दिल्ली के मुंडका इलाके की जिस इमारत में आग लगने से 25 से भी ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है, उसके मालिक को अब गिरफ्तार कर लिया गया है.
13 मई को यानी जिस दिन ये घटना हुई थी, उस दिन दयानंद तिवारी नाम के एक क्रेन ऑपरेटर ने अपने एक साथी के साथ मिलकर 50 से भी ज्यादा लोगों की जान बचाई थी.
अब सोशल मीडिया पर कुछ लोग ऐसा कह रहे हैं कि दयानंद के हिंदू होने की वजह से उनके इस योगदान को नजरअंदाज किया जा रहा है. ये भी आरोप है कि दयानंद के बारे में न तो मीडिया में खबरें छपीं और न ही पत्रकारों ने उनकी तारीफ में कसीदे पढ़े. वहीं अगर वो (दयानंद), मुसलमान होता तो अब तक देशका हीरो बन चुका होता.मिसाल के तौर पर, एक फेसबुक यूजर ने इस बाबत लिखा,“दयानन्द तिवारी जो खुद एक गरीब परिवार से आते हैं उन्होंने डीजल या अपनी चिंता ना करके हुए 50 से ज्यादा लोगों को उस जलती इमारत से निकाला. आप कल्पना करिए यदि दयानंद तिवारी की जगह कोई अब्दुल या कोई रहमान होता उनका कितना गुणगान इस देश की मीडिया और सेक्युलर पत्रकारों द्वारा किया जाता.”
कई वेरिफाइड ट्विटर यूजर्स ने भी दयानंद तिवारी को लेकर मीडिया में कोई चर्चा न होने की बात कही.
ऐसी ही एक पोस्ट का आर्काइव्ड वर्जन यहां देखा जा सकता है.
इंडिया टुडे के एंटी फेक न्यूज वॉर रूम (AFWA) ने पाया कि दिल्ली के हालिया मुंडका अग्निकांड में कई लोगों की जान बचाने वाले क्रेन ऑपरेटर दयानंद तिवारी की बहादुरी और जज्बे को लेकर ज्यादातर मीडिया वेबसाइट्स में खबर छपी थी. कई पत्रकारों ने भी सोशल मीडिया पर उनकी तारीफ की थी.
नेकी कर खबरों में छा गए
दयानंद तिवारी और उनके साथी अनिल तिवारी, मुंडका उद्योग नगर से आ रहे थे जब उन्होंने रास्ते में जलती हुई चार मंजिला इमारत देखी. दोनों ने क्रेन की मदद से इमारत में फंसे तकरीबन 50 से ज्यादा लोगों को बचाया, जिनमें ज्यादातर महिलाएं थीं. हालांकि बाद में आग बढ़ जाने के कारण वे और लोगों को नहीं बचा पाए.
दयानंद और अनिल की इस बहादुरी के बारे में ‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’, ‘एनडीटीवी’, ‘द स्टेट्समैन’ , ‘इंडिया टीवी न्यूज’, ‘ईटीवी भारत’ , ‘लाइव हिन्दुस्तान’, ‘टाइम्सनाऊ हिंदी’, ‘द प्रिंट’ ‘मनी कंट्रोल’ और ‘द क्विंट’ जैसी कई न्यूज वेबसाइट्स में खबरें छपी थीं.
इसके अलावा, वेरिफाइड हैंडल वाले कई पत्रकारोंऔर अन्य हस्तियों ने भी ट्विटर के जरिये दयानंद तिवारी की बहादुरी की सराहना की थी और उन्हें हीरो बताया था.
अलग-अलग विशेषणों से नवाजा गया
दयानंद तिवारी और अनिल तिवारी को उनकी बहादुरी भरे कारनामे के बाद किसी ने ‘सेवियर’ कहा, किसी ने जांबाज तो किसी ने उन्हें भगवान का ही दर्जा दे दिया. ‘न्यूज 18’ ने उनका एक्सक्लूसिव इंटरव्यू लिया जिसे नीचे देखा जा सकता है.
इसमें कोई शक नहीं है कि मुंडका अग्निकांड मामले में दयानंद तिवारी और उनके साथी ने जिस तरह दिलेरी के साथ लोगों की जान बचाई, वो उन्हें एक हीरो का दर्जा देती है. लेकिन ये कहना गलत है कि इन दोनों के हिंदू होने की वजह से मीडिया ने इनके योगदान को दबा दिया.