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Omicron वैरिएंट को लेकर पहली बार आई डराने वाली स्टडी, कोविड-19 पर दावे से बढ़ेगी पुरुषों की चिंता

अब तक माना जा रहा था कि कोरोना का ओमिक्रॉन वैरिएंट डेल्टा की तुलना में कम खतरनाक है. हालांकि इंपीरियल कॉलेज लंदन की नई स्टडी ने लोगों की ये गलतफहमी दूर कर दी है. स्टडी में कहा गया है कि ओमिक्रॉन भी डेल्टा की तरह ही गंभीर है और इसके खतरनाक परिणाम हो सकते हैं.

डेल्टा की तरह ही खतरनाक है ओमिक्रॉन डेल्टा की तरह ही खतरनाक है ओमिक्रॉन
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 21 दिसंबर 2021,
  • अपडेटेड 10:18 AM IST
  • ओमिक्रॉन के बढ़ते मामले
  • ओमिक्रॉन पर नई स्टडी
  • डेल्टा की तरह ही गंभीर ओमिक्रॉन

Omicron: कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन (Omicron) के तेजी से बढ़ते मामले चिंता बढ़ाने वाले हैं. ब्रिटेन के बाद अमेरिका में भी ओमिक्रॉन से पहली मौत हो चुकी है. वहीं, भारत में ओमिक्रॉन के अब तक 170 से ज्यादा मामले (omicron cases in india) सामने आ चुके हैं. दक्षिण अफ्रीका से मिले शुरुआती डेटा में माना जा रहा था कि कोरोना का ओमिक्रॉन वैरिएंट डेल्टा की तुलना में कम गंभीर है. हालांकि, एक नई स्टडी इस दावे को खारिज करती है. UK की स्टडी के अनुसार, ओमिक्रॉन वैरिएंट डेल्टा से कम खतरनाक नहीं है.

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ओमिक्रॉन पर UK की नई स्टडी- ये स्टडी इंपीरियल कॉलेज लंदन के शोधकर्ताओं ने की है. इसमें ओमिक्रॉन से  संक्रमित 11,329 लोगों की तुलना कोरोना के अन्य वैरिएंट से संक्रमित 200,000 लोगों से गई. स्टडी में कहा गया है, 'इस बात के कोई साक्ष्य नहीं है कि डेल्टा की तुलना में ओमिक्रॉन कम गंभीर है.' ये तुलना मरीजों के लक्षणों और अस्पताल में भर्ती हो रहे मरीजों की संख्या के आधार पर की गई है.

ओमिक्रॉन पर वैक्सीन का असर- स्टडी के अनुसार, ओमिक्रॉन के लक्षण वाले मरीजों पर UK में उपलब्ध वैक्सीन की दो डोज के बाद 0% से 20% और बूस्टर डोज के बाद 55% से 80% तक असर देखा गया है. रिपोर्ट में यह भी अनुमान लगाया गया है कि डेल्टा की तुलना में ओमिक्रॉन से री-इंफेक्शन होने का खतरा 5.4 गुना अधिक है. हेल्थकेयर वर्कर्स के अनुसार SARS-CoV-2 के पहले वैरिएंट में 6 महीने में दूसरी बार संक्रमण होने से 85% तक सुरक्षा मिलती थी. शोधकर्ताओं का कहना है कि 'ओमिक्रॉन से री-इंफेक्शन के खिलाफ सुरक्षा 19% तक कम हो गई है.

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स्पर्म काउंट पर भी असर- शोधकर्ताओं ने पाया है कि COVID-19 से ठीक के बाद कुछ लोगों के लिए स्पर्म क्वालिटी महीनों तक खराब रहती है. शोधकर्ताओं ने पाया कि सीमेन खुद में संक्रामक नहीं था. 35 पुरुषों पर की गई स्टडी में पाया गया कि कोरोना से ठीक होने के एक महीने बाद इनकी स्पर्म गतिशीलता 60 फीसदी और स्पर्म काउंट 37% तक घट गई. ये स्टडी फर्टिलिटी एंड स्टेरिलिटी में छपी है. COVID-19 संक्रमण की गंभीरता और स्पर्म की विशेषताओं में कोई संबंध नहीं पाया गया. शोधकर्ताओं का कहना है कि प्रेंग्नेंसी की इच्छा रखने वाले कपल्स को ये चेतावनी दी जानी चाहिए कि COVID-19 संक्रमण के बाद स्पर्म की गुणवत्ता कम हो सकती है.
 

 

 

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