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राजस्थान में पकड़े गए फर्जी भारतीय वोटर कार्ड के साथ बांग्लादेशी घुसपैठिए

राजस्थान से लगती अंतरराष्ट्रीय सीमा के जरिए घुसपैठ करने वाले बांग्लादेशियों के पास भारत के फर्जी मतदाता पहचान पत्र मिल रहे.

विमल भाटिया
  • राजस्थान,
  • 15 जुलाई 2014,
  • अपडेटेड 4:31 PM IST

राजस्थान के जरिए अंतरराष्ट्रीय सीमा को पार कर पाकिस्तान जाने वाले बांग्लादेशी घुसपैठियों को रोकने में आज तक कामयाबी नहीं मिल सकी है. लेकिन अब इस मसले ने और भी गंभीर रूप ले लिया है. 8 जुलाई को जैसलमेर से लगती अंतरराष्ट्रीय सीमा के निकट तनोट क्षेत्र में एक बांग्लादेशी घुसपैठिया पकड़ा गया जिसके पास से भारतीय निर्वाचन आयोग का फर्जी मतदाता पहचान पत्र मिला. बीएसएफ के हत्थे चढ़े 39 वर्षीय शाहिदुल इस्लाम के पास से बरामद मतदाता पहचान पत्र पर 24 उत्तरी परगना का पता लिखा था जबकि वह ढाका का निवासी है.

इस घटना के पांच दिन पहले ही बाड़मेर के मुनाबाव क्षेत्र से एक घुसपैठिया बांग्लादेशी मौलवी पकड़ा गया था, उसके पास से भी फर्जी मतदाता पहचान पत्र मिला था. बाड़मेर पुलिस अधीक्षक हेमंत शर्मा बताते हैं, “मतदाता पहचान पत्र के जरिए उसने भारत में सिम जारी करवाई थी. पकड़े जाने के बाद उसने सिम तोड़कर फेंक दी. उसके पास कुछ नक्शे भी मिले हैं इसलिए संदेह और भी गहरा रहा है.”

शम्सुद्दीन नाम का यह मौलवी जीआरपी कस्टडी से फरार होने में भी कामयाब हो गया था. चार दिन तक वह खुफिया एजेंसियों की नाक के नीचे बाड़मेर के ही एक मदरसे में मौलवी बनकर रहा. हालांकि बाद में वह फिर सुरक्षा एजेंसियों के हत्थे चढ़ गया. गौर तलब है कि शम्सुद्दीन के पकड़े जाने के बाद खुफिया एजेंसियों को आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा की ओर से बाड़मेर सहित राजस्थान के दस रेलवे स्टेशनों को उड़ाने की धमकी मिली थी. खुफिया एजेंसियां इस धमकी को गंभीरता से ले रही हैं.

पिछले माह भी बीएसएफ ने जैसलमेर से लगती पाकिस्तान की सीमा के नजदीक चार बांग्लादेशी घुसपैठियों को पकड़ा था. इनमें से तीन के पास भारत के फर्जी मतदाता पहचान पत्र मिले थे. पिछले महीने सीमावर्ती तनोट क्षेत्र में भी चार बांग्लादेशी घुसपैठिए पकड़े गए थे. अयासीन मियां नाम का आदमी सोहैल मियां, जुनाब अली और जुनैद अहमद नाम के बाकी के तीन घुसपैठियों को बेनपोल क्षेत्र से लगती बांग्लादेशी सीमा से भारत लाया था.

पूछताछ में इन घुसपैठियों ने बताया कि वे बीती 1 मार्च को भारतीय सीमा में घुसे थे. मोहम्मद अयासीन नाम का एक आदमी उन्हें बेलगाम से मालदा लाया था. यहां वे एक हफ्ते तक अब्दुल कलाम नाम के स्थानीय व्यक्ति के घर में रुके थे. कलाम ने इनका फर्जी पहचान पत्र बनवाया था जिसके बल पर ये चारों मालदा रेलवे स्टेशन से दिल्ली आए और यहां उन्होंने लोकल सिम भी खरीदी थी.

बीएसएफ के अधिकारियों के मुताबिक, अयासीन मियां से पूछताछ में पता चला है कि वह पहले भी दो बार जैसलमेर से लगती अंतरराष्ट्रीय सीमा के जरिए पाकिस्तान जा चुका है. इधर से वह नौकरी करने ईरान तक गया था. इससे उसकी हिम्मत बढ़ी लेकिन तीसरी बार घुसपैठ करने की कोशिश में पकड़ा गया.

(फर्जी भारतीय वोटर कार्ड)
सीमा पार से आने वाले बांग्लादेशी घुसपैठियों की तादाद तेजी से बढ़ रही है. इसकी वजह बताते हुए बीएसएफ के एक वरिष्ठ अधिकारी कहते हैं, “पिछली केंद्र सरकार ने सीमा पार से आ रहे बांग्लादेशी घुसपैठियों पर हल्के हथियारों का इस्तेमाल करने के निर्देश दिए थे. इसलिए सालभर में घुसपैठियों को मार गिराने का आंकड़ा 100 से घटकर 9 रह गया है.” यूपीए सरकार ने बीएसएफ को बांग्लादेश से लगती अंतरराष्ट्रीय सीमा पार से आने वाले घुसपैठियों पर पंप ऐक्शन गन जैसे हलके हथियारों का इस्तेमाल करने को कहा था. साफ है वोट बैंक की राजनीति ने भारत की सीमाओं को बेहद असुरक्षित कर दिया है. रोजगार की तलाश में ईरान जाने वाले बांग्लादेशियों की तादाद भी तेजी से बढ़ रही है. ये लोग भारत की सीमा में अवैध रूप से घुसकर पाकिस्तान जाते हैं और वहां से ईरान की राह पकड़ लेते हैं. 2011 से अब तक 55 से ज्यादा बांग्लादेशी घुसपैठ करते पकड़े गए हैं, जो पाकिस्तान होते हुए नौकरी करने ईरान जाना चाहते थे.

देश को सुरक्षित रखना है तो सीमाओं को चाक चौबंद करना होगा. सरकार को भी वोट बैंक की राजनीति से ऊपर उठते हुए कुछ कड़े कदम उठाने होंगे.

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