
कोरोना की दूसरी लहर ने गांवों को अपनी चपेट में ले लिया है. ये किसी से छिपा नहीं है. गांव के गांव, कस्बे के कस्बे महामारी की चपेट में हैं जिसका असर छोटे शहरों के अस्पतालों में भी दिखाई दे रहा है. उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में ग्रामीण आबादी ज्यादा प्रभावित दिखाई दे रही है. बिहार के कई इलाकों में भी हाल ऐसा ही है. सीतामढ़ी जिले में नेपाल सीमा से लगते हुए गांव में हालात ज्यादा भयानक हैं. सोनवर्षा इलाके के बसतपुर गांव में पिछले 1 सप्ताह में 8 लोगों की मौत हुई है.
गांव वालों के मुताबिक आधी आबादी बुखार से पीड़ित हैं. लेकिन लोग न टेस्टिंग करवाने जाना चाहते हैं ना ही आसपास टेस्टिंग की व्यवस्था है. ऐसे में जब आठ लोगों के मरने की खबर सामने आई तो स्वास्थ्य विभाग की टीम गांव में भेजी गई और स्कूल में लोगों की टेस्टिंग की जा रही है.
जानकारी के मुताबिक सुबह 11 बजे से शुरू हुई टेस्टिंग में दोपहर के 2 बजे तक 57 लोगों का टेस्ट हो चुका था. वहीं स्वास्थ्य विभाग के कर्मी मुन्ना बताते हैं कि लगभग 57 लोगों का टेस्ट में 8 लोग संक्रमित पाए गए.
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इसके अलावा स्वास्थ विभाग के कर्मचारी सतीश बताते हैं कि जितने लोगों को अब तक संक्रमित पाया गया उन सबके अंदर बुखार या सर्दी खांसी के लक्षण भी पाए गए थे. उनका कहना है कि जितने लोग टेस्टिंग करवाने आए उसमें ज्यादातर लोगों में किसी तरह के लक्षण नहीं थे.
हालात इतने भयानक हैं कि आजतक की टीम जब तक स्वास्थ्य कर्मियों से बात कर रही थी तभी 5 मिनट के भीतर संक्रमित मरीजों का आंकड़ा 8 से 10 पहुंच गया. सतीश कुमार ने बताया कि अब कुल टेस्टिंग साथ हो गई है और इसमें से 10 लोग संक्रमित पाए गए हैं. बताया जा रहा है कि संक्रमण की ये लहर ना सिर्फ युवाओं को अपनी चपेट में ले रही है बल्कि बच्चे भी संक्रमण का शिकार हो रहे हैं. वहीं टेस्टिंग के दौरान 12 से 16 के बच्चे भी संक्रमित पाए गए.
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गांव में इस कदर दहशत फैली है कि अपने चबूतरे पर बैठे लोग भी मास्क पहने नजर आते हैं. जिन गांव में पहले लापरवाही का आलम था, आज वहां के लोग खौफ के साए में हैं. क्या बच्चे क्या बड़े क्या बूढ़े क्या महिलाएं क्या पुरुष लोगों के चेहरे पर मास्क लगा हुआ है. ऐसे में गांव में न सिर्फ टेस्टिंग की व्यवस्था हुई बल्कि सैनिटाइजेशन भी शुरू हुआ. स्वास्थ विभाग की तरफ से गांव में दो लोगों की ड्यूटी लगाई गई है जो घर-घर गली-गली घूमकर सैनिटाइजेशन कर रहे हैं.
सैनिटाइजेशन के इस काम में और जहां संक्रमण का खतरा बड़े स्तर का हो, कर्मचारियों को पर्सनल प्रोटेक्टिव किट मुहैया करवाई जाती है. लेकिन बसतपुर गांव में घर-घर सैनिटाइजेशन कर रहे शंकर पंडित जैसे कर्मचारियों को प्रोटेक्टिव किट की जगह रेनकोट पहना दिया गया. यह गर्मी से परेशान हैं लेकिन बिना शिकायत किए अपनी ड्यूटी कर रहे हैं क्योंकि महामारी बड़ी है.