कोरोना से रिकवर हो चुके वयस्कों और बच्चों में अब गेस्ट्रोइंटस्टाइनल (GI) से जुड़ी समस्याएं देखी जा रही हैं. अब तक ऐसे तकरीबन 50 मामले सामने आए हैं जहां बच्चों और युवाओं में GI से जुड़ी दिक्कतों के चलते अस्पताल में एडमिट किया गया है. युवाओं में जहां कोलाइटिंस, पेट का अल्सर जैसी दिक्कतें देखने को मिली हैं. वहीं बच्चे पैंक्रियाटाइटिस और एंटी इंफ्लामेटरी सिंड्रोम का शिकार हो रहे हैं. दिल्ली के द्वारका स्थित आकाश हेल्थकेयर में पिछले छह हफ्तों से ऐसे मामले दर्ज किए जा रहे हैं.
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डॉक्टर्स ने इस बारे में जानकारी साझा करते हुए दो मामलों का भी जिक्र किया है. इसमें एक बुजुर्ग महिला और एक टीनेजर शामिल है. दोनों की इम्यूनिटी काफी कम थी जिसकी वजह से कोविड के बाद भी उनकी हालत काफी खराब रही. डॉक्टर्स ने बताया कि 60 वर्षीय इस महिला को कोविड-19 से रिकवरी के 4 सप्ताह बाद फिर से अस्पताल में एडमिट करना पड़ा था.
डॉक्टर्स ने पाया कि महिला के लिवर में पस बन गया था, जिसे अस्पताल में आने के बाद सफलतापूर्वक निकाला गया. इसी तरह 14 साल के एक बच्चे को भी कोविड-19 से रिकवरी के चार सप्ताह बाद अस्पताल में भर्ती किया गया था. इस बच्चे के मल में खून की शिकायत मिली थी. डॉक्टर्स ने एंडोस्कोपिकली के साथ दवाओं का इस्तेमाल कर उसे ठीक किया था.
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डॉक्टर्स ने बताया कि अब तक करीब 50 बच्चों और वयस्कों में GI से जुड़ी समस्याओं के चलते अस्पताल में दाखिल किया गया है. आकाश हेल्थकेयर (द्वारका) अब तक करीब 30 लोगों में कोलाइटिस की समस्या देख चुका है. जबकि 10 लोगों के लिवर में पस पड़ने की दिक्कत सामने आई है. अस्पताल में पैंक्रियाटाइटिस के करीब 5 मामले, लिवर से जुड़ी परेशानी के कुछ मामले और बच्चों में पेट के अल्सर के करीब 10 मामले आए हैं.
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जिन लोगों में 6-8 सप्ताह पहले लक्षण देखे गए और वे 3-4 सप्ताह के बाद कोविड से रिकवर हुए, उनमें लूज़ मोशन (दस्त) की समस्या देखी गई जो बाद में कोलाइटिस में कन्वर्ट हो गई. डॉक्टर्स का कहना है कि उन्होंने वयस्कों के लिवर में पस पड़ने और पैंक्रियाटाइटिक के 10-10 मामले देखे हैं.
इस दौरान कई बच्चों को कोविड से रिकवरी के बाद आई मल्टी इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम और पैंक्रियाटाइटिस के चलते भी अस्पताल में भर्ती करना पड़ा है. डॉक्टर्स ने कहा कि कोविड से फेफड़ों की समस्याओं के साथ अब पेट की तकलीफ झेल रहे मरीजों की संख्या भी बढ़ गई है. ज्यादातर बच्चों में पैंक्रियाटाइटिल, अल्सर और डायरिया की ही दिक्कत देखी गई है.
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डॉक्टर्स ने बताया कि इनमें से कुछ मरीज तो ऐसे भी हैं जिन्हें कोरोना वैक्सीन की दोनों डोज मिल चुकी थी.
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मरीजों के शरीर में इफेक्शन को मॉनिटर करना बहुत जरूरी है. कोरोना से रिकवर होने के बाद भी रोगियों की हालत पर ध्यान दिया जाना चाहिए. इस तरह के पोस्ट कोविड कॉम्प्लीकेशंस सांस में तकलीफ झेल रहे लोगों और निमोनिया के रोगियों के लिए दिक्कत खड़ी कर सकते हैं.
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डॉक्टर्स का कहना है कि GI से जुड़ी दिक्कतें इम्यूनिटी को कम कर सकती हैं और इंफेक्शन को बढ़ा सकती हैं. कोविड के बाद GI की समस्या से अब तक किसी मरीज की जान नहीं गई है, लेकिन ऐसे मामलों को गंभीरता से देखना बहुत जरूरी हो गया है.
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डॉक्टर्स लोगों को रिकवरी के दौरान और बाद में हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाने की सलाह दे रहे हैं. आकाश हेल्थकेयर में गेस्ट्रोइंटस्टाइनल डिपार्टमेंट के प्रमुख डॉ. शरद मल्होत्रा कहते हैं कि लोगों के लिए एक हेल्दी डाइट और रेगुलर फिजिकल एक्टिविटीज को फॉलो करना बहुत जरूरी हो गया है.
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