
कई लोगों को भीड़भाड़ वाली जगह पर जाने से डर लगता है. दरअसल, यह एक मानसिक स्थिति है, जिसमें व्यक्ति के अंदर एक गहरा डर होता है और जब भी वह भीड़ वाले इलाके में जाता है तो उसे चक्कर आने लगते हैं, शरीर कांपने लगता है और घबराहट महसूस होने लगती है. कई लोगों को तो भीड़ में जाने से पैनिक अटैक भी आ जाता है, क्योंकि एगोराफोबिया एक एंग्जाइटी डिसऑर्डर है.
मनोवैज्ञानिकों के मुताबिक, एगोराफोबिया से पीड़ित व्यक्ति लोगों से मिलने-जुलने में भी कतराने लगता है, जिसकी वजह से वह ज्यादातर समय अकेले रहता है और अगर सही समय पर इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो यह अकेलापन उनमें किसी बड़ी मानसिक बीमारी जैसे डिप्रेशन, सोशल एंग्जायटी, या पैनिक अटैक का कारण बन जाता है.
एगोराफोबिया के लक्षण
1. व्यक्ति घर के बाहर निकले से हिचकिचाता है.
2. इंसान भीड़-भाड़ की जगह पर जाने से बचता है.
3. व्यक्ति ऐसी किसी भी जगह जाने से बचता है जहां ज्यादा लोग मौजूद हों.
4. एगोराफोबिया से पीड़ित व्यक्ति पब्लिक ट्रांसपोर्ट में जाने से बचता है.
5. भीड़ में जाने से एगोराफोबिया से पीड़ित इंसान की दिल की धड़कने बढ़ जाती है, हाथ-पैर कांपने लगते हैं, तेज पसीना आता है, मुंह सूखने लगता है, सीने व सिर में दर्द होने लगता है और चक्कर आने लगते हैं.
6. कभी-कभी जरूरत से ज्यादा स्ट्रेस पहले से परेशान व्यक्ति को और भी बीमार कर सकता है. वहीं, जेनेटिक फैक्टर्स भी एगोराफोबिया का कारण हो सकते हैं.
एगोराफोबिया से ऐसे पाएं निजात
1. शराब और कैफीन युक्त पदार्थों का सेवन ना करें.
2. स्वस्थ और संतुलित आहार लें.
3. नियमित रूप से एक्सरसाइज और मेडिटेशन करें.
4. किसी अच्छे मनोचिकित्सक से संपर्क करें.
5. दवाईयां और संज्ञानात्मक व्यवहार थेरेपी (सीबीटी) के द्वारा भी एगोराफोबिया का उपचार किया जाता है.
6. मन में बसे डर को बाहर निकालने के लिए ब्रीदिंग और विजुअलाइजेशन की मदद लें. डीप ब्रीदिंग एक्सरसाइज से मन में मौजूद विचारों को नियंत्रित किया जा सकता है. इसके अलावा किसी चीज पर ध्यान लगाने से मसल्स में रिलैक्सेशन बढ़ने लगता है. रिलेक्सेशन तकनीक डर को काबू करने में काफी मददगार है.
7. थेरेपी से डर की भावना को कंट्रोल करने के अलावा डॉक्टर से जांच और सुझाव के बाद ही दवा लें. इससे मानसिक स्वास्थ्य सही बना रहता है और फोबिया से बचा जा सकता है. एंटीडिप्रेसेंट या एंटी एंग्जाइटी दवाएं दिमाग को सुकून पहंचाती है, लेकिन किसी भी दवाई का सेवन डॉक्टर की सलाह लेकर ही करें.