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सुपौल: सदर अस्पताल में टेक्नीशियन नहीं, 8 महीने से धूल फांक रहे 6 नए वेंटिलेटर

अस्पताल के अधिकारियों ने बताया कि 8 महीने पहले PM CARES फंड के माध्यम से अस्पताल को 6 नए वेंटिलेटर प्राप्त हुए थे लेकिन अब तक उसका इस्तेमाल शुरू नहीं हुआ है. इसी दौरान अस्पताल के हेल्थ मैनेजर अखिलेश कुमार टीम को उस कमरे में ले गए जहां पर 6 नए वेंटिलेटर को ताला लगा के रखा हुआ था.

रोहित कुमार सिंह
  • पटना,
  • 08 मई 2021,
  • अपडेटेड 12:14 AM IST
  • PM CARES फंड के माध्यम से अस्पताल को 6 नए वेंटिलेटर प्राप्त हुए थे
  • वेंटिलेटर को चलाने के लिए अस्पताल के पास ना तो डॉक्टर है, ना टेक्नीशियन

बिहार सरकार किस मुस्तैदी से युद्ध स्तर पर कोरोना वायरस से जंग लड़ रही है इसकी तस्वीर सुपौल के सदर अस्पताल में देखने को मिल रही है. जहां 8 महीने से 6 नए वेंटिलेटर यूं ही पड़ा हुआ है, लेकिन इस्तेमाल में नहीं आ रहा है. बिहार सरकार ने पिछले दिनों एक लिस्ट जारी की थी. जिसमें सभी जिलों के सदर अस्पताल में मरीजों के लिए कितने वेंटिलेटर की व्यवस्था है, के बारे में बखान किया गया था.

सुपौल जिले के सदर अस्पताल में 6 वेंटिलेटर की व्यवस्था है. और इस लिस्ट में इस बात का जिक्र था. 'आजतक' की टीम शुक्रवार को सुपौल के सदर अस्पताल में पहुंची और इस बात की जानकारी शुरू की कि क्या वाकई इस अस्पताल में 6 वेंटिलेटर मौजूद हैं और क्या उससे मरीजों का इलाज हो रहा है?

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इसी क्रम में अस्पताल के अधिकारियों ने बताया कि 8 महीने पहले PM CARES फंड के माध्यम से अस्पताल को 6 नए वेंटिलेटर प्राप्त हुए थे लेकिन अब तक उसका इस्तेमाल शुरू नहीं हुआ है. इसी दौरान अस्पताल के हेल्थ मैनेजर अखिलेश कुमार टीम को उस कमरे में ले गए जहां पर 6 नए वेंटिलेटर को ताला लगा के रखा हुआ था.

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इस बात को लेकर काफी हैरानी पैदा हुई कि जब सदर अस्पताल में संक्रमित मरीजों का इलाज हो रहा है और कई बार उनकी हालत गंभीर हो जाती है और उन्हें वेंटिलेटर की जरूरत महसूस होती है तो ऐसे में 6 नए वेंटिलेटर को कमरे में बंद रखने का क्या औचित्य है?

इस बात को लेकर जब अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ. ज्ञान शंकर से बात की तो चौंकाने वाली बातें सामने आई. सिविल सर्जन ने बताया कि 8 महीने पहले अस्पताल को 6 नए वेंटिलेटर तो मिले थे मगर उसको चलाने के लिए अस्पताल के पास ना तो डॉक्टर है, ना टेक्नीशियन और ना तो नर्सिंग स्टाफ.

 

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उन्होंने बताया कि एक स्टाफ के अभाव के कारण ही वेंटिलेटर का इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है और अगर किसी मरीज की हालत गंभीर हो जाती है तो उसे 120 किलोमीटर दूर दरभंगा मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में रेफर कर दिया जाता है.

डॉ ज्ञान शंकर, सिविल सर्जन सुपौल सदर अस्पताल ने कहा, 'डॉक्टरों की कमी के कारण अभी तक वेंटिलेटर का इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है. टेक्नीशियन तो मिल जाएंगे मगर चलाने के लिए जो ट्रेंड डॉक्टरों की जरूरत है. वह अस्पताल के पास नहीं है. सभी वेंटिलेटर को चलाने के लिए कम से कम दूर दो डॉक्टरों की जरूरत है.' 

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वेंटिलेटर को चलाने के लिए स्टाफ की कमी को लेकर अस्पताल के एक अन्य डॉ. मेजर शशि भूषण प्रसाद ने बताया कि 4 मई को नर्सिंग स्टाफ और टेक्नीशियन की बहाली के लिए वॉक इन इंटरव्यू करवाए गए थे मगर एक भी व्यक्ति इंटरव्यू देने के लिए नहीं पहुंचा जिसके कारण जस के तस बने हुए हैं.

उन्होंने बताया कि विज्ञापन के जरिए नर्सिंग स्टाफ और टेक्नीशियन की बहाली के लिए 4 मई को वॉक इन इंटरव्यू की व्यवस्था की गई थी मगर कोई भी व्यक्ति इंटरव्यू के लिए नहीं आया. ऐसा कोई भी व्यक्ति इंटरव्यू के लिए नहीं आया जो वेंटिलेटर चलाना जानता हो. अगर अस्पताल में किसी मरीज की हालत गंभीर हो जाती है तो उसे दरभंगा रेफर कर दिया जाता है. 

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