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फैक्ट चेक: बेटे की बेरुखी से दुखी होकर सुसाइड करने वाले लखनऊ के रिटायर्ड कर्नल की ये कहानी मनगढ़ंत है

इंडिया टुडे की फैक्ट चेक टीम ने पाया कि एक ही चिता पर लिटाए गए मृत बुजुर्ग दंपति की ये फोटो मध्य प्रदेश के मुरैना जिले की है. इनकी मृत्यु साल 2018 में हुई थी, न कि हाल-फिलहाल में. दंपति के परिवार ने खुद ‘आजतक’ से बातचीत में इस बात की पुष्टि की है.

आजतक फैक्ट चेक

दावा
ये फोटो लखनऊ के एक रिटायर्ड कर्नल की है जिसने दुखी होकर खुद को गोली मार ली. इसका कारण ये था कि उनका विदेश में रहने वाला बेटा अपनी मां के अंतिम दर्शन के लिए भी भारत नहीं आया था.
सच्चाई
ये मुरैना, मध्य प्रदेश की साल 2018 की फोटो है जब किसान छोटेलाल शर्मा और उनकी पत्नी गंगादेवी- दोनों की एक ही दिन मृत्यु हो गई थी.
ज्योति द्विवेदी
  • नई दिल्ली,
  • 13 सितंबर 2022,
  • अपडेटेड 7:23 PM IST

कथित तौर पर खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर लेने वाले लखनऊ के एक रिटायर्ड कर्नल की कहानी इन दिनों सोशल मीडिया पर काफी शेयर की जा रही है. ऐसा कहा जा रहा है कि कर्नल रह चुके बुजुर्ग ने इस बात से आहत होकर अपनी जान ले ली कि उसके विदेश में रहने वाले बेटे ने अपनी मां के अंतिम दर्शन के लिए भी भारत आना जरूरी नहीं समझा.

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ऐसा कहते हुए लोग एक ही चिता पर रखे गए बुजुर्ग दंपति के शवों की फोटो शेयर कर रहे हैं.

मिसाल के तौर पर, एक फेसबुक यूजर ने इस फोटो को पोस्ट करते हुए लिखा, “लखनऊ के एक उच्चवर्गीय बूढ़े पिता ने अपने पुत्रों के नाम एक चिट्ठी लिखकर खुद को गोली मार ली. पिता सेना में कर्नल के पद से रिटार्यड हुए. वे लखनऊ के एक पॉश कॉलोनी में अपनी पत्नी के साथ रहते थे. उनके दो बेटे थे जो अमेरिका में रहते थे. माता-पिता ने अपने लाड़लों को पालने में कोई कोर कसर नहीं रखी. बच्चे पढ़-लिखकर इतने योग्य हो गए कि दुनिया की सबसे नामी-गिरामी कार्पोरेट कंपनी में उनको नौकरी मिल गई. एक दिन अचानक पिता ने रूंआसे गले से बेटों को खबर दी. बेटे! तुम्हारी मां अब इस दुनिया में नहीं रही.

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एक दिन बाद छोटा बेटा आया. उसने पिता से कहा कि भईया ने कहा कि, "मां की मौत में तुम चले जाओ. पिता जी मरेंगे, तो मैं चला जाऊंगा." कर्नल साहब (पिता) कमरे के अंदर गए. खुद को कई बार संभाला फिर उन्होंने चंद पंक्तियो का एक पत्र लिखा. जो इस प्रकार था- प्रिय बेटो, मैंने और तुम्हारी मां ने बहुत सारे अरमानों के साथ तुम लोगों को पाला-पोसा. मैं नहीं चाहता कि मेरी लाश निपटाने के लिए तुम्हारे बड़े भाई को आना पड़े. इसलिए अपनी मां के साथ मुझे भी निपटाकर ही जाओ.                                                                                    

तुम्हारा पिता
                               
कमरे से ठांय की आवाज आई. कर्नल साहब ने खुद को गोली मार ली. यह काल्पनिक कहानी नहीं. पूरी तरह सत्य घटना है.”

कवि और गीतकार आलोक श्रीवास्तव ने भी इस तस्वीर को शेयर करते हुए लिखा, “एहसान-फ़रामोशी किसे कहते हैं ? पढ़िए.” इस पोस्ट का आर्काइव्ड वर्जन यहां देखा जा सकता है.

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कई सारी वेबसाइट्स ने भी इस कहानी को असली घटना बताया है.

इंडिया टुडे की फैक्ट चेक टीम ने पाया कि एक ही चिता पर लिटाए गए मृत बुजुर्ग दंपति की ये फोटो मध्य प्रदेश के मुरैना जिले की है. इनकी मृत्यु साल 2018 में हुई थी, न कि हाल-फिलहाल में. दंपति के परिवार ने खुद ‘आजतक’ से बातचीत में इस बात की पुष्टि की है.

अपने विदेशी बेटों की उपेक्षा से आहत होकर खुद को गोली मार लेने वाले लखनऊ के रिटायर्ड कर्नल की कहानी पूरी तरह फर्जी है. वहां इस तरह की कोई भी घटना हाल-फिलहाल में नहीं हुई है.  

क्या है इस फोटो की कहानी?    

कीवर्ड सर्च के जरिये इस फोटो के बारे में थोड़ी खोजबीन करने पर हमने पाया कि साल 2018 में कई लोगों ने इसे मध्य प्रदेश के मुरैना जिले के पोरसा कस्बे का बताया था.

इस जानकारी के जरिये हमें साल 2018 में छपी ‘दैनिक भास्कर’ की एक ऐसी रिपोर्ट मिली जिसमें पोरसा, मध्य प्रदेश के एक बुजुर्ग पति-पत्नी का अंतिम संस्कार एक ही चिता पर होने की घटना का ब्यौरा दिया है.

इस रिपोर्ट के मुताबिक, पति का नाम छोटेलाल शर्मा और पत्नी का नाम गंगादेवी था. इन दोनों का अंतिम संस्कार पोरसा के मुक्तिधाम में हुआ था.

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इतनी बात पता लगने के बाद हमने ‘आजतक’ के पोरसा संवाददाता रामपाल तोमर से संपर्क किया. रामपाल ने छोटेलाल शर्मा के गांव पुरानाखेड़ा जाकर उनके परिवार से मुलाकात की. छोटेलाल के 51 वर्षीय बेटे मायाराम शर्मा ने इस बात की पुष्टि की कि वायरल हो रही फोटो उनके दिवंगत पिता छोटेलाल और मां गंगादेवी की है. दोनों की मृत्यु 3 सितंबर, 2018 को हुई थी.

वो कहते हैं, “मेरे पिता की मृत्यु 3 सितंबर, 2018 को सुबह तकरीबन 4 बजे हुई थी. उनकी मौत का सदमा मां बर्दाश्त नहीं कर पाईं और उसी दिन तकरीबन 6 बजे उनकी भी मृत्यु हो गई. दोनों का अंतिम संस्कार एक ही चिता पर हुआ था और उसमें करीब 700 लोग शामिल हुए थे.”

मायाराम ने ये भी बताया कि उनके पिता छोटेलाल किसान थे, न कि कर्नल.

मृतक छोटेलाल के परिवार ने हमें एक वीडियो भी बनाकर भेजा जिसमें उन्होंने छोटेलाल की फोटो को लखनऊ के रिटायर्ड कर्नल का सुसाइड बताए जाने पर आपत्ति जताई है.

‘आजतक’ के पोरसा संवाददाता रामपाल तोमर ने हमें इस घटना से जुड़ी ‘पत्रिका’ की एक खबर की कटिंग भी भेजी जिसे नीचे देखा जा सकता है.

अगर लखनऊ में सचमुच हाल-फिलहाल में किसी रिटायर्ड कर्नल ने आत्महत्या की होती, तो इसे लेकर सभी जगह खबर छपी होती. पर, हमें ऐसा कुछ भी नहीं मिला. हमने इस बारे में लखनऊ के कुछ पत्रकारों से भी पूछा, पर उनका भी यही कहना था कि वहां ऐसी कोई घटना नहीं हुई है.  

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जाहिर है, मध्य प्रदेश के बुजुर्ग दंपति की मृत्यु के बाद की फोटो, एक काल्पनिक कहानी के साथ शेयर की जा रही है और उसे लखनऊ की असली घटना बताया जा रहा है.

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