैं. उनकी मौत की खबर झूठी है. 

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'न्यूज विद कोमल' यूट्यूब चैनल एक वीडियो के थंबनेल की वजह से यह फर्जी खबर फैली थी. इसी थंबनेल का स्क्रीनशॉट वायरल हो रहा है. पोस्ट में जो शव यात्रा की तस्वीर है वो 2018 में कुपवाड़ा में शहीद हुए पुलिस कांस्टेबल दीपक ठुस्सू की है. 

महाराष्ट्र में मराठा समुदाय के लोग काफी लंबे समय से आर्थिक स्थिति के आधार पर आरक्षण की मांग कर रहे हैं. खबरों के अनुसार, मराठा आरक्षण का पहला बड़ा आंदोलन 1982 में हुआ था. इसके बाद से कई बार महाराष्ट्र में यह आंदोलन हो चुका है. इस बार के आंदोलन के केंद्र में मनोज जरांगे हैं. अपनी मांगों को लेकर वे कई बार भूख हड़ताल पर बैठ चुके हैं. 

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