बाढ़ के कहर से करीब 150 गांव के लोग जाएं तो जाएं कहां की परेशानी से जूझ रहे हैं. हालात से जंग लड़ने में अब ये लोग अपने आप को समर्थ नहीं पा रहे है. इन्हें ऐसे हालात 24 जुलाई से ही झेलने पड़ रहे हैं. लोग तम्बू से अभी अपने आशियानों की ओर ही आए थे कि बाढ़ के पानी ने ऐसी तबाही मचाई कि उन्हें फिर से तम्बू में जाना पड़ा.
(इनपुट- सुनील कुमार तिवारी)
सबसे अधिक खराब हालात बैकुंठपुर और बरौली प्रखंड में देखने को मिल रही है. जहां एक भी पंचायत इससे अलग नहीं है. जिधर देखो उधर ही केवल पानी ही पानी नजर आ रहा है. नतीजा अब यह हो गया है जो पीड़ित तम्बू से अपने आशियाने की ओर लौटे थे. वे फिर से तम्बू के नीचे आ गए हैं.
बैकुंठपुर के बलहा, फैजुल्लाहपुर, हमीदपुर के दर्जनों लोगों को सड़क के किनारे टेंट डाल कर रहना पड़ रहा है. वहीं बरौली नगर पंचायत के दर्जनों गांवों के लोग एनएच 28 या रेल पटरियों के किनारे टेंट के नीचे रहने के लिए मजबूर हैं.
पीड़ित परशुराम ने बताया कि झोपड़ी बाढ़ के पानी में बह गई. कपड़ा और अन्य समान भी पानी में बह गया. हम लोग एन एच 28 पर हैं. एक महीने पहले जो पालिथीन शीट मिली थी उसी के सहारे रह रहे हैं. सरकारी अनुदान राशि 6000 रुपए अभी कई लोगों को नहीं मिली है.
बैकुंठपुर और बरौली की अधिकांश सड़कों या हाईवे पर बाढ़ का पानी बह रहा है. लोगों को जान जोखिम में डालकर आवागमन करना पड़ रहा है. विवशता जो न कर दे, जहां जान की कोई परवाह नहीं. कहीं-कहीं नाव दिख रही है. जिससे लोग गांव से बाहर पलायन कर रहे हैं.