
पीरियड्स (मासिक धर्म) से पहले स्त्रियों में मूड-व्यवहार और बॉडी में परिवर्तन के संकेत नजर आते हैं. ये पीरियड्स से एक साइकिल के पैटर्न में होते हैं. इसके बाद प्रजनन आयु की महिलाओं में मासिक धर्म की अवधि के बाद यह संकेत कम हो जाते हैं. इसमें अधिकांश महिलाओं को केवल हल्की असुविधा होती है.
इसे प्री मेंस्रुअल सिंड्रोम के लक्षण कहा जाता है जो कि महिलाओं के व्यक्तिगत, सामाजिक, या पेशेवर जीवन में हस्तक्षेप नहीं करते हैं. हालांकि, अध्ययन बताते हैं कि 5% से 8% महिलाओं में इस तरह के कई लक्षण मध्यम से गंभीर स्थिति में होते हैं.
इस डिसऑर्डर के प्रबंधन में इंटरप्रोफेशनल टीम की भूमिका जरूरी हो जाती है. IHBAS के वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉ ओमप्रकाश बताते हैं कि प्रीमेंस्ट्रुअल डिस्फोरिक डिसऑर्डर (PMDD) प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम (PMS) का अधिक गंभीर रूप है. यह प्रसव वाली उम्र की महिलाओं को प्रभावित कर सकता है. यह एक गंभीर और क्रोनिक मेडिकल कंडीशन है जिसमें उपचार की भी जरूरत होती है.
क्या हैं PMDD के लक्षण?
पीरियड्स से पहले सप्ताह के दौरान PMDD के लक्षण प्रकट होते हैं और पीरियड्स शुरू होने के कुछ दिनों के भीतर चले जाते हैं. ये लक्षण दैनिक जीवन के कार्यों को बाधित करते हैं. पीएमडीडी के लक्षण इतने गंभीर होते हैं कि इस दौरान महिलाओं को घर, काम और रिश्तों में सामंजस्य में परेशानी होती है. ये वक्त महीने के आम दिनों की तुलना में एकदम अलग महसूस होता है.
कैसे पीएमडीडी का पता लगाते हैं डॉक्टर
एक कंपलीट मेडिकल हिस्ट्री और फिजिकल और पेल्विक टेस्ट के अलावा इसके बहुत कम नैदानिक परीक्षण हैं. वजह यह है कि ये मानसिक स्वास्थ्य के लक्षण हैं, इसलिए आपके डॉक्टर आपको मानसिक स्वास्थ्य संबंधी प्रॉब्लम्स को समझने के लिए इवैल्यूएशन कराता है. इसके अलावा आपके डॉक्टर आपसे कई महीनों तक अपने लक्षणों को लिखकर डायरी में रखने के लिए कह सकता है. सामान्य तौर पर, पीएमडीडी को पहचानने के लिए नीचे बताए जा रहे 11 लक्षणों में से 5 या इससे ज्यादा लक्षण प्रभावी तौर पर मौजूद होने चाहिए.
साल भर पीरियड्स से पहले इन 11 में से 5 लक्षण हैं तो लें डॉक्टरी सलाह
क्या होता है इलाज का तरीका
डॉ ओमप्रकाश ने कहा कि प्री मेंस्रुअल डिस्फोरिक डिसऑर्डर एक सीरियस और क्रोनिक कंडीशन होती है जिसमें ट्रीटमेंट बहुत जरूरी होता है. इसमें मेडिकल प्रोफेशनल कई तरह के तरीके अपनाते हैं. इनमें से कुछ सामान्य तरीके यहां दिए जा रहे हैं.