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पर्यटनः कोलकाता के पास 5 प्रमुख ग्रामीण पर्यटन केंद्र

पश्चिम बंगाल के ईस्ट मिदनापुर जिले में स्थित समुद्र तट पर स्थित रिजॉर्ट विलेज मंदारमणि कोलकाता के लोगों के लिए पसंदीदा वीकेंड बीच डेस्टिनेशन के तौर पर धीरे-धीरे दीघा को पीछे छोड़ रहा है

मुर्शिदाबाद में हजारदुआरी पैलेस मुर्शिदाबाद में हजारदुआरी पैलेस
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 08 जनवरी 2022,
  • अपडेटेड 8:21 PM IST

मंदारमणि
पश्चिम बंगाल के ईस्ट मिदनापुर जिले में स्थित समुद्र तट पर स्थित रिजॉर्ट विलेज मंदारमणि कोलकाता के लोगों के लिए पसंदीदा वीकेंड बीच डेस्टिनेशन के तौर पर धीरे-धीरे दीघा को पीछे छोड़ रहा है. शहर से महज चार घंटे (170 किमी) की दूरी पर स्थित मंदारमणि अब पर्यटकों को कई तरह के वाटर स्पोर्ट्स विकल्प देता है—जेट स्कीइंग, पैरासेलिंग, वगैरह. चूंकि यहां लहरें शांत रहती हैं लिहाजा मंदारमणि तैराकी के लिए आदर्श जगह है.

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चंदननगर
सत्रहवीं सदी के आखिर में फ्रांसीसियों ने चंदननगर (तब चंदरनगर) को अपना ट्रेडिंग पोस्ट बनाने के लिए बंगाल के नवाब को 40,000 सिक्के दिए थे. ताज्जुब नहीं कि यहां आज भी चारों ओर फ्रांसीसियों का असर देखा जा सकता है. शहर के तटपथ स्ट्रैंड पर घूमते हुए कोई भी खूबसूरत डूप्ले हाउस देख सकता है. यहां तक कि यहां गिरजाघरों—सैक्रेड हार्ट, सेंट जोसक्रस—के डिजाइन और स्टेंड-ग्लास फिनिश फ्रांस से प्रेरित हैं.

शांतिनिकेतन
जब 1888 में देवेंद्रनाथ टैगोर ने शांतिनिकेतन में आश्रम बनाया तो कहा जाता है कि वे इस कस्बे में शांति महसूस करके दंग थे, लेकिन उनके बेटे रवींद्रनाथ ने उसकी असली संभावनाओं को समझ लिया. उन्होंने यहां गुरुकुल शैली का विश्वविद्यालय विश्व भारती स्थापित किया, जो अब भी उनकी दूरदर्शी आधुनिकता का गवाह है. इसके कैंपस में घूमने का अलग आनंद है. यहां किताब की कई दुकानें और कैफे हैं, और सभी अनूठे तथा शांत हैं. यहां से सोनाझुरी खोअइ फॉरेस्ट और कोपाइ नदी बाइक से जाया जा सकता है.

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श्रीरामपुर (सेरमपुर)
कोलकाता से मात्र 24 किमी दूर अनूठा सेरमपुर है. 1755 से 1845 तक डेनमार्क का उपनिवेश रहे इस शहर के स्थापत्य में यहां-वहां यूरोपीय प्रभाव दिखते हैं. एक ओर जहां सेरमपुर कॉलेज के प्रवेश द्वार पर कई स्तंभ नजर आते हैं, वहीं कैथलिक चर्च में मोटे डोरिक स्तंभ दिखते हैं. टाउन सेंटर में डैनिश गवर्नमेंट हाउस देखने योग्य है और इसी तरह सेंट ओलाव्ज चर्च भी देखना चाहिए. इसकी इमारत का डिजाइन और स्टाइल लंदन के सेंट मार्टिन-इन-द-फील्ड्स से प्रेरित है. कभी इसका नाम फ्रेड्रिक्सनगर हुआ करता था.

मुर्शिदाबाद
औरंगजेब ने 1704 में ऐलान किया था कि मुर्शिदाबाद (तब मकसूदाबाद) मुगल बंगाल की राजधानी होगा. वक्त के साथ इस शहर का महत्व भले ही खत्म हो गया हो लेकिन इसके अतीत के वैभव की झलकी अब शाही मुर्शिदाबाद के केंद्र लालबाग में नजर आती है. कटरा मस्जिद की बनावट मक्का में काबे की तरह लगती है. निजामत इमामबाड़ा और मदीना मस्जिद भी इस्लामी स्थापत्यकला के अविश्वसनीय नमूने हैं.

शाह जहां को समर्पित जहां कोश आज पर्यटकों के लिए प्रमुख आकर्षण है, लेकिन हजारदुआरी पैलेस—जो अपने 1,000 दरवाजों के लिए मशहूर है—का संग्राहालय आपकी यात्रा को सफल और यादगार बनाता है.

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