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Omicron पर राहत भरी खबर, यूं बढ़ेगी 88% तक इम्यूनिटी, जरूर पढ़ें

कोविड-19 वैक्सीन की तीसरी डोज ओमिक्रॉन के खिलाफ इंसान की प्रतिरोधक क्षमता को 88 प्रतिशत तक बूस्ट कर सकती है. बूस्टर शॉट दूसरी डोज की तुलना में म्यूटेट हुए वैरिएंट के खिलाफ ज्यादा सुरक्षा प्रदान करती है, जिसका असर शरीर में छह महीने बाद कम पड़ने लगता है.

Omicron से दुनिया को बचाएगा तीसरा डोज, 88% तक इम्यूनिटी बढ़ने का दावा (Photo: Reuters) Omicron से दुनिया को बचाएगा तीसरा डोज, 88% तक इम्यूनिटी बढ़ने का दावा (Photo: Reuters)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 03 जनवरी 2022,
  • अपडेटेड 12:11 PM IST
  • शरीर में 6 महीने बाद कम हो जाता है दूसरी डोज का असर
  • तीसरी डोज 88 प्रतिशत तक इम्यूनिटी बढ़ने का दावा

कोरोना वायरस का नया वैरिएंट ओमिक्रॉन वैक्सीन के प्रभाव को बेअसर कर सकता है. शुरुआती आंकडों के आधार पर पूरी दुनिया के एक्सपर्ट ऐसा दावा कर रहे हैं.

वहीं ब्रिटेन की स्टडी में पाया गया कि कोविड-19 वैक्सीन की तीसरी डोज ओमिक्रॉन के खिलाफ इंसान की प्रतिरोधक क्षमता को 88 प्रतिशत तक बूस्ट कर सकती है.

बूस्टर शॉट दूसरी डोज की तुलना में म्यूटेट हुए वैरिएंट के खिलाफ ज्यादा सुरक्षा प्रदान करता है, जिसका असर शरीर में छह महीने बाद कम पड़ने लगता है.

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यूके हेल्थ सिक्योरिटी एजेंसी (UKHSA) की रिपोर्ट साझा करते हुए स्क्रिप्स रिसर्च ट्रांसलेशन इंस्टिट्यूट के डायरेक्टर और मॉलिक्यूलर मेडिसिन के प्रोफेसर डॉ. एरिक टोपोल ने कहा कि कोविड-19 वैक्सीन का दूसरा शॉट लगने के लगभग 6 महीने बाद ओमिक्रॉन के खिलाफ वैक्सीन की प्रभावशीलता घटकर 52 प्रतिशत तक रह जाती है.

हालांकि, तीसरी बूस्टर डोज काफी हद तक इम्यूनिटी बढ़ा देती है और गंभीर लक्षणों के साथ कोविड इंफेक्शन की संभावनाओं को कम करती है. इससे अस्पताल में भर्ती होने की नौबत आ सकती है. डॉ. एरिक टोपोल ने अपने एक ट्वीट में कहा, 'तीसरी डोज लगने के बाद शरीर में वैक्सीन की प्रभावशीलता का स्तर 52 प्रतिशत से बढ़कर 88 प्रतिशत तक हो जाती है.'

UKHSA की रिपोर्ट डेल्टा वैरिएंट की तुलना में ओमिक्रॉन के खिलाफ वैक्सीन की कम प्रभावशीलता को लेकर स्टडीज का उल्लेख करती है. इससे संकेत मिले हैं कि डेल्टा के मुकाबले ओमिक्रॉन में इमिर्जेंसी केयर या हॉस्पिटलाइजेशन का जोखिम लगभग आधा है.

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इसके अलावा, दूसरी या तीसरी डोज लेने के बाद ओमिक्रॉन के मामलों में अस्पताल में भर्ती होने का जोखिम भी कम है. एक अनवैक्सीनेटेड इंसान की तुलना में तीन डोज लेने वाले इंसान के अस्पताल में एडिमिट होने का जोखिम 81 फीसद तक कम होता है.

शुरुआती विश्लेषण के अनुसार, 5 से 17 साल की उम्र के स्कूल जाने वाले बच्चों में भी डेल्टा के मुकाबले ओमिक्रॉन इंफेक्शन से अस्पताल में भर्ती होने का खतरा कम है.

ओमिक्रॉन के सिम्प्टोमैटिक इंफेक्शन के मामलों में भी तीसरी डोज लेने वालों के लिए हॉस्पिटलाइजेशन का जोखिम वैक्सीन ना लेने वालों से औसतन 68 प्रतिशत तक कम होने का अनुमान है.

स्टडीज यह भी बताती हैं कि जिन लोगों ने कोविशील्ड के दो डोज लिए थे, उनमें दूसरे डोज के पांच महीने बाद ओमिक्रॉन के खिलाफ कोई प्रभाव नहीं पड़ा है. फाइजर या मॉडर्ना की दो डोज लेने वालों में छह महीने बाद वैक्सीन की प्रभावशीलता 65-70 प्रतिशत से घटकर करीब 10 प्रतिशत ही रह गई. रिपोर्ट के मुताबिक, बूस्टर डोज लगने के बाद दो से चार सप्ताह के भीतर वैक्सीन की प्रभावशीलता 65 से 70 फीसद तक बढ़ जाती है.

 

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