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India Today Health Conclave: 'डिजिटल हेल्थ की दिशा में आगे बढ़ रहा है देश' बोले स्वास्थ्य सचिव सुधांश पंत

India Today Health Conclave 2023: इंडिया टुडे हेल्थ कॉन्क्लेव-2023 का आगाज हो चुका है. कॉन्कलेव की शुरुआत इंडिया टुडे हिंदी के एडिटर सौरभ द्विवेदी ने लैम्प लाइटिंग सेरेमनी और वेलकम स्पीच से की. कॉन्कलेव में AIIMS के पूर्व निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया और डॉ. सुभाष गर्ग समेत हेल्थ सेक्टर से जुड़ी कई हस्तियां शामिल हो रही हैं.

इंडिया टुडे हेल्थ कॉन्क्लेव में भारत के स्वास्थ्य सचिव सुधांश पंत अपनी बात रखते हुए इंडिया टुडे हेल्थ कॉन्क्लेव में भारत के स्वास्थ्य सचिव सुधांश पंत अपनी बात रखते हुए
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 04 अगस्त 2023,
  • अपडेटेड 11:47 AM IST

इंडिया टुडे हेल्थ कॉन्क्लेव-2023 का आगाज हो चुका है. कॉन्क्लेव के स्वागत भाषण में इंडिया टुडे हिंदी के एडिटर सौरभ द्विवेदी ने कहा कि अपना और अपनों का ख्याल रखना बहुत जरूरी है. जब मुश्किल आती है तब यह ख्याल खासकर सेहत का ख्याल सबसे ज्यादा आता है. और यह बेहद जरूरी चीज है.

उन्होंने आगे कहा कि एक नागरिक के तौर पर हम सरकार से उम्मीद करते हैं कि जब हमारे ऊपर कोई शारीरिक विपदा आए तो वो हमारा ख्याल रखे. एक समाज के तौर पर हमारी भी जिम्मेदारी होती है कि हम लगातार देश के सेहत के तंत्र को मजबूत करें, और यह अकेले सरकार की जिम्मेदारी नहीं है. अकेले नागरिक की जिम्मेदारी नहीं है. इसमें सबको साथ जुड़ना होगा. 

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उन्होंने अपने स्वागत भाषण में आगे कहा कि सबको साथ लेकर जुड़ने और आगे बढ़ने के ख्याल के साथ ही 'इंडिया टुडे हिंदी पत्रिका' पहला हेल्थ कॉन्क्लेव कर रही है. इसलिए हमने इसकी टैगलाइन रखी है- 'ख्याल देश की सेहत का'.

सरकार के लिए स्वास्थ एक सर्वोच्च प्राथमिकता: स्वास्थ्य सचिव सुधांश पंत

इस सत्र में सबसे पहले देश के स्वास्थ्य सचिव सुधांश पंत ने शिरकत की. जब स्वास्थ्य सचिव सुधांश पंत से यह पूछा गया कि देश स्वास्थ्य मंत्रालय से क्या उम्मीद करे? भारत सरकार की हेल्थ सेक्टर की फौरी तौर पर और दूरगामी क्या प्राथमिकताएं हैं?

इस पर उन्होंने कहा कि भारत सरकार के लिए स्वास्थ एक सर्वोच्च प्राथमिकता है. और पिछले कुछ सालों में कोविड ने यह स्थापित भी कर दिया है कि स्वास्थ्य का क्या महत्व है. देश में हेल्थ से जुड़ी जितनी कार्यक्रम चल रहे हैं उतने पहले कभी नहीं चले. 

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उन्होंने आगे कहा कि जब हम हेल्थ की बात करते हैं तो उसके दो पहलू हैं पहला हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर और दूसरा ह्यूमन रिसोर्सेस. कोविड के दौर में भारत ने विश्व में बेहतरीन काम किया. भारत का प्रबंधन कई विकसित देशों से भी बेहतर रहा. लेकिन फिर भी यह महसूस किया गया कि भारत में जिला स्तर पर ब्लॉक स्तर पर इंफ्रास्ट्रक्चर को अपग्रेड करना है. प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत जैसी 65000 करोड़ की योजना चल रही है जिसका मकसद हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करना है. 

स्वास्थ्य सचिव सुधांश पंत ने कहा कि ह्यूमन रिसोर्सेस में भी सरकार ने काफी काम किया है. स्कील्ड कोर्सेस और एलाइड डॉक्टर के लिए हमने काउंसिल बनाने का काम किया गया. नई भर्तियां हो रही हैं. डिजिटल हेल्थ में देश आगे बढ़ रहा है. आयुष्मान भारत विश्व की एक बड़ी इंश्योरेंस स्कीम है. कुल मिलाकर गरीब से लेकर हर एक वर्ग को ग्रामीण से लेकर शहरी क्षेत्र तक काम किया जा रहा है. 

आयुष्मान भारत में आ रही खामियों को रोकने के लिए सरकार सजग

आयुष्मान भारत योजना को लेकर उठ रहे सवाल और उसकी खामियों को लेकर स्वास्थ्य सचिव ने कहा कि फॉल्स क्लेम की संख्या सौ के नंबर में है जबकि इलाज कराने वालों की संख्या करोड़ों में है. लेकिन हम एक सिस्टम बना रहे हैं जिससे इस तरह की खामियों को रोका जा सके. हमने रेंडम चेकिंग भी बढ़ाई है. सरकार पूरी तरह से सजग है. इसे दूर करने के लिए हम प्रयास कर रहे हैं.

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ड्रग रेगुलेशन को बेहतर करने की कोशिश जारी

भारतीय फॉर्मा ब्रांड को लेकर उठ रहे सवालों जिसमें देश-दुनिया में यह कहा जा रहा है कि भारत में ड्रग रेगुलेशन बेहतर नहीं  है. जांच नहीं होती है. इस वजह से दुनिया में भारतीय फॉर्मा की छवि खराब हो रही है. इस पर स्वास्थ्य सचिव ने कहा कि ड्रग रेगुलेशन और क्वालिटी का मुद्दा देश के लिए महत्वपूर्ण है. 

भारत में बने दवाओं की गुणवत्ता सही रहे हम सिस्टम को अपग्रेड कर रहे हैं. यह सिस्टम डब्लयूएचओ के स्तर का होगा.  क्वालिटी की इश्यू छोटी कंपनियों से आ रही हैं. इस नए सिस्टम को अपग्रेड करने के लिए हमने इन कंपनियों को 12 महीने का समय दिया है. 

देश-दुनिया से शिकायत आने के बाद सघन जांच की गई. और सख्त कार्रवाई की गई. कइयों के लाइसेंस सस्पेंड किए गए. कइयों पर कानूनी कार्रवाई भी की गई है. पिछले कुछ महीनों में हमने इस पर काफी काम किया है. किसी भी प्रकार की गुणवत्ता में कमी को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. 

मेडिकल सिस्टम को बेहतर करने के लिए NEXT

विदेश से पढ़कर आए डॉक्टर को भारतीय सिस्टम में आने में आ रही दिक्कतों पर उन्होंने कहा कि विदेश से पढ़कर आए स्टूडेंट्स और हमारे देश के स्टूडेंट्स के स्टैंडर्ड में बहुत ज्यादा अंतर है.

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विदेश से पढ़कर आने वाले विद्यार्थियों की पहली एक परीक्षा होती थी. जिसमें मुश्किल से 10 से 15 प्रतिशत ही उसमें पास होते थे. अगर कोई बाहर देश से पढ़कर आ रहे हैं और प्रैक्टिस कर रहे हैं तो हमारे देश के ऑथेरिटी को संतुष्ट तो होना पड़ेगा ना कि वो डॉक्टर उस स्टैंडर्ड के हैं या नहीं. अब एक कॉमन एग्जाम कर दिया गया है जिसका नाम है- NEXT. इसी के आधार पर लाइसेंस भी मिलेगा. विदेश से पढ़कर आए डॉक्टर को भी इस माध्यम से होकर जाना पड़ेगा. 

 

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