
रीवा जिले से चार बार के भाजपा विधायक गिरीश गौतम ने रविवार को मध्य प्रदेश विधानसभा स्पीकर पद के लिए नामांकन दाखिल किया. इसके साथ ही भाजपा ने विंध्य क्षेत्र से कम प्रतिनिधित्व के मुद्दे को भी सुलझाने की कोशिश की है. 2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने विंध्य क्षेत्र में अपेक्षा से कहीं बेहतर प्रदर्शन किया था. चंबल, मालवा, निमाड़, बुंदेलखंड और महाकौशल को छोड़ दिया जाए तो विंध्य ही वह इलाका था जहां से कांग्रेस अधिकतर सीटें जीतने से वंचित रह गई थी. भाजपा का विंध्य में शानदार प्रदर्शन ही वह वजह था जिसके चलते कांग्रेस 2018 में साधारण बहुमत से दूर रही और इसी वजह से कांग्रेस की सरकार मार्च 2020 में गिर गई थी.
फिलहाल सीएम शिवराज चौहान की 31 सदस्यीय कैबिनेट में विंध्य से सिर्फ तीन सदस्य हैं. भाजपा पर विंध्याचल के नेताओं को कैबिनेट में जगह देने का भारी दबाव है.
इसके अलावा भी गिरीश गौतम को स्पीकर के पद पर बैठाने की मंशा के निहितार्थ हैं. यह पिछले करीब 18 साल में पहला मौका है जब विधानसभा अध्यक्ष का पद विंध्य क्षेत्र के पास आया है. इससे पहले विंध्य क्षेत्र के दिग्गज ब्राह्मण नेता श्रीनिवास तिवारी 1993 से 2003 के बीच स्पीकर रहे और तब प्रदेश में दिग्विजय सिंह मुख्यमंत्री थे. दरअसल, गौतम ने 2003 में श्रीनिवास तिवारी को मनगवां विधानसभा क्षेत्र से चुनाव हराकर इस दिग्गज नेता के राजनीतिक करियर पर विराम लगा दिया था. गौतम ने 2008 में परिसीमन के बाद रीवा जिले के देवतलाब निर्वाचन क्षेत्र से भाग्य आजमाया और तब से लगातार जीत रहे हैं.
अब सवाल यह है कि गिरीश गौतम का स्पीकर के रूप में चुनाव जाति के समीकरण में कैसे फिट होता है. गिरीश गौतम जो खुद भी ब्राह्मण हैं और उनको स्पीकर बनाकर भाजपा ने एक और प्रमुख पद इस समुदाय को दिया है. राज्य के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा भी ब्राह्मण हैं और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वी.डी. शर्मा के अलावा संगठन महासचिव सुहास भगत भी इसी समुदाय से ताल्लुक रखते हैं. राजनीतिक पर्यवेक्षक मानते हैं कि ऐसा करके मुख्यमंत्री ने एक और पद ब्राह्मण समुदाय के खाते में डालकर सीएम पद के लिए नरोत्तम मिश्रा और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वी.डी. शर्मा के दावे को कमजोर करने का प्रयास किया है. संभावना है कि डिप्टी स्पीकर का पद भी भाजपा के पास रहेगा और यह किसी गैर ब्राह्मण के खाते में जाएगा.
गिरीश गौतम के स्पीकर पद पर चुनाव के साथ ही भोपाल की हुजूर विधानसभा क्षेत्र से विधायक और प्रोटेम स्पीकर रामेश्वर शर्मा का कार्यकाल समाप्त हो जाएगा. रामेश्वर शर्मा ने करीब 11 महीने तक प्रोटेम स्पीकर रहकर अपनी तरह का एक रिकॉर्ड बना लिया है. शर्मा ने प्रोटेम स्पीकर की अपनी भूमिका का बहुत गंभीरता से निर्वहन किया, वे नियमित रूप से ऑफिस आते थे और निरीक्षण करने के साथ बैठकें भी बुलाते थे. गिरीश गौतम ने अपना करियर छात्र राजनीति से शुरू किया था. राजनीतिक रूप से सक्रिय विंध्य क्षेत्र में उनके अन्य समकालीन नेताओं की तरह वे भी कम्युनिस्ट पृष्ठभूमि वाले नेता हैं.
***