
मध्य प्रदेश सुसाइड प्रिवेंशन पॉलिसी (suicide prevention policy) लाने वाला पहला राज्य बनने जा रहा है. राज्य के चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास कैलाश सारंग ने इसके बारे में मीडिया को बताया. मध्य प्रदेश देश की पहली सुसाइड प्रिवेंशन पॉलिसी (आत्महत्या रोकथाम नीति) का निर्माण चिकित्सा शिक्षा विभाग ने किया है. प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास कैलाश सारंग ने इस फैसले की जानकारी मीडिया को दी है.
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड की ओर से जारी किए गए आंकड़ों के तहत देश में 2020 में 153,052 लोगों ने आत्महत्या कर ली. अकेले मध्यप्रदेश में 14,578 लोगों ने आत्महत्या की है, वहीं पूरे देश के अंदर रोजाना 418 लोगों ने आत्महत्या की. जिसके बाद प्रति लाख आबादी पर सुसाइड रेट 2019 के मुकाबले 10.4 से बढ़कर 11.3 हो गया.
चिकित्सा मंत्री ने एक शोध के हवाले से बताया कि आत्महत्या की एक घटना के साथ ऐसे 200 लोग होते हैं, जो इसके बारे में सोच रहे होते हैं. वहीं 15 लोग इसका प्रयास कर चुके होते हैं. आत्महत्या उत्पादक आयु वर्ग की मृत्यु का ये दूसरे से तीसरा सबसे बड़ा कारण है. इन आंकड़ों से हम समझ सकते हैं कि कुछ प्रयासों और नीतियों से कितनी सारी मौतों को रोका जा सकता है.
आत्महत्या मृत्यु का एक ऐसा कारण है जिसे 100 प्रतिशत रोका जा सकता है. मनोचिकित्सक डॉ. सत्यकांत त्रिवेदी द्वारा दिए गए सुझाव पत्र पर सरकार ने गम्भीरता से गौर करते हुए इस दिशा में काम आरंभ कर दिया है. मंत्री सारंग ने बताया कि इस कमेटी में देश के ख्यातिलब्ध मनोचिकित्सकों, विधिविशेषज्ञों ,समाजशास्त्रियों को शामिल किया गया है. हमारा लक्ष्य है कि प्रदेश इस पॉलिसी को अगले 2 से 3 महीने के समय में लागू कर पाएं. इस पॉलिसी के जरिये आत्महत्या के पीछे के सभी कारणों जैसे आर्थिक सामाजिक, मनोवैज्ञानिक का विश्लेषण करते हुए हर घटक पर अध्ययन कर उसके अनुसार से नीति पर क्रियान्वयन किया जाएगा.