Advertisement

इस देश में शुरू हुआ निपाह वायरस की वैक्सीन का ह्यूमन ट्रायल, जगीं उम्मीेदें

ब्रिटेन में निपाह वायरस की वैक्सीन का ह्यूमन ट्रायल शुरू हो गया है. इस ट्रायल के शुरू होने के बाद उम्मीद है कि इस खतरनाक वायरस से निपटने में मदद मिलेगी.

फाइल फोटो फाइल फोटो
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 11 जनवरी 2024,
  • अपडेटेड 1:11 PM IST

ब्रिटेन के ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय ने निपाह वायरस से निपटने के लिए वैक्सीन का मानव परीक्षण शुरू कर दिया है. यूनिवर्सिटी की तरफ से गुरुवार को दी गई जानकारी में बताया गया कि मस्तिष्क में सूजन पैदा करने वाले जानलेवा निपाह वायरस से निपटने के लिए एक टीके का मानव परीक्षण (ह्यूमन ट्रायल) शुरू कर दिया गया है. इस वायरस ने भारत के केरल राज्य और एशिया के कई हिस्सों में अपना प्रकोप फैलाया है.  

Advertisement

क्या है निपाह वायरस

निपाह वायरस (NiV) जानवरों से इंसानों में फैलने वाली बीमारी है. इसे जूनोटिक डिजीज कहा जाता है. ये चमगादड़ों और सुअर से इंसानों में फैल सकता है. यह वायरस बुखार, उल्टी, सांस की बीमारी और मस्तिष्क में सूजन का कारण बन सकता है. 

यहां हो रहा ह्यूमन ट्रायल

इस ट्रायल में हिस्सा लेने वाले पहले ग्रुप को बीते हफ्ते वैक्सीन की डोज दी गई. यह उसी तकनीक से बनाया गया था जिसका इस्तेमाल एस्ट्राजेनेका (AZN.L) और भारत के सीरम इंस्टीट्यूट की कोविड 19 वैक्सीन को बनाने में हुआ था. 

इस घातक वायरस का अभी तक कोई टीका नहीं बना है. निपाह की पहचान सबसे पहले लगभग 25 साल पहले मलेशिया में हुई थी और इसके बाद बांग्लादेश, भारत और सिंगापुर में इसका प्रकोप फैला. 

क्या कहते हैं वैज्ञानिक

Advertisement

विश्वविद्यालय के महामारी विज्ञान संस्थान के एक प्रवक्ता ने कहा कि 51 मरीजों पर प्रारंभिक चरण का परीक्षण ऑक्सफोर्ड में होगा जिसके तहत 18 से 55 वर्ष की आयु के लोगों में इस बात की जांच की जाएगी कि टीका कितना सुरक्षित है और शरीर की इम्युनिटी का इस पर क्या असर पड़ता है.

इसके बाद निपाह प्रभावित देशों में आगे के परीक्षण होने की उम्मीद है. 

निपाह वायरस चमगादड़ (फ्रूट बैट) होस्ट के जरिए कोरोना की तरह महामारी का रूप भी धारण करने की क्षमता रखता है.

कॉलिशन फॉर एपिडेमिक प्रिपेयर्डनेस इनोवेशन (सीईपीआई) के एक कार्यकारी डॉ इन-क्यू यून ने कहा, 'यह परीक्षण इस खतरनाक वायरस से बचाने के लिए हमें तकनीक खोजने में मदद करेगा.'

परीक्षण का नेतृत्व ऑक्सफोर्ड वैक्सीन ग्रुप द्वारा किया गया है और यह सीईपीआई द्वारा वित्त पोषित है. सीईपीआई एक वैश्विक गठबंधन है जो उभरते संक्रामक रोगों के खिलाफ टीकों के विकास का काम करता है. 

मॉडर्ना (एमआरएनए.ओ) ने 2022 में निपाह वायरस वैक्सीन का प्रारंभिक चरण का क्लिनिकल परीक्षण भी शुरू किया था जिसे उसने अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एलर्जी एंड इंफेक्शियस डिसीसस के साथ मिलकर विकसित किया था.

कितना खतरनाक है निपाह

सितंबर महीने में भारत के केरल राज्य में पांच साल में चौथी बार निपाह का प्रकोप देखा गया जिसमें छह लोग संक्रमित हुए और दो की मौत हो गई.

Advertisement

संक्रमण के कारण बुखार, सिरदर्द, खांसी और सांस लेने में कठिनाई हो सकती है, साथ ही मस्तिष्क में सूजन भी हो सकती है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार इसकी मृत्यु दर 40% से 75% है.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement