
2013 में पटना के गांधी मैदान सीरियल ब्लास्ट मामले में एनआईए कोर्ट ने आज 10 में से 9 आरोपियों को दोषी करार दिया और एक को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया. कोर्ट ने जिन आरोपियों को दोषी करार दिया है उनमें हैदर अली, नोमान अंसारी, मुजीब उल्लाह अंसारी, इम्तियाज आलम, अहमद हुसैन, फिरोज असलम, इम्तियाज अंसारी, इफ्तेखार आलम और अगर उद्दीन कुरैशी शामिल है. मोहम्मद फखरुद्दीन को सबूतों की कमी के आधार पर इस मामले से बरी कर दिया गया.
गांधी मैदान सीरियल ब्लास्ट का मामला एनआईए कोर्ट में तकरीबन 8 साल चला. कोर्ट का फैसला आने के बाद एनआईए की तरफ से वकील लल्लन प्रसाद सिन्हा ने आजतक से एक्सक्लूसिव बातचीत की और बताया कि कोर्ट में सुनवाई के दौरान यह बात सामने आई कि गांधी मैदान में सीरियल ब्लास्ट करने की पूरी साजिश से रायपुर में रची गई थी.
वकील ने कहा कि गांधी मैदान सीरियल ब्लास्ट का मामला एक अंतर्राज्यीय साजिश थी जिसमें धमाके की साजिश जहां रायपुर में रची गई थी वहीं बम बनाने का सामान आतंकवादियों को झारखंड से मिला था. उन्होंने बताया कि साजिश रायपुर में रची, सामान झारखंड से खरीदा और धमाका पटना में किया गया.
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इस पूरे मामले में दोषियों के खिलाफ सजा का ऐलान 1 नवंबर को होगा. सरकारी वकील मोहन प्रसाद ने कहा कि एनआईए इस मामले में दोषियों के खिलाफ फांसी की सजा की मांग करेगी.
क्या है मामला?
27 अक्टूबर 2013 को पटना के गांधी मैदान में बीजेपी की हुंकार रैली हुई थी जिसमें उस वक्त के गुजरात के मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री उम्मीदवार नरेंद्र मोदी शामिल हुए थे. बीजेपी की हुंकार रैली के दौरान गांधी मैदान और पटना रेलवे स्टेशन पर सीरियल धमाके हुए थे जिसमें 6 लोगों की मौत हो गई थी और 90 लोग घायल हो गए थे.