Advertisement

ओडिशाः कोरोमंडल पर खास नजर

ओडिशा में मोदी की बार-बार सभाएं करने की वजह भी यही बताई जा रही है. इस क्षेत्र में 160 सीटें ऐसी हैं जहां भाजपा कमजोर है. लेकिन कई सीटें ऐसी भी हैं जहां भाजपा 2014 में कम अंतर से पराजित हुई है.

अब यहां नजर  ओडिशा के बारिपाड़ा में एक जनसभा को संबोधित करते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अब यहां नजर ओडिशा के बारिपाड़ा में एक जनसभा को संबोधित करते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
मंजीत ठाकुर/संध्या द्विवेदी
  • नई दिल्ली,
  • 15 जनवरी 2019,
  • अपडेटेड 4:42 PM IST

जनवरी की पांच तारीख को ओडिशा से मयूरभंज जिले के बारीपड़ा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली के साथ ही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने पूर्वी और तटीय राज्यों में मिशन 2019 की शुरुआत कर दी. हालांकि प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी का पूरा फोकस ओडिशा पर रहा है. वे हर बार यहां के लिए सौगातों की घोषणा करके लौट जाते हैं. चार साल की उपलब्धियों को बताने के लिए देश में पहली जनसभा 26 मई, 2018 को कटक में महानदी के किनारे करके भी मोदी ने संकेत दे दिया था कि ओडिशा उनके लिए कितना अहम है. दरअसल, इस राज्य से भाजपा तटीय राज्यों (कोरोमंडल) में फतह के मंसूबे पाले हुए है. इस रणनीति के तहत ही भाजपा ने दक्षिण और पूर्व क्षेत्र, दोनों में जीत का लक्ष्य रखा है.

Advertisement

जाहिर तौर पर 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए खुद प्रधानमंत्री मोदी ही भाजपा के स्टार प्रचारक हैं और ओडिशा में उनकी 10वीं जनसभा बलांगीर में आयोजित की जाएगी. चुनाव से पहले मोदी की 100 सभाएं और चुनाव बाद 100 सभाएं (?) करने की योजना भाजपा के रणनीतिकारों ने बनाई है. यानी यहां भी चुनाव जिताने का पूरा दारोमदार मोदी पर है.

बीते साल अप्रैल में पार्टी की नेशनल एग्जक्यूटिव कमेटी की बैठक भुवनेश्वर में आयोजित करके भोजपा के नेतृत्व ने ओडिशा फतह के अपने मंसूबे के संकेत दे दिये थे. जिला परिषद चुनाव में सफलता के बाद बिजैपुर उपचुनाव में पराजय से भाजपा राज्य इकाई में सन्नाटा सा था, जिसे भरने का काम मोदी ने बखूबी किया है.

वहीं भाजपा, तीन राज्यों में मिली हालिया हार और उत्तर प्रदेश के सपा-बसपा तथा महाराष्ट्र के कांग्रेस-एनसीपी के गठबंधन की भरपाई कोरोमंडल क्षेत्र से करना चाहती है. ओडिशा में मोदी की बार-बार सभाएं करने की वजह भी यही बताई जा रही है. इस क्षेत्र में 160 सीटें ऐसी हैं जहां भाजपा कमजोर है. लेकिन कई सीटें ऐसी भी हैं जहां भाजपा 2014 में कम अंतर से पराजित हुई है. भारतीय प्रायद्वीप का दक्षिण पूर्वी तटवर्ती क्षेत्र, जिसे कोरोमंडल कहा जाता है, भाजपा की 2019 की चुनावी रणनीति में सबसे महत्वपूर्ण है.

Advertisement

भाजपा की नेशनल एग्जक्यूटिव की भुवनेश्वर में पिछले साल 15 और 16 अप्रैल की बैठक के दौरान पार्टी की ओडिशा इकाई के प्रमुख नेताओं ने मोदी से अनुरोध भी किया था कि सोमनाथ (गुजरात) से राजनीति शुरू करके, काशी विश्वनाथ (वाराणसी) लोकसभा का प्रतिनिधित्व करते हुए, अब अगर अगला चुनाव वे जगन्नाथ (पुरी) से लड़ें तो कोरोमंडल की राह आसान हो सकती है. पार्टी के सूत्र बताते हैं कि केंद्रीय नेतृत्व और खुद मोदी इस पर गंभीरता से विचार कर रहे हैं. भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने तो सदस्यता अभियान के दौरान ओडिशा से ही अपनी सक्रिय सदस्यता ली थी.

इतना ही नहीं, बल्कि इस रणनीति के जरिए भाजपा की निगाहें ओडिशा विधानसभा चुनावों पर भी हैं. मोदी के दौरे से अमित शाह का ओडिशा विधानसभा चुनाव में मिशन 120+ छूने का रास्ता आसान होगा. राज्य के एक भाजपा नेता कहते हैं, ''मोदी का ओडिशा दौरा लोकसभा में सीटें बढ़ाएगा ही, साथ ही विधानसभा चुनाव में भाजपा मिशन 120+ थोड़ा आसान हो जाएगा.'' ओडिशा में दोनों चुनाव एक साथ होने हैं. खोरदा और बारीपड़ा (मयूरभंज) की जनसभा में भीड़ देखकर मोदी गद्गद थे. अब बारी बलांगीर की है. वहां की सभा 15 जनवरी को होनी है.

राज्य के तटवर्ती जिलों और दक्षिण ओडिशा के मुकाबले भाजपा पश्चिम ओडिशा में अपेक्षाकृत ठीक-ठाक है. साल 2004 में कांग्रेस को रोकने के लिए बीजद और भाजपा ने गठबंधन किया था और 93 विधानसभा सीटें जीत ली थीं. बीजद तब 84 सीटों पर लड़ा था और 61 सीटें जीती थीं जबकि भाजपा ने 63 में से 32 सीट हासिल की थी. बीजद और भाजपा का वोट का प्रतिशत 2004 में क्रमशः 27.5 और 17.11 प्रतिशत था. साल 2009 में दोनों दलों का गठबंधन टूट गया था. फिर 2009 में भाजपा 145 सीटों पर लड़कर महज 6 सीट हासिल कर पाई थी. वहीं बीजद ने 103 सीटें जीती थीं. फिर 2014 में भी 147 में से 117 सीटें बीजद ने जीत ली थीं. उसका वोट प्रतिशत भी बढ़कर 43.35 प्रतिशत हो गया. वहीं भाजपा 18 प्रतिशत वोट पाकर महज 10 सीट जीत सकी.

Advertisement

ऐसे में भाजपा की राह आसान नहीं है. लेकिन, मोदी यहां आठ सभाएं कर चुके हैं और शाह नौ बार आ चुके हैं. जाहिर है, भाजपा ने यहां अपना पूरा जोर लगा दिया है.

ओडिशा पर फोकस करके भाजपा न केवल लोकसभा चुनावों में जीत हासिल करना चाहती है, बल्कि उसकी नजर विधानसभा चुनावों पर भी हैओडिशा पर फोकस करके भाजपा न केवल लोकसभा चुनावों में जीत हासिल करना चाहती है, बल्कि उसकी नजर विधानसभा चुनावों पर भी है.

प्रधानमंत्री की ओडिशा यात्रा

1 अप्रैल, 2015 राउरकेला में सभा, भारतीय इस्पात प्राधिकरण के आधुनिकतम विस्तारित प्लांट का उद्घाटन.

7 फरवरी, 2016 पारादीप में सभा, इंडियन ऑयल रिफाइनरी का उद्घाटन. पुरी में दर्शन और रोड शो.

21 फरवरी, 2016 पश्चिमी ओडिशा में बरगढ़ में किसान महासम्मेलन.

2 जून, 2016 को बालासोर में सभा, दो साल की उपलब्धियों का बखान किया.

15 अप्रैल, 2017 भाजपा की दो दिवसीय नेशनल एग्जीक्यूटिव कमेटी की बैठक में आए.

26 मई, 2018 को सरकार के चार साल पूरे होने पर जनसभा कटक मैदान में की.

22 सितंबर, 2018 को अनुगुल जिले के तालचर और फिर झारसुगुडा में आम सभा की.

24 दिसंबर, 2018 को आइआइटी भुवनेश्वर और खोरदा में जनसभा की.

5 जनवरी, 2019 को बारीपड़ा (मयूरभंज) में जनसभा की.

Advertisement

15 जनवरी, 2019 को बलांगीर में जनसभा करने आएंगे.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement