
केस स्टडीः उत्तर प्रदेश
मोहम्मद आमिर (30 वर्ष)
टेलर, देवा शरीफ
बाराबंकी में हाजी वारिस अली शाह के जन्मस्थान देवा शरीफ के पास देवा के मुख्य बाजार में दर्जी का काम करने वाले मोहम्मद आमिर के पास 3 मई को पड़ रही ईद से पहले देने के लिए सिलाई का ढेरों काम था. दो साल की महामारी में ईद के सारे रंग फीके हो गए थे, लेकिन देवा शरीफ के लोगों ने इस बार धूमधाम से त्योहार मनाने का पक्का मन बना रखा था.
इस मौके पर आमिर के पास लगभग 150 लोगों के कपड़े सिलने के ऑर्डर थे. इसे पूरा करने के लिए उन्होंने दिन-रात काम किया, लेकिन बिजली कटौती ने सारा खेल बिगाड़ दिया. रात में बिजली न होने पर आमिर को अपने सेलफोन की टॉर्च और मोमबत्ती की रोशनी में कपड़े सिलने पड़े, फिर भी वे सभी के कपड़े सिल नहीं पाए.
''इस बार कोई लॉकडाउन नहीं था, लेकिन अघोषित बिजली कटौती ने ईद की हमारी खुशियां चुरा लीं’’ कह कर आमिर चुप रह गए. लेकिन अलीगढ़, मुरादाबाद और पीलीभीत सहित कई जिलों में इन हालात से नाराज लोग सड़कों पर उतर आए.
अप्रैल में ही तेज गर्मी की मार से प्रदेश में बिजली की मांग 23,000 मेगावॉट से ऊपर चली गई थी, जबकि राज्य केवल 19,000 मेगावॉट की ही आपूर्ति कर सका था. 4,000 मेगावॉट की कमी को पूरा करने के लिए उसे अघोषित कटौती का सहारा लेना पड़ा. राज्य ने ग्रामीण क्षेत्रों में 18 घंटे और नगर पंचायतों और तहसीलों को 21.3 घंटे बिजली की आपूर्ति की उम्मीद की थी.
लेकिन बिजली विभाग की एक रिपोर्ट के मुताबिक ग्रामीण इलाकों में औसतन 9.19 घंटे, नगर पंचायतों को 14.33 घंटे और तहसील क्षेत्रों में औसतन 15.07 घंटे की आपूर्ति हो रही थी. राज्य के बिजली मंत्री अरविंद शर्मा ने उत्तर प्रदेश के बिजली संकट के लिए पिछली सरकारों को दोषी ठहराते हुए कहा कि ''पिछले 50 वर्षों में यूपी में बिजली की स्थिति में सुधार के लिए कोई प्रयास नहीं किया गया. इसका खामियाजा जनता को भुगतना पड़ रहा है.’’ पर अब भाजपा के लगातार दूसरे कार्यकाल में न्न्या चीजें बदलेंगी या यही हाल रहेगा?