Advertisement

बिहार

बाहुबली अनंत सिंह के घर 15 हजार लोगों की दावत की तैयारी...जानिए वजह

aajtak.in
  • 09 नवंबर 2020,
  • अपडेटेड 1:38 PM IST
  • 1/5

बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों के लिए अब बहुत ज्यादा इंतजार नहीं करना है. 10 नवंबर की सुबह से रुझान आना शुरू हो जाएंगे. वैसे एग्जिट पोल के रुझान से ही आरजेडी नेताओं ने जीत तय कर ली है. चुनाव का परिणाम आने से पहले ही मोकामा के 'छोटे सरकार' अनंत सिंह के यहां तो जश्न की तैयारी शुरू हो गई है. (इनपुट-दीपक कुमार)

  • 2/5

बाहुबली नेताओं की सूची में शुमार मोकामा के अनंत सिंह जेल में बंद हैं. निर्दलीय विधायक अनंत सिंह को इस बार आरजेडी ने टिकट दिया. जेल में रहते हुए भी अनंत सिंह को जीत की पूरी उम्मीद है. वहीं बिहार एग्जिट पोल के रुझान आने के बाद मोकामा के 'छोटे सरकार' कहे जाने वाले अनंत सिंह के घर जश्न की तैयारियां शुरू हो गई हैं. हलवाइयों ने पकवान बनाने के लिए दिन रात एक कर दिया है. उनके आवास के पास ही भव्य पंडाल बनाया गया है, जिसमें करीब 15 हजार लोगों के खाने पानी के व्यवस्था की जा रही है.

  • 3/5

निर्दलीय विधायक अनंत सिंह इस बार आरजेडी के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे हैं. 2015 मे बतौर निर्दलीय उम्मीदवार उन्होंने महागठबंधन के प्रत्याशी नीरज कुमार को शिकस्त दी थी. अनंत सिंह पिछली चार बार से लगातार मोकामा विधानसभा सीट से विधायक हैं. 2005 फरवरी, 2005 अक्टूबर, 2010 में वे जेडीयू के टिकट पर चुनाव जीते. इसके बाद 2015 में जेडीयू से दूरियां बढ़ीं, तो उन्होंने निर्दलीय चुनाव में उतरने का फैसला लिया और चुनाव में जीत हासिल की. 

Advertisement
  • 4/5

अनंत सिंह इस वक्त एके- 47 रायफल की कथित तौर पर बरामदगी के मामले में जेल में बंद हैं. बता दें कि बीते साल अगस्त में एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें अनंत सिंह का रिश्तेदार दो एके- 47 राइफल के साथ दिख रहा था. बाद में पुलिस ने उनके मोकामा स्थिति लदमा गांव में दबिश देकर यहां से एके- 47 रायफल बरामद की थी. अनंत सिंह ने इसी केस में सरेंडर किया था, फिलहाल वह पटना के बेउर जेल में बंद हैं. 

  • 5/5

बताया जाता है कि बिहार के बाढ़ इलाके में राजपूत और भूमिहारों का खूनी इतिहास रहा है. रात को लोग घरों से निकलने से भी डरते थे. ऐसे में अनंत सिंह भूमिहार समुदाय के रक्षक के रूप में उभरे. 2005 में जेडीयू से टिकट मिलने के बाद अनंत सिंह विधायक बने, इसके बाद छठ पर धोती बांटना, रोजगार के लिए गरीबों को तांगे देकर मदद करना और रमजान के दिनों में इफ्तार करना. उनके घर पर लोगों का जमावड़ा लगने लगा और वो खुद ही लोगों की समस्या सुलझाने लगे, जिससे पूरे इलाके में उनकी छवि गरीबों के मसीहा की बन गई और वो लोगों के छोटे सरकार बन गए.

Advertisement
Advertisement