Advertisement

HMPV In India: क्या सर्दी से और बढ़ जाएगा HMPV वायरस का प्रकोप? कोरोना जैसा खतरा है क्या? 5 डॉक्टर्स ने दिए सारे जवाब

ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (HMPV) वायरस चीन के बाद भारत में भी फैल गया है. इस वायरस के लक्षण क्या हैं, इससे बचने के लिए क्या करें और क्या न करें, इस वायरस से भारत के लिए कितना जोखिम है, इस बारे में कई डॉक्टर्स की राय जानेंगे.

HMPV HMPV
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 07 जनवरी 2025,
  • अपडेटेड 1:57 PM IST

HMPV virus in India: भारत में सोमवार को बच्चों में ह्यूमन मेटाप न्यूमोवायरस (HMPV) संक्रमण के सात मामले सामने आए. ये मामले बेंगलुरु, नागपुर और तमिलनाडु में दो-दो और अहमदाबाद में एक हैं और ये ऐसे समय में सामने आए हैं जब चीन और अन्य देश वायरल बुखार और निमोनिया के बड़े प्रकोप से जूझ रहे हैं. भारत में HMPV वायरस के मिले मामलों को लेकर लोगों में चिताएं तो हैं लेकिन एक्सपर्ट्स का कहना है कि HMPV के लिए बहुत कम मामलों में ही अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता होती है और उचित सावधानियों से इसके जोखिम को रोका जा सकता है.

Advertisement

HMPV एक आम श्वसन वायरस है जो निचले और ऊपरी श्वसन संक्रमण का कारण बनता है. यह कोई नया वायरस नहीं है जो अभी पैदा हुआ है बल्कि पिछले कुछ सालों में दूसरे देशों में भी इसके मामले सामने आए हैं. HMPV के लिए कोई विशेष एंटीवायरल ट्रीटमेंट नहीं है बल्कि इसके प्रसार को रोककर ही इससे बचा जा सकता है.

अब ऐसे में लोगों के मन में सवाल भी हैं कि आखिर इस वायरस से कैसे बचा जाए, क्या किया जाए और क्या न किया जाए? तो आइए इस बारे में डॉक्टर्स का क्या कहना है और वे कौन सी सावधानी बरतने की सलाह देते हैं, ये जान लेते हैं.

भारत को कितना जोखिम?

पुणे में बीजे मेडिकल कॉलेज में माइक्रोबायोलॉजी के प्रोफेसर डॉ. राजेश कार्यकार्ते ने इस वायरस के बारे में कहा, 'हमारे शरीर ने समय के साथ वायरस की मौजूदगी के हिसाब से खुद को ढाल लिया है. अधिकतर मामलों में, सभी वायरस के संक्रमण लक्षणहीन या हल्के होते हैं लेकिन कुछ व्यक्तियों के लिए खास तौर पर जिन्हें कोई गंभीर बीमारी है, उन्हें अस्पताल में भर्ती होने की स्थिति पैदा हो सकती है. कोविड-19 के विपरीत, HMPV लंबे समय से मौजूद है और इस बात का कोई सबूत नहीं है कि यह भारत में पहले की तुलना में अभी अधिक तेजी से फैल रहा है.'

ग्लोबल एयर पॉल्यूशन एंड हेल्थ पर WHO टेक्निकल एडवाइजर और पीएसआरआई इंस्टीट्यूट ऑफ पल्मोनरी क्रिटिकल केयर एंड स्लीप मेडिसिन के चेयरमैन डॉ. जीसी खिलनानी ने भी कहा, 'यह वायरस कमजोर इम्यूनिटी और वृद्ध लोगों के लिए जोखिम पैदा कर सकता है.'

Advertisement

मैक्स हेल्थकेयर के डॉ. संदीप रुधिराजा का कहना है, 'डायबिटीज, हृदय रोग या किडनी फेलियर जैसी मौजूदा स्वास्थ्य स्थितियों वाले बुजुर्ग व्यक्तियों को विशेष रूप से सावधान रहना चाहिए. इस वायरस से वयस्कों में हल्के लक्षण दिखाई देते हैं और बुजुर्ग रोगियों में गंभीर लक्षण विकसित हो सकते हैं.'

एम्स नई दिल्ली में मेडिसिन डिपार्टमेंट के एड‍िशनल प्रोफेसर डॉ. नीरज निश्चल का कहना है, 'सबसे पहले, मैं यह कहना चाहूंगा कि इसकी तुलना कोविड-19 से न करें क्योंकि कोविड वायरस पूरी तरह से एक नया वायरस था और हममें से किसी के पास इसके खिलाफ इम्यूनिटी नहीं थी लेकिन HMPV वायरस 2001 से ही हमारे आसपास है और इस बात के सबूत भी हैं कि यह वायरस 1950 के दशक के अंत से ही हमारे साथ है.' 

'मुझे लगता है कि इस वायरस के बारे में चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि 10 साल की उम्र तक, ज़्यादातर बच्चों में इस वायरस के खिलाफ इम्यूनिटी होती है. इसलिए मैं जो कहने की कोशिश कर रहा हूं वह यह है कि कोविड-19 एक बिल्कुल अलग चीज थी और यह वायरस अलग है. यह कोई नया वायरस नहीं है और मुझे नहीं लगता कि हमें इस वजह से घबराना चाहिए.'

आईसीएमआर के पूर्व हेड साइंटिस्ट डॉ. रमन गंगाखेडकर का कहना है, 'माना जाता है कि HMPV अपनी खोज से पहले दशकों, संभवतः सदियों से मनुष्यों में एक-दूसरे में फैल रहा था. उस समय अच्छी तकनीक और उपकरणों की कमी के कारण इसकी पहचान नहीं की जा सकी थी. यह आमतौर पर छोटे बच्चों को प्रभावित करता है और अधिकांश मामलों में हल्के सांस संबंधित लक्षण पैदा करता है.'

इंडियन आर्म्ड फोर्स के पूर्व महामारी विज्ञानी डॉ. अमित्व बनर्जी का कहना है, 'अगर हम बड़े पैमाने पर टेस्टिंग करें तो हम देखेंगे कि लगभग हर किसी में एचएमपीवी के खिलाफ एंटीबॉडीज हैं. अधिकतर बच्चे पांच साल की उम्र तक संक्रमित हो जाते हैं. यह ऊपरी और निचले श्वसन पथ दोनों को प्रभावित कर सकता है और उसके बाद निमोनिया हो सकता है.'

Advertisement

HMPV क्या है और इसके लक्षण

US सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) के अनुसार, HMPV न्यूमोविरिडे फैमिली से संबंधित है जो एक रेस्पिरेटरी सिंसिटियल वायरस (RSV) की ही फैमिली है. यह आमतौर पर ऊपरी और निचले श्वसन संक्रमण का कारण बनता है जो सामान्य सर्दी या फ्लू के समान लक्षण पैदा करता है. यह सभी उम्र के लोगों को प्रभावित कर सकता है जिसमें छोटे बच्चे, बुजुर्ग और कमजोर इम्यूनिटी वाले लोग इसके संक्रमण के सबसे अधिक खतरे में होते हैं.

सीडीसी के अनुसार, HMPV खांसने या छींकने से निकलने वाले ड्रापलेट्स, हाथ मिलाने, किसी को स्पर्श करने, नजदीकी संपर्क में आने, दूषित सतहों पर हाथ लगाने, मुंह, नाक या आंखों को छूने से फैलता है.

खांसी और बहती हुई नाक, बुखार, गले में खराश, गले में जलन या कुछ मामलों में सांस लेने में कठिनाई ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस के सामान्य लक्षण हैं. कुछ मामलों में संक्रमण ब्रोंकाइटिस, निमोनिया या अस्थमा के लक्षणों में भी तब्दील हो सकता है.

क्या करें और क्या न करें?

एक्सपर्ट्स के मुताबिक, HMPV को रोकने के लिए अभी कोई विशेष वैक्सीन नहीं है इसलिए संक्रमण के जोखिम को कम करने के लिए और इससे बचे रहने के लिए तरीकों को अपना सकते हैं.

- अपने हाथों को साबुन और पानी से कम से कम 20 सेकंड तक धोएं.
- साबुन और पानी उपलब्ध न हो तो अल्कोहल आधारित हैंड सैनिटाइज़र का उपयोग करें.
- ऐसे व्यक्तियों से दूर रहें जिनमें श्वसन संबंधी बीमारी के लक्षण दिखें.
- बार-बार छूई जाने वाली सतहों, जैसे कि दरवाजे के हैंडल, फोन और काउंटरटॉप्स को साफ करते रहें.
- संक्रमण फैलने वाले या फ्लू के मौसम के दौरान मास्क पहनने से श्वसन बूंदों के संपर्क को कम करने में मदद मिल सकती है.
- यदि आपमें कोई लक्षण हों तो टेस्ट कराएं और डॉक्टर से संपर्क करें.

Advertisement

भारत में सालों से है HMPV

ह्यूमन मेटाप न्यूमोवायरस या HMPV की शुरुआत 2000 में हुई थी, जब डच वैज्ञानिकों के एक ग्रुप ने मनुष्यों में तीव्र श्वसन संक्रमण के कारणों का पता लगाने का प्रयास किया था. उन्हें एक अज्ञात रोगाणु मिला था. इसके बाद कुछ सीरोलॉजिकल रिसर्चों ने बताया कि यह वायरस 1958 से नीदरलैंड में भी था. 

इस वायरस की खोज ड्यूच वैज्ञानिकों ने 2000 में की थी और इसके जीनोम का अनुक्रमण 2001 में किया गया था. जीनोम अनुक्रमण में, डीएनए अणु के भीतर मौजूद न्यूक्लियोटाइड के सटीक क्रम का पता लगाया जाता है. 

बीजे मेडिकल कॉलेज और एनआईवी-पुणे द्वारा 2003 में की गई एक रिसर्च ने पुणे में बच्चों में एचएमपीवी की पुष्टि की थी. इस रिसर्च में 26 में से 19.2 प्रतिशत मामले पॉजिटिव पाए गए थे. 5 पॉजिटिव मामलों में से 4 की उम्र 1 साल से कम थी.  

2006 में एम्स की एक रिसर्च में तीव्र श्वसन बीमारी (ARI) से पीड़ित 5 साल से कम उम्र के 12 प्रतिशत बच्चों में HMPV के लिए पॉजिटिव थे. इनमें से अधिकतर मामले सर्दियों में हुए थे. 2013 में एनआईवी पुणे की एक रिसर्च में 224 सैंपल्स की जांच की गई थी जिसमें HMPV के कई स्ट्रेन पाए गए थे.

Advertisement

2014 में असम के एक अध्ययन में 5 वर्ष से कम उम्र के 276 बच्चों में से 20 (7.2 प्रतिशत) में एचएमपीवी पाया गया था, जिनमें एआरआई के लक्षण थे. 

गोरखपुर में 2024 के आईसीएमआर रिसर्च में श्वसन संबंधी बीमारी वाले 100 बच्चों की जांच की गई थी जिनमें से 4 प्रतिशत बच्चों में HMPV पाया गया था.

चिंता की बात नहीं है: केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने चिंताओं को दूर करते हुए कहा, 'हेल्थ एक्सपर्ट्स ने एचएम पवी वायरस के बारे में यह स्पष्ट किया है कि यह वायरस कोई नया वायरस नहीं है. इसकी पहचान सबसे पहले वर्ष 2001 में हुई थी और कई वर्षों से यह विश्व भर में फैल रहा है. एचएम पीवी वायरस एक ऐसा वायरस है जो हवा के जरिए सांस लेते समय एक दूसरे में फैलता है. यह सभी आयु वर्ग के लोगों में संक्रमण का कारण भी बनता है. यह विशेष रूप से सर्दी और बसंत के मौसम के शुरुआती महीनों में अधिक देखा जाता है. चीन में जो एचएम पीवी वायरस के मामले पर हाल ही में आई रिपोर्ट पर स्वास्थ्य मंत्रालय ने इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च के साथ और नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल के साथ और वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) के साथ चीन सहित पड़ोसी देशों में स्थिति पर कड़ी निगरानी रखे हुए है.' 

Advertisement

'WHO ने भी स्थिति का जायजा लिया है और जल्द ही वो भी अपनी रिपोर्ट साझा करेंगे. हमसे आईसीएमआर इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च और इंटीग्रेटेड डिजीज सर्विलेंस प्रोग्राम आईडीएसपी के साथ उपलब्ध सांस संबंधित वायरस के देशव्यापी डेटा को भी समीक्षा की जा रही है और भारत में किसी भी कॉमन रेस्पिरेटरी वायरल रोगाणु की वृद्धि नहीं देखी गई है.' 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement