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Omicron से संक्रमित होने के बाद कितने लोग पहुंचे आईसीयू, मौत का खतरा कितना? सामने आए आंख खोलने वाले आंकड़े

दक्षिण अफ्रीका में कोविड-19 के मरीजों पर हुई एक स्टडी में ओमिक्रॉन से संक्रमित 31 फीसद मरीजों में रेस्पिरेटरी के घातक लक्षण देखे गए हैं. जबकि डेल्टा संक्रमितों में इसका खतरा 91 फीसद तक देखा गया है.

Omicron के बीच आई अच्छी खबर, डेल्टा जितना जानलेवा नहीं नया वैरिएंट (Photo: Reuters) Omicron के बीच आई अच्छी खबर, डेल्टा जितना जानलेवा नहीं नया वैरिएंट (Photo: Reuters)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 03 जनवरी 2022,
  • अपडेटेड 4:59 PM IST
  • ओमिक्रॉन वैरिएंट डेल्टा से कम खतरनाक
  • एक्सपर्ट ने शेयर किए राहत देने वाले आंकड़े

भारत में ओमिक्रॉन के बढ़ते मामलों के बीच एक अच्छी खबर सामने आई है. जाने-माने एक्सपर्ट डॉ. फहीम यूनुस ने अपने ट्विटर हैंडल पर महामारी में राहत देने वाले कुछ आंकड़े साझा किए हैं. एक हालिया स्टडी के आधार पर डॉ. यूनुस ने ओमिक्रॉन वैरिएंट को पिछले साल तबाही मचाने वाले डेल्टा से कम खतरनाक बताया है.

दक्षिण अफ्रीका में कोविड-19 के मरीजों पर हुई एक स्टडी में ओमिक्रॉन से संक्रमित 31 फीसद मरीजों में रेस्पिरेटरी (सांस से जुड़ी दिक्कतें) के घातक लक्षण देखे गए हैं. जबकि डेल्टा संक्रमितों में इसका खतरा 91 फीसद तक देखा गया है. इस दौरान डेल्टा के मरीजों को लगभग सात दिन अस्पताल में एडमिट रखना पड़ा, लेकिन ओमिक्रॉन के मरीजों को 3 दिन से ज्यादा अस्पताल में रखने की आवश्यकता नहीं पड़ी.

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स्टडी के मुताबिक, डेल्टा के 69 प्रतिशत मरीजों को अस्पताल में एडमिट करने की जरूरत पड़ी, जबकि ओमिक्रॉन में केवल 41 प्रतिशत मरीजों को ही अस्पताल में एडमिट करने की नौबत आई. आंकड़े बताते हैं कि डेल्टा के 30 प्रतिशत मरीजों को आईसीयू में दाखिल किया गया था, जबकि ओमिक्रॉन में केवल 18 प्रतिशत मरीजों के लिए ही आईसीयू की जरूरत महसूस हुई.

मरीजों को वेंटीलेटर पर रखने के मामले में भी बड़ी राहत देखी गई. डेल्टा से संक्रमित करीब 12 प्रतिशत मरीजों को वेंटीलेटर पर रखने की जरूरत पड़ी, जबकि ओमिक्रॉन के मामले में यह आंकड़ा केवल 1.6 प्रतिशत था. इसी तरह, डेल्टा रोगियों में मृत्यु दर 29 प्रतिशत थी, जबकि ओमिक्रॉन के मरीजों में मृत्यु दर केवल 3 प्रतिशत देखने को मिली.

हालांकि डॉ. यूनुस ने कहा, 'इन सकारात्मक आंकड़ों के बावजूद स्टडी की कुछ सीमाएं भी थीं. यहां ओमिक्रॉन वाले ग्रुप में युवा मरीज शामिल थे और इसके बेहतर परिणाम की एक वजह पूर्व संक्रमण और वैक्सीन से डेवलप हुई इम्यूनिटी भी हो सकती है. डेल्टा वाले ग्रुप में मरीजों की औसत आयु 59 थी, जबकि ओमिक्रॉन वाले ग्रुप में मरीजों की औसत आयु 36 थी.'

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उन्होंने आगे कहा, 'ओमिक्रॉन वाले ग्रुप का सीक्वेंसिंग डेटा भी यहां उपलब्ध नहीं था. हालांकि जब ओमिक्रॉन की बात आती है तो तमाम स्टडीज में इसी तरह के पैटर्न दिखाए गए हैं.' बता दें कि भारत में ओमिक्रॉन संक्रमण के अब तक 1,700 से भी ज्यादा मामले दर्ज किए जा चुके हैं. देश के कई हिस्सों में ओमिक्रॉन के साथ डेल्टा के भी नए मामले सामने आ रहे हैं.

 

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