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बिहार

न्‍यूजीलैंड से नौकरी छोड़कर लौटे गांव, शुरू की फिश फार्मिंग, अब कमाई जानकर चौंक जाएंगे

aajtak.in
  • 19 अक्टूबर 2020,
  • अपडेटेड 2:50 PM IST
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बिहार में का बा? इस बार के विधानसभा चुनाव में मुद्दा बन चुके इस सवाल का जवाब न्‍यूजीलैंड रिटर्न एक युवक है जो बिहार के अपने छोटे से गांव में लाखों रुपये कमा रहा है. कभी न्‍यूजीलैंड में नौकरी करने वाला यह युवक अब अपने गांव में 30 लाख रुपये तक कमा रहा है. आखिर ऐसा क्‍या दिखा इस युवक को अपने गांव में जो इसने बदलते बिहार में स्‍वरोजगार से बड़ी सफलता हासिल की. आइये मिलते हैं सासाराम जिले के सोनबरसा गांव के निवासी अर्नव वत्‍स से. ( रिपोर्ट : प्रेरणा )
 

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चुनाव यात्रा में हुई मुलाकात 

दी लल्‍लनटॉप की टीम के चुनाव यात्रा के दौरान मुलाकात हुई अर्नव वत्‍स से जो अपने गांव में इन दिनों फिश फार्मिंग कर अच्‍छा कमा रहे हैं. अपने काम से संतुष्‍ट हैं और मानते हैं कि बदले हुए बिहार ने ही उन्‍हें ये अवसर दिया कि वह अपना काम शुरू कर सकें. अर्नव की पढ़ाई से लेकर उनके स्‍वरोजगार तक की कहानी भी बड़ी दिलचस्‍प है, जो उन्‍होंने दी लल्‍लनटॉप टीम से शेयर की. 

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पढ़ाई के लिए गए थे न्‍यूजीलैंड 

अर्नव ने अपनी सीनियर सेकेंडरी स्‍कूल की पढ़ाई वाराणसी से की. इसके बाद उन्‍होंने वीआईटी वेल्‍लोर से बीटेक किया और फिर जॉब में लग गए. हालांकि उन्‍हें बार-बार यही लगाता था कि बीटेक वाली जॉब में वह अपनी जमीन, अपने गांव से कटते जा रहे हैं. जॉब उन्‍हें रास न आई और अचानक से सब छोड़ कर अपने गांव लौट आए. परिवार और गांव के लोग इस निर्णय से हैरान थे. हालांकि, किसी ने कुछ कहा नहीं. परिवार के राइस मिल में कुछ दिनों तक काम भी किया लेकिन आत्‍मसंतुष्टि नहीं मिली. फिर अर्नव ने इंजीनियरिंग में मास्‍टर्स के लिए न्‍यूजीलैंड का रूख किया. अब परिवार के लोग खुश थे.

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रास न आई विदेश की माटी 

अर्नव को न्‍यूजीलैंड का ऑकलैंड जैसा शहर भी रास न आया. पढ़ाई के दौरान वह पार्ट टाइम काम करके हर महीने एक लाख रुपये तक बचा भी लेते थे. लेकिन पढ़ाई पूरी होने के बाद वापस अपने गांव आ गए. यहां पोल्‍ट्री बायलर फार्म खोलने का प्‍लान किया. इसी बीच फिशरीज डिपार्टमेंट के डिप्‍टी डायरेक्‍टर के सम्‍पर्क में आए और उन्‍होंने ही फिश फार्मिंग के लिए प्रेरित किया. 2018 में अर्नव ने तालाब खुदवा कर पहला फिश कल्‍चर किया जो काफी सफल रहा. 

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अब 14 तालाब और एक बायो फ्लॉक प्‍लांट भी 

दो वर्षों में अर्नव ने अपने तालाबों की संख्‍या 14 कर ली है जिसमें मछली पालन होता है. हाल ही में एक बायो फ्लॉक प्‍लांट भी शुरू किया है जहां मछलियों के अवशिष्‍ट से उनके लिए आहार बनाया जाता है. अर्नव बताते हैं शुरूआत में उनकी करीब 12 से 13 लाख की पूंजी लगी थी. अब काम बढ़ा है तो सालाना 15 से 16 लाख सालाना खर्च कर वह 30 लाख रुपये कमा लेते हैं. अपने यहां आस-पास के गांव के 10 लोगों को रोजगार भी दे रखा है. साल में मछलियों की तीन पैदावार आसानी से निकल जाती है. 

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बदल नहीं रहा बल्कि बदल चुका है बिहार 

पढ़ाई के वक्‍त से अब तक बिहार में कितना बदलाव हुआ ? इस पर अर्नव कहते हैं कि बिहार बदल नहीं रहा बल्कि बदल चुका है. जब मैं बाहर गया तब भी नीतीश कुमार सीएम थे. उनके अब तक कार्यकाल में बिहार में सड़क और बिजली की 95 प्रतिशत जरुरत पूरी हुई है. 

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यहां मेरे काम में ये दोनों ही चीजें बहुत ज्‍यादा महत्‍वपूर्ण हैं. नीतीश सरकार ने मछली पालन क्षेत्र में भी अच्‍छा काम किया है और इसी वजह से ये काम बढ़ रहा है. अभी उत्‍पादन लागत और बिक्री में बहुत ज्‍यादा अंतर नहीं रह गया है इसलिए इस दिशा में सरकार को थोड़ा ध्‍यान देना चाहिए.

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