कानपुर के किसी व्यक्ति का एक बेहद विवादास्पद विजिटिंग कार्ड सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. कई लोग कह रहे हैं कि ये व्यक्ति 'हलाला एक्सपर्ट' है. इस कार्ड पर हलाला के बाद बेगम को वापस करने की गारंटी की बात लिखी है. इस विजिटिंग कार्ड को शेयर करते हुए कई लोग मुस्लिम धर्म को बुरा-भला कह रहे हैं.
इस कार्ड पर लिखा है, "हाजी लल्लू खतना स्पेशलिस्ट". इसके साथ ही, ऊपर एक टैगलाइन लिखी है, "हमारे यहां बेगम हलाला करने के बाद तुरंत वापिस कर दी जाती है". कार्ड पर एक शख्स की फोटो, एक फोन नंबर और कानपुर के बाबूपुरवा इलाके का पता भी है.
एक ट्विटर यूजर ने इसे पोस्ट करते हुए लिखा, “हलाला के बाद बेगम तुरंत वापस करने की गारंटी. औरत को इंसान नहीं सेक्स, बच्चे पैदा करने और गुलाम की तरह काम करने वाली मानते हैं इसकी जैसी सोच वाले मुस्लिम समुदाय के लोग. इनके लिए कहा सो जाता है ह्यूमन राइट्स.”
निकाह हलाला एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके तहत तलाकशुदा महिला को अपने पति के साथ दोबारा शादी करने के लिए पहले किसी दूसरे पुरुष से शादी करनी होती है. दूसरा पति जब तलाक देगा, तभी वह महिला अपने पहले पति से निकाह कर सकती है.
वहीं, खतना एक ऐसा रिवाज है जिसके तहत बचपन में ही लड़कों के लिंग के आगे की चमड़ी निकाल दी जाती है. ये ज्यादातर मुस्लिम समुदाय में प्रचलित है.
ऐसे ही कुछ ट्वीट्स का आर्काइव्ड वर्जन यहां और यहां देखा जा सकता है.
बहुत सारे लोग इस बात को सच मान रहे हैं कि ये विजिटिंग कार्ड हलाला करने वाले एक व्यक्ति का है.
इंडिया टुडे फैक्ट चेक ने पाया कि ये विजिटिंग कार्ड एडिटेड है. असली विजिटिंग कार्ड कानपुर के हाजी अब्दुल वहीद नाम के शख्स का है, जो खुद को 'खतना एक्सपर्ट' बताते हैं. इस कार्ड में हलाला वाली बात एडिटिंग के जरिये अलग से जोड़ी गई है. हाजी अब्दुल वहीद ने खुद 'आजतक' को ये बताया .
कैसे पता लगाई सच्चाई?
वायरल पोस्ट पर कमेंट करते हुए कई लोग लिख रहे हैं कि विजिटिंग कार्ड की ये फोटो एडिटेड है.
इस फोटो को रिवर्स सर्च करने पर हमें पता लगा कि इसे साल 2014 में कई लोगों ने शेयर किया था. उस दौरान जिस विजिटिंग कार्ड की तस्वीर शेयर की गई थी, उसमें कहीं भी हलाला का जिक्र नहीं था. सिर्फ खतना के बारे में लिखा था.
हमने 'फोटो फोरेंसिक्स' और 'फोरेंसिकली' नाम के दो ऑनलाइन टूल्स की मदद से वायरल फोटो की जांच की. ये टूल्स 'एरर लेवेल एनालिसिस' नाम की तकनीक की मदद से काम करते हैं और फोटो के फर्जी वाले हिस्से को अलग से उभारकर दिखाते हैं.
वायरल विजिटिंग कार्ड के जिस ऊपरी हिस्से में हलाला वाली बात लिखी है, वो हिस्सा इन दोनों ही टूल्स में अपलोड करने पर उभरा हुआ दिखा. यानी, इससे ये पता चलता है कि ये लाइन, असली विजिटिंग कार्ड को एडिट करके जोड़ी गई है.
70 वर्षीय अब्दुल वहीद बोले, 'मुझे बदनाम करने की साजिश'
इसके बाद हमने विजिटिंग कार्ड पर लिखे फोन नंबर पर संपर्क किया. हमारी बात हाजी अब्दुल वहीद उर्फ हाजी लल्लू से हुई. उन्होंने हमें बताया कि ये विजिटिंग कार्ड उनका ही है, लेकिन किसी ने उन्हें बदनाम करने के मकसद से इसे एडिट करके इसमें हलाला वाली बात जोड़ दी है. वो पेशे से नाई हैं और खतना करना उनका पुश्तैनी काम है. लेकिन हलाला से उनका कुछ लेना-देना नहीं है.
70 वर्षीय अब्दुल वहीद ने हमें बताया कि उन्होंने अपना एडिटेड विजिटिंग कार्ड शेयर करने वालों की पुलिस में शिकायत की है. उन्होंने हमें शिकायत की एप्लीकेशन की एक कॉपी भी भेजी जिसे नीचे देखा जा सकता है.
उन्होंने बताया कि साल 2021 में भी कुछ लोगों ने उनके इसी एडिटेड विजिटिंग कार्ड को शेयर किया था. उस वक्त भी उन्होंने इसकी पुलिस में शिकायत की थी.
हालांकि, हम इस बात की पुष्टि नहीं कर सकते हैं कि वहीद कभी हलाला में शामिल रहे हैं या नहीं.
हलाला को लेकर कोर्ट में चल रहा है केस
साल 2019 में सरकार ने एक कानून बनाकर तुंरत तीन तलाक को गैरकानूनी बना दिया. आमतौर पर हलाला तुरंत तीन तलाक से ही जुड़ी हुई प्रथा रही है. इसलिए ज्यादातर लोग मानते हैं कि हलाला भी अब गैरकानूनी हो चुका है. लेकिन इसको लेकर कानूनी स्थिति अभी भी पूरी तरह से साफ नहीं है और सुप्रीम कोर्ट में इसको लेकर याचिकाएं लंबित हैं.
‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ की 2018 की एक रिपोर्ट के मुताबिक, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने साल 2018 में कहा था कि वो निकाह हलाला को गैर कानूनी बनाए जाने के खिलाफ है. हालांकि वो ये मानता है कि इसे बढ़ावा नहीं देना चाहिए. निकाह हलाला पर बैन की मांग के खिलाफ ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया था.
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वो बहु-विवाह और निकाह- हलाला की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के लिए सही समय आने पर संवैधानिक पीठ का गठन करेगा. याचिकाकर्ता अश्चिनी उपाध्याय ने इस मामले में जल्द सुनवाई की मांग की है.
खतना और हलाला पर क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
दिल्ली स्थित जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के ‘डिपार्टमेंट ऑफ इस्लामिक स्टडीज’ के प्रोफेसर जुनैद हारिस ने हमें बताया कि मुस्लिम लड़कों का बचपन में खतना कराना एक आम प्रक्रिया है. ऐसा माना जाता है कि इसके कई स्वास्थ्य संबंधी फायदे हैं. आजकल ज्यादातर लोग खतना अस्पताल में करवाते हैं. लेकिन हलाला इस्लाम में जायज नहीं है.
कुल मिलाकर बात साफ है, कानपुर के एक शख्स का विजिटिंग कार्ड एडिट करके मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाया जा रहा है.