कटिहार की महानंदा नदी में साउथ अमेरिका के अमेजॉन नदी में पाई जानी वाली सकर माउथ कैटफिश मिली है. मछुआरे के जाल में ये मछली फंस गई. इस मछली को मछुआरे ने अन्य मछलियों से अलग रखा. गोल्डन रंग की यह मछली आसपास के क्षेत्र में चर्चा का विषय बन गई, तो वहीं ये मछली अन्य जलीय जीव-जंतुओं के लिए खतरा बताई गई है. क्योंकि ये मछली मांसाहारी है, इस वजह कैटफिश किसी महत्वपूर्ण मछली या जीव को अपने आस पास पनपने नहीं देती है, जबकि इस मछली की खुद की फूड वैल्यू कुछ नहीं है, क्योंकि यह बेस्वाद होती है. (इनपुट-बिपुल राहुल)
बाढ़ के पानी के साथ आई ये मछली
कटिहार बारसोई प्रखंड के मथुरापुर गांव के करीब महानंदा नदी से बाढ़ का पानी आ गया है. यहां पर मछुआरे नदी में जाल फेंककर जीविकोपार्जन की खातिर मछलियों को पकड़कर उन्हें बाजार में बेचते हैं. आज एक मछुआरे के जाल में कैटफिश नाम की ये मछली फंस गई. इस मछली को देख मछुआरा भी अचंभित रह गया. वहीं ये मछली अन्य लोगों के लिए कोतूहल बनी हुई है.
गंगा में भी मिली थी ये मछली
महानंदा नदी से पहले अमेरिका के अमेजॉन नदी में पाई जानी वाली सकर माउथ कैटफिश वाराणसी की गंगा नदी में मिली थी. वाराणसी में रामनगर के रमना से होकर गुजरती गंगा नदी में नाविकों को ये मछली मिली, जिसके बाद बीएचयू के मछली वैज्ञानिकों ने इसकी पहचान साउथ अमेरिका की अमेजॉन नदी में पाए जाने वाली सकरमाउथ कैटफिश के रूप में की थी.
वैज्ञानिकों ने चिंता जाहिर करते हुए कहा था कि यह मछली मांसाहारी है और अपने इकोसिस्टम के लिए खतरा भी है. वैज्ञानिकों का कहना था कि सकरमाउथ कैटफिश कई रंगों में भी मिल सकती है, लेकिन इसका गंगा में मिलना गंगा के पारिस्थितिकी तंत्र के लिए बहुत बड़ा खतरा इसलिए है, क्योंकि यह मछली मांसाहारी है और आसपास के जीव-जंतुओं को खाकर जिंदा रहती है. इस मछली की खुद की फूड वैल्यू कुछ नहीं है क्योंकि यह बेस्वाद होती है.
चिंता जाहिर कर चुके हैं वैज्ञानिक
वैज्ञानिकों ने इस मछली के गंगा में मिलने के बाद कहा था कि गंगा जैसी प्रवाह वाली नदी में मिलने के बाद इसके बढ़ाव को रोका नहीं जा सकता है. चूंकि यह मछली अपनी खूबसूरती के चलते आर्नामेंटल मछलियों की श्रेणी में आती है और लोग शौकवश इसे एक्वेरियम में पालते हैं, लेकिन कैटफिश के बड़ा होने पर इसे गंगा में छोड़ देते हैं. ऐसा करना ही अब काफी गलत परिणाम लेकर आ रहा है.