
उद्योगों का सूखा झेल रहे बुंदेलखंड के चित्रकूट जिले के लिए वर्ष 2018 में यूपी सरकार का 'इन्वेस्टर्स समिट’ एक सौगात लेकर आया था. इसमें इंग्लैंड की कंपनी एबी मौरी ने 400 करोड़ रुपए की लागत से खमीर प्लांट लगाने का एमओयू किया था. प्रदेश सरकार ने भी तेजी दिखाते हुए दो साल के भीतर चित्रकूट से मीरजापुर हाइवे पर मौजूद बरगढ़ औद्योगिक क्षेत्र में 68 एकड़ जमीन भी आवंटित कर दी थी.
खमीर फैक्ट्री लगने से बुंदेलखंड के करीब 2,000 लोगों में नौकरी की आस भी जगी थी. चित्रकूट के राजकीय इंटर कॉलेज में प्राचार्य के पद से सेवानिवृत्त होने के बाद बरगढ़ गांव में रहने वाले सत्य प्रकाश विश्वकर्मा बताते हैं, ''दो साल से लोग बरगढ़ औद्योगिक क्षेत्र में खमीर की फैक्ट्री का निर्माण कार्य शुरू होने का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन यह इंतजार खत्म होने का नाम नहीं ले रहा.’’
सत्य प्रकाश के जेहन में करीब 34 वर्ष पूर्व की यादें ताजा हो जाती हैं जब 1988 में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने बरगढ़ औद्योगिक क्षेत्र में 100 करोड़ रुपए की लागत से एशिया की सबसे बड़ी कांटीनेंटल ग्लास फैक्ट्री का शिलान्यास किया था. सत्य प्रकाश बताते हैं, '' शिलान्यास के पहले साल तो बहुत तेजी से निर्माण कार्य हुआ. लेकिन 1989 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार के सत्ता से हटने के बाद फैक्ट्री का निर्माण कार्य ठप हो गया.
उसके बाद से किसी भी सरकार ने ग्लास फैक्ट्री की सुध नहीं ली.’’ आज बरगढ़ औद्योगिक क्षेत्र में वीरानी छाई हुई है. बंद पड़े ग्लास फैक्ट्री के परिसर को बड़ी-बड़ी झाड़ियों ने ढक लिया है. चित्रकूट के जिला उद्योग अधिकारी संदीप केसरवानी बताते हैं, ''चित्रकूट में खमीर प्लांट लगाने वाली कंपनी एबी मौरी ने अधिक जमीन की मांग की थी इसलिए उसे पीलीभीत जिले में 100 एकड़ जमीन आवंटित की गई है. बरगढ़ औद्योगिक क्षेत्र में खमीर प्लांट के लिए आवंटित जमीन 'पेप्सिको’ की सहायक कंपनी 'वरुण बेवरेज’ को आवंटित की गई है. यह अगले कुछ महीनों में निर्माण कार्य शुरू कर देगी.’’
धर्मनगरी चित्रकूट की तरह इसके बगल का जिला बांदा भी औद्योगिक निवेश की राह तक रहा है. जिले में चिल्ला रोड पर जिले की इकलौती औद्योगिक इकाई राजकीय कताई मिल दिसंबर, 1998 से बंद है. वर्ष 2018 के इन्वेस्टर्स समिट में बंद पड़ी कताई मिल की जगह पर दूसरा उद्योग लगने की संभावना बनी थी लेकिन किसी भी निवेशक ने इसमें रुचि नहीं दिखाई. बांदा से महोबा रोड पर 150 हेक्टेयर क्षेत्र में भूरागढ़ औद्योगिक क्षेत्र निवेशकों को लुभाने में पूरी तरह विफल साबित हुआ है.
इस औद्योगिक क्षेत्र में ई-रिक्शा, लोहे के दरवाजे, प्लास्टिक सामग्री आदि से जुड़े 16 कारखाने संचालित हो रहे हैं लेकिन यहां कई जरूरी सुविधाओं का अभाव है. ई-रिक्शा कारखाना संचालक समीर गुप्ता बताते हैं, ''भूरागढ़ औद्योगिक क्षेत्र में सड़क, जलभराव और सुरक्षा से जुड़ी समस्याएं हैं. प्रति वर्ष आठ हजार रुपए मेंटेनेंस चार्ज के रूप में लिए जाते हैं लेकिन इसका कोई लाभ नहीं मिलता. औद्योगिक क्षेत्रों की बदहाली भी निवेश में बड़ी बाधा है.’’ वैसे, फरवरी में होने वाली ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट से पहले बांदा में उद्योग विभाग को 24 उद्यमियों से 180 करोड़ रुपए के निवेश प्रस्ताव मिल चुके हैं.
वर्ष 2017 में यूपी में सरकार बनाते ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पिछड़ाग्रस्त क्षेत्र बुंदेलखंड में औद्योगिक विकास तेज करने के प्रयास शुरू कर दिए थे. यह योगी के प्रयासों का नतीजा ही था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 21 फरवरी, 2018 को लखनऊ में आयोजित यूपी इन्वेस्टर्स समिट में यूपी को रक्षा उत्पादों का केंद्र बनाने और बुंदेलखंड के विकास को गति देने के लिए 'डिफेंस कॉरिडोर’ परियोजना की घोषणा की थी.
परियोजना के छह नोड में से दो चित्रकूट और झांसी, बुंदेलखंड के ही जिले हैं. डिफेंस कॉरिडोर प्रोजेक्ट की नोडल एजेंसी यूपी एक्सप्रेसवेज इंडस्ट्रियल डेवलेपमेंट अथॉरिटी (यूपीडा) को चित्रकूट में 101 हेक्टेयर जमीन आवंटित की जा चुकी है लेकिन इस पर उपक्रम लगाने के लिए किसी भी निवेशक ने रुचि नहीं दिखाई है. झांसी में आवंटित 195 हेक्टेयर जमीन में 183 हेक्टेयर केंद्र सरकार के रक्षा मंत्रालय के अधीन उपक्रम भारत डायनिमिक्स लिमिटेड (बीडीएल) को पट्टे पर दी जा चुकी है, लेकिन अभी तक इसपर निर्माण कार्य नहीं शुरू हुआ है.
बुंदेलखंड के औद्योगिक विकास के आंकड़ों का अध्ययन करने वाले कानपुर विश्वविद्यालय के सांख्यिकी विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर राज बहादुर बताते हैं, ''एक्सप्रेसवे और अन्य आधारभूत ढांचा अपेक्षाकृत मजबूत होने के बावजूद बुंदेलखंड नोएडा जैसे किसी विकसित शहर से दूर है. एक विकसित एयरपोर्ट की सुविधा न होने से भी बुंदेलखंड बड़े निवेशकों को आकर्षित नहीं कर पा रहा है.’’
योगी सरकार ने मार्च, 2017 में सत्ता संभालने के एक साल के भीतर फरवरी, 2018 में लखनऊ में इन्वेस्टर्स समिट का आयोजन किया था. इसमें साढ़े चार लाख करोड़ रुपए से अधिक के एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए थे. औद्योगिक विकास विभाग के अनुसार, इनमें से तीन लाख करोड़ रूपये के एमओयू क्रियान्वित किए जा चुके हैं.
दूसरी बार प्रदेश की सत्ता संभालने के 100 दिन के भीतर ही मुख्यमंत्री योगी ने 3 जून, 2023 को तीसरी ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी का आयोजन किया था. इस सेरेमनी में 80,224 करोड़ रुपए की निवेश वाली जिन 1,406 परियोजनाओं का शिलान्यास हुआ था उनमें बुंदेलखंड में स्थापित होने वाली परियोजनाओं की संख्या महज 34 है.
अभी भी नोएडा, गाजियाबाद समेत यूपी के पश्चिमी जिले निवेशकों की पहली पसंद बने हुए हैं. औद्योगिक विकास विभाग के कैबिनेट मंत्री नंद गोपाल गुप्ता 'नंदी’ बुंदेलखंड में निवेश बढ़ने को लेकर बेहद आशान्वित हैं. गुप्ता कहते हैं, ''बुंदेलखंड और पूर्वांचल में होने वाले निवेश को राज्य की नई औद्योगिक निवेश एवं रोजगार प्रोत्साहन नीति—2022 के अंतर्गत 15 से 30 प्रतिशत की पूंजीगत सब्सिडी का प्रावधान किया गया है. इससे पिछड़े क्षेत्रों में निवेश का माहौल बना है.’’
''योगी सरकार में यूपी निवेश का ड्रीम डेस्टीनेशन बन चुका है. सुरक्षा, संभावना, सहयोग के कारण निवेशक यहां निवेश के लिए स्वयं आगे आ रहे हैं’’
—नंद गोपाल गुप्ता 'नंदी’,
औद्योगिक विकास मंत्री, यूपी
''एमओयू निवेशकों की ओर से सरकार को दिया जाने वाला एक 'ऑफर’ भर है. इसकी कोई कानूनी वैधता नहीं है. योगी सरकार को अभी तक जमीन पर उतरे कुल निवेश पर श्वेत पत्र लाना चाहिए ‘’
—मधुकर जेटली, पूर्व दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री, एक्सटर्नली एडेड प्रोजेक्ट एवं एनआरआइ विभाग.