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अखि‍लेश और शि‍वपाल खेमे में बंट गई सैफई की होली

समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह‍ यादव की गैर-मौजूदगी में इस बार इटावा में सैफई की होली दो खेमों में बंट गई थी. अखि‍लेश यादव ने सैफई में मुलायम की कोठी में होली मनाई तो शि‍वपाल सिंह यादव ने एसएस मेमोरियल स्कूल में होली खेली.

सैफई में होली सैफई में होली
आशीष मिश्र
  • लखनऊ,
  • 30 मार्च 2021,
  • अपडेटेड 12:59 PM IST
  • शि‍वपाल और अखि‍लेश के बीच बढ़ती दूरियों का इशारा किया होली के त्योहार ने
  • पिछले वर्ष होली के मौके पर मुलायम का पूरा परिवार एक साथ सैफई में मौजूद था
  • सपा की वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव की तैयारियों पर असर डाल सकता है चाचा-भतीजा विवाद

कभी अपने राजनीतिक रंग के लिए देश भर में पहचानी जाने वाली सैफई की होली में इस बाद दूसरे ही रंग दिखाई दे रहे थे. हर बार समाजवादी पार्टी (सपा) के संरक्षक मुलायम सिंह यादव इटावा में अपने गांव सैफई में परिवार समेत होली खेलते आते थे. होली का त्योहार ही एक ऐसा मौका होता था जब सैफई में मुलायम का पूरा परिवार रंग खेलने जुटता था. इस बार स्वास्थ्य कारणों से मुलायम सिंह यादव ने सैफई में होली से दूरी बनाए रखी थी. मुलायम लखनऊ स्थ‍ि‍त अपने आवास पर ही मौजूद थे. मुलायम की गैर-मौजूदगी में सैफई की होली दो खेमों में बंट गई थी. एक खेमे में जहां मुलायम सिंह यादव के छोटे भाई शिवपाल सिंह यादव थे तो दूसरी ओर सपा प्रमुख अखिलेश यादव, भाई रामगोपाल यादव और परिवार के तमाम छोटे-बड़े राजनीतिक, गैर-राजनीतिक सदस्य खड़े हुए दिखाई दे रहे थे. सैफई में मुलायम सिंह यादव के आवास पर सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखि‍लेश यादव अपने समर्थक परिवारिक सदस्यों और नेताओं के साथ होली का मंच सजाए हुए थे. यहां से कुछ ही दूरी पर मौजूद इस बार होली पर मुलायम की गैर-मौजूदगी में अखिलेश और शिवपाल का अलग-अलग मंच सजा था. प्रगतिशील समाजवादी पार्टी-लोहिया का गठन कर चुके शि‍वपाल याद अपने पिता सुधर सिंह के नाम पर स्थापित किए एसएस मेमोरियल स्कूल में होली का जश्न मना रहे थे. मुलायम के आंगन में मन रहे होली के जश्न में अखिलेश, रामगोपाल यादव, धर्मेद्र यादव, तेजप्रताप यादव दिखाई दिए वहीं शिवपाल अपने बेटे आदित्य और समर्थकों के साथ एसएस मेमोरियल में ही रहे. इस तरह पहले जहां होली के मौके पर मुलायम कुनबा अपने आंगन में एक साथ जमा हुआ करता था, इस बार पूरी तरह से अलग-थलग नजर आया.

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पिछले वर्ष 2020 में होली के मौके पर मुलायम सिंह यादव की मौजूदगी में पूरा परिवार एक साथ सैफई में मौजूद था. समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव, पूर्व सांसद पत्नी डिंपल संग सैफई में अपनी कोठी में परिवार संग होली मनाने मौजूद थे. कोठी के भीतर लान में एक मंच बनाया गया था. मंच पर पहुंचने के बाद शिवपाल, मुलायम सिंह का पैर छूकर आगे ही बढ़े थे कि अखिलेश ने भी पूरी गर्माहट के साथ शिवपाल के पैर छूकर उनका आशीर्वाद लिया. हालांकि इसके बाद होली खेल रहे कार्यकर्ता चाचा-भतीजा जिंदाबाद के नारे लगाने लगे लेकिन अखिलेश ने उन्हें शांत करा दिया था. अखिलेश ने कार्यकर्ताओं से कहा कि होली किसी राजनीति का मंच नहीं है अगर दोबारा नारेबाजी की तो अगली बार होली पर सैफई नहीं आउंगा. इसने भले ही शिवपाल और अखिलेश के बीच दरार के बने रहने का इशारा किया हो लेकिन होली के बाद से मुलायम सिंह यादव परिवार में चाचा-भतीजा के बीच सुलह की कोशिशें शुरू हो गई थीं. इसकी कमान स्वयं मुलायम सिंह यादव ने संभाली थी. इटावा में मुलायम सिंह यादव के एक करीबी नेता बताते हैं कि नेताजी (मुलायम सिंह यादव) के गैर-मौजूदगी के चलते शि‍वपाल ने सैफई की कोठी में इस बार अखि‍लेश के साथ होली मनाने से परहेज किया है. हालांकि वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले मुलायम सिंह यादव परिवार में खिंची दीवार सपा की चुनावी तैयारियों को नुकसान पहुंचा सकती है. मुलायम सिंह यादव परिवार में चल रही कलह के बीच 19 मार्च को गोरखपुर पहुंचे शि‍वपाल सिंह यादव ने इशारों में परिवार के किसी सदस्य पर ही निशाना साधा. महाभारत के पात्र शकुनि‍ का जिक्र करते हुए शि‍वपाल ने कहा “किसी घर का तब टुकड़ा होता है, जब उस घर में कोई ना कोई शकुनि जैसे लोग होते हैं. हमारे घर में भी शकुनि जैसे लोग हैं.” शिवपाल अक्सर राजनीतिक मंच से सपा को फिर से एक होने से रोकने के पीछे कुछ लोगों का हाथ करार देते हैं. इस बार उन्होंने शकुनि का उदाहरण सामने रखा.

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दरअसल, वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले मुलायम कुनबे में वर्चस्व की जंग छिड़ गई थी. इसी के बाद अखिलेश ने सपा पर अपना एकछत्र राज कायम कर लिया था. इस घटना के बाद अखिलेश व शिवपाल के बीच खाई और गहरी हो गई थी. विधानसभा चुनाव के बाद शिवपाल ने सपा से अलग होकर प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) का गठन कर लिया था. शिवपाल के अलग पार्टी बनाने के बाद सपा ने नेता प्रतिपक्ष रामगोविंद चौधरी से चार सितंबर, 2019 को दल परिवर्तन के आधार पर शिवपाल यादव की विधानसभा से सदस्यता समाप्त करने की याचिका का दायर करवाई. मुलायम सिंह के सीधे हस्तक्षेप के बाद सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव याचिका वापस लेने को राजी हुए. 23 मार्च, 2019 को नेता प्रतिपक्ष और समाजवादी पार्टी विधानमंडल दल के नेता रामगोविंद चौधरी ने यह कहते हुए शिवपाल की सदस्यता रद्द करने की याचिका वापस लेने की अर्जी विधानसभा अध्यक्ष को सौंपी कि पिछले वर्ष 4 सितंबर, 2018 को याचिका प्रस्तुत करते वक्त कुछ महत्वपूर्ण साक्ष्य और अभिलेख संलग्न नहीं किए जा सके थे. इसी के बाद विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने उसे स्वीकार करते हुए याचिका वापस कर दी थी. इससे शिवपाल की विधानसभा सदस्यता खत्म होने से बच गई थी.

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उधर पिछले वर्ष लॉकडाउन लागू होने के बाद मुलायम सिंह की तबियत खराब होने के चलते उन्हें लखनऊ के मेदांता अस्पताल में भर्ती करना पड़ा. इस दौरान मुलायम के साथ अस्पताल में अखिलेश यादव अपनी पत्नी डिंपल यादव के साथ मौजूद थे तो शिवपाल सिंह भी लगातार अस्पताल में मौजूद रहकर अपने बड़े भाई के स्वास्थ्य की चिंता कर रहे थे. स्वास्थ्य में लाभ होने के बाद भी मुलायम ने शिवपाल और अखिलेश के बीच पनपी खटास को कम करने की कोशिश में लगे रहे. इसका असर भी दिखा. पिछले वर्ष कई बार अखिलेश ने भी मीडिया के समक्ष चाचा शिवपाल यादव के बारे में पूछे गए सवाल पर चुप्पी तोड़ते हुए कहा था कि जसवंत नगर विधानसभा सीट पर उनके साथ ‘एडजस्टमेंट’ हो सकता है. वैसे भी सपा एक ही पार्टी है. इसके बाद शिवपाल यादव ने भी भतीजे अखिलेश को पत्र लिखकर उनकी तारीफ करते हुए आभार जताया था. शिवपाल ने अखिलेश को पत्र में लिखा था, “आपके आग्रह पर विधानसभा अध्यक्ष द्वारा मेरी विधानसभा सदस्यता खत्म करने के लिए दी गई याचिका को वापस कर दिया गया है. इस स्नेहपूर्ण विश्वास के लिए आपका कोटिश: आभार. निश्चिय ही यह मात्र एक राजनीतिक परिघटना नहीं. बल्कि, आपके इस तरह के स्पष्ट सार्थक व सकारात्मक हस्तक्षेप से राजनीतिक परिधि में आपके नेतृत्व में एक नव-राजनीतिक विकल्प व नवाक्षर का जन्म होगा.” इससे यह संकेत मिला था कि शि‍वपाल और अखि‍लेश की बीच राजनीतिक दूरियां कुछ कम हो सकती हैं. लेकिन पंचायत चुनाव के साथ अगले वर्ष 2022 में होने जा रहे विधानसभा चुनाव से पहले इस बार होली पर जिस तरह सैफई में अखिलेश और शि‍वपाल ने अलग-अलग रंग खेला उससे मुलायम समर्थक यादव वोटबैंक में भी बंटवारा दिखना स्वाभाविक है. लखनऊ में जय नारायण डिग्री कॉलेज में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. बृजेश कुमार मिश्र कहते हैं, “वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव और 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा को यादव वोटबैंक में हुए बंटवारे का खमियाजा भुगतना पड़ा था. अखिलेश और शि‍वपाल में जिस तरह मनमुटाव दिखाई पड़ रहा है उससे वर्ष 2022 के पहले न केवल सपा और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी-लोहिया में चुनावी तालमेल पर असर पड़ेगा साथ ही यादव मतदाताओं में भी एकता स्थापित नहीं हो पाएगी. इसका सबसे ज्यादा नुकसान सपा को ही होगा.”

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