
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल की पुलिस ने सोमवार, 14 फरवरी को भाजपा सांसद तथा 2008 मालेगांव धमाके की आरोपी साध्वी प्रज्ञा ठाकुर की ओर से दायर 'सेक्सटॉर्शन' (सेक्स/अश्लील सामग्री के नाम पर जबरन वसूली) वीडियो कॉल मामले के मुख्य संदिग्धों राविन खान और वारिस खान को राजस्थान के भरतपुर से गिरफ्तार किया. दोनों संदिग्ध युवक अपनी उम्र के बीसवें पड़ाव में हैं. सांसद का दावा है कि 6 फरवरी की रात को उन्हें एक वीडियो कॉल आया, जिसमें दूसरी तरफ की महिला ने अपने कपड़े उतारने शुरू कर दिए. ठाकुर ने कॉल को काट दिया लेकिन उसके तुरंत बाद उनकी और नग्न महिला की एक ही फ्रेम में स्नैपशॉट उन्हें भेजी गई और वसूली की धमकी दी गई
यह कोई अकेली घटना नहीं है. पिछले कुछ वर्षों में खासकर राजस्थान और मेवात इलाके से किए जाने वाले सेक्सटॉर्शन के मामले बढ़े हैं. राज्य के राजस्व मंत्री रामलाल जाट को हनीट्रैप में फंसाने की कोशिश के मामले में 30 जनवरी को जोधपुर के एक होटल की छठी मंजिल से कूदकर एक 19 वर्षीया मॉडल ने आत्महत्या करने की कोशिश की. इस मामले का मुख्य आरोपी अक्षत शर्मा है. उसे 2016 में झूठे बलात्कार के आरोप में अमीर और आसानी से शिकार होने वाले लोगों को फंसाने वाला ऐसा ही रैकेट चलाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. वह जमानत पर था और इस नई करतूत के लिए एक ऑनलाइन समाचार चैनल के रिपोर्टर के रूप में खुद को पेश कर रहा था.
उदयपुर की एक ब्यूटीशियन दीपाली के साथ मिलकर अक्षत अपने 'असाइनमेंट' के लिए किशोर मॉडलों को इस्तेमाल कर रहा था. जिस लड़की ने आत्महत्या करने की कोशिश की, उससे अक्षत चाहता था कि वह भीलवाड़ा में सरकारी दौरे के दौरान मंत्री को बहका कर फांसे, लेकिन वह घबरा गई और अपने गृहनगर जोधपुर लौट आई. परिवारवालों को अपनी परेशानी बताने के बाद वह लड़की होटल की छत से कूद गई. इस बीच अक्षत ने भीलवाड़ा में मंत्री को एक फाइल पर हस्ताक्षर करने को मनाने के लिए दो अन्य महिलाओं को भेजा, जो खुद को पत्रकार बता रही थीं. जब रामलाल ने ऐसा करने से मना कर दिया तो अक्षत ने कथित रूप से उन्हें फोन किया और उन दो महिलाओं से अकेले में मिलने का सुझाव दिया. मंत्री का कहना है कि उन्होंने उसकी पेशकश को ठुकरा दिया.
अक्षत के पुराने शिकारों में दिल्ली के एक पूर्व कांग्रेसी सांसद, राजस्थान के दो प्रमुख डॉक्टर और रियल एस्टेट डेवलपर शामिल हैं. इस बीच, मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट ने पुलिस पर गिरफ्तारी में गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए अक्षत और दीपाली को जमानत दे दी, जिससे कई लोग चौंक गए. चर्चा है कि जोधपुर पुलिस ने अन्य वीआइपी पीड़ितों के नाम उजागर करने से आरोपी को रोकने के लिए मामले को कमजोर किया.
रामलाल जाट के मामले ने उनके सहयोगियों में भी डर फैला दिया है और जयपुर में 2 फरवरी की मंत्रिमंडल की बैठक के बाद यह चर्चा का गर्मागर्म मुद्दा था. मंत्री ने पत्रकारों से कहा, ''मैं भाग्यशाली था और उस लड़की का शुक्रगुजार हूं जिसने ऐसे घिनौने मामले में लिप्त होने की बजाए आत्महत्या करना पसंद किया.'' कुछ महीने पहले, एक अन्य मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास के एक सहयोगी के खिलाफ यौन शोषण का मामला दर्ज कराया गया था, लेकिन पुलिस ने जांच के बाद आरोप को झूठा पाया और 'पीड़ित' को ही गिरफ्तार कर लिया.
हाल के दिनों में मध्य प्रदेश में भी ऐसे कई मामले सामने आए हैं. प्रज्ञा ठाकुर के मामले से हफ्तों पहले शिवपुरी के वरिष्ठ भाजपा नेता हरिहर शर्मा ने एक अर्धनग्न महिला के वीडियो कॉल करने के संबंध में मामला दर्ज कराया था. अगस्त, 2021 में ग्वालियर में राजस्व अधिकारी रविनंदन तिवारी ने एफआइआर दर्ज करवाई थी कि एक नग्न महिला ने उनके साथ कॉल रिकॉर्ड कर लिया और बाद में 50,000 रुपए की मांग कर रही थी. उसी महीने, शहर में जिला कांग्रेस सेवा दल के हरेंद्र सिंह गुर्जर ने भी वैसी ही शिकायत दर्ज कराई थी.
प्रज्ञा ठाकुर का मामला किसी महिला को निशाना बनाए जाने का पहला मामला हो सकता है, लेकिन यह साफ नहीं है कि क्या दोनों संदिग्धों ने उनके सियासी रुझान की वजह से उन्हें निशाना बनाया. दोनों संदिग्ध मुस्लिम समुदाय से हैं. लेकिन एक बात साफ है कि मेवात का इलाका, जहां से ये दोनों गिरफ्तार हुए हैं, अब 'वर्चुअल हनीट्रैप' समेत साइबर अपराधों का गढ़ बना चुका है.
राजस्थान के स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (एसओजी) के एडिशनल डीजीपी अशोक राठौड़ कहते हैं, ''पैसा बनाने के नए रास्ते तलाशने के लिए अपराधी दिमाग भिड़ाते रहते हैं. सेक्सटॉर्शन नया चलन है.'' साइबर अपराधों में इस्तेमाल संदिग्ध टेलीफोन नंबरों की निगरानी के लिए तेलंगाना पुलिस की ओर से विकसित साइकैप्स नामक पोर्टल पर एक मैप पर नजर डालने के बाद वे कहते हैं कि उसका लोकेशन ट्रैकर विस्तृत मेवात इलाके के सात पुलिस जिलों में सक्रिय ऐसे नंबरों का बहुत अधिक घनत्व दिखाता है. ये जगहें हैं—राजस्थान में भरतपुर, अलवर, भिवाड़ी तथा यूपी में आगरा और मथुरा, हरियाणा में नूह और मेवात और दिल्ली के कुछ हिस्से. सेक्स और ब्लैकमेल के मामलों में इस इलाके से कई अपराधियों की गिरफ्तारी हुई है.
साल 2020 में इन जिलों के लिए एक अंतरराज्यीय सहयोग सेल की स्थापना हुई थी जिसमें सभी चार राज्यों के संबंधित पुलिस आइजी और एसपी को शामिल किया गया था. इन जिलों में सक्रिय कई मोबाइल फोन में ओडिशा, पश्चिम बंगाल और बिहार में जारी सिम कार्ड का इस्तेमाल किया जाता है.
दिल्ली पुलिस ने 9 फरवरी को मेवात इलाके से 28 वर्षीय समदीन और 26 वर्षीय मुनफेद को गिरफ्तार किया. दोनों पर वर्चुअल हनीट्रैप के जरिए कम से कम 200 लोगों से धोखाधड़ी करने का आरोप है. ऐसे ही हनीट्रैप में भाजपा सांसद को फंसाने की कोशिश हुई थी. उन दोनों के खातों से 22 लाख रुपए बरामद किए गए. पिछले साल अक्तूबर में, दिल्ली पुलिस ने ऐसे ही आरोप में भरतपुर जिले से नासिर को गिरफ्तार किया था. दिसंबर, 2021 में दिल्ली पुलिस ने हरियाणा के बहादुरगढ़ से नीरज को पकड़ा था जो ऐसा ही गैंग चलाता था. उसके गैंग ने कम से कम 12 शिकार बनाए थे जिनसे उन लोगों ने 1 करोड़ रुपए वसूले थे. गैंग के सदस्यों ने फर्जी पहचान-पत्रों के जरिए सोशल मीडिया एकाउंट बनाए थे और संभावित शिकारों को तैयार किया और उन्हें अपनी महिला साथियों के साथ शारीरिक संबंधों को लिए फुसलाया.
इस बीच राजस्थान में सेक्सटॉर्शन के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. पुलिस जयपुर के सरकारी एसएमएस अस्पताल के रेजिडेंट डॉक्टरों की कई शिकायतों की जांच कर रही है. पिछले साल नवंबर में, एक प्रमुख शख्सियत का आपत्तिजनक वीडियो बनाने और पैसा वसूलने के मामले में एसओजी ने पांच आरोपियों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया था. उनमें से दो आरोपी अलवर के थे.
पुलिस का कहना है कि साइबर वित्तीय धोखाधड़ी के पीड़ित देश के हर हिस्से में फैले हुए हैं, लेकिन सेक्सटॉर्शन के ढेर सारे शिकार दक्षिणी राज्यों के हैं. हालांकि साइकैप्स सोशल मीडिया प्रोफाइल, इस्तेमाल किए गए हैंडसेट के आइएमईआइ नंबर और एक-दूसरे से जुड़े फोन नंबर समेत काफी सारे आंकड़े इकट्ठा करता है, लेकिन फिर भी संदिग्ध को धर-दबोचने के लिए यह पर्याप्त नहीं है क्योंकि इसमें कई सारे पुलिस स्टेशन, बैंक और भुगतान पोर्टल शामिल होते हैं.
राजस्थान के डीजीपी एम.एल. लाठर का कहना है, ''लोगों को अजनबियों के साथ ऑनलाइन बातचीत में सावधानी बरतनी चाहिए और किसी भी संदिग्घ नंबर/गतिविधि की तुरंत शिकायत करनी चाहिए.'' 2016 में अक्षत शर्मा गैंग के मामले में 30 पीडि़तों में से केवल पांच लोग शिकायत दर्ज कराने के लिए सामने आए थे. यहां तक कि 20 लाख रुपए की फिरौती देने वाले प्रमुख कांग्रेसी नेता ने भी जांच में शामिल होने से इनकार कर दिया था.
एक बड़ी चिंता यह है कि इसमें बच्चों को शिकार बनाया जा सकता है. एक वरिष्ठ पुलिस अफसर कहते हैं, ''अगर वे महिला सांसद के साथ ऐसा कर सकते हैं तो वे किसी को भी शिकार बना सकते हैं.'' केंद्रीय गृह मंत्रालय साइबरटिपलाइन संचालित कर रहा है जो बच्चों की अश्लील सामग्री, बलात्कार आदि के संदिग्ध वीडियो अपलोड करने वालों और ऐसी सामग्रियों तक पहुंचने वालों के बारे में राज्य पुलिस को सचेत करता है.