
आज जहां देश में शौचालय बनाने के लिए सरकार पब्लिक कैपेन चला रही है, उन्हें धन उपलब्ध करा रही है, 'जहां सोच वहां शौचालय' का नारा दे रही है, वहीं बिहार में एक ऐसा गांव भी है, जहां के लोग सुखी संपन्न होते हुए भी शौचालय बनवाने से खौफ खाते हैं. यह अंधविश्वास का मामला है क्योंकि गांव में सबकुछ है. अच्छे मकान बने हुए हैं, लेकिन उन मकानों में शौचालय की व्यवस्था नही है.
बिहार के नवादा जिला मुख्यालय से 30 किलोमीटर दूरी पर स्थित है गाजीपुर गांव{mospagebreak}. अकबरपुर प्रखंड में सड़क किनारे बसे इस संपन्न गाजीपुर गांव में सुविधा की सारी चीजें मौजूद है. लोग भी पढ़े- लिखे और अभिजात्य वर्ग के है, लेकिन वहां के पढ़े- लिखे नौजवानों एवं बुजुर्गों ने गजब का अंधविश्वास पाल रखा है. वह अंधविश्वास है शौचालय बनवाने से तबाही. गांव के बुजुर्ग बताते हैं कि किसी ने सालों पहले अपने घर में शौचालय बनवाया था, उसके बाद उसका परिवार तबाह हो गया. एक- एक कर परिवार के सभी सदस्य काल के ग्रास बन गए, तभी से इस गांव में किसी भी परिवार ने शौचालय नही बनवाया.
करहरी पंचायत के इस 200 साल पुराने गांव गाजीपुर ने खूब तरक्की किया है. अच्छे-अच्छे मकान, साफ़-सुथरी सड़कें. घर के अंदर सुख-सुविधा की सभी चीजें उपलब्ध हैं. पर इस गांव में नहीं है तो किसी के घर में शौचालय. यहां तक कि जानवरों को रखने के लिए भी पक्के मकान बने हुए हैं. इस गांव के लोगों का कहना है कि कुछ लोगों ने अपने घर में शौचालय बनाना चाहा, उसी समय शौचालय बनाने वाले 2 घरों के बच्चों की मृत्यु हो गई. यह बात 25 साल पुरानी है. पर इस 21वीं सदी में उसी डर से लोग अपने घर को बनाने में लाखों रुपये खर्च करते है, लेकिन शौचालय नही बनवाते.
आज भी शौच के लिए बड़े, बूढ़े, औरतें सभी को बाहर जाना पड़ता है. इस गांव में अनेकों लोग शिक्षक, इंजीनियर और ऊंचे-ऊंचे पद पर बाहर नौकरी कर रहे हैं. लोगों का कहना है गांव में अच्छे शादी-विवाह के रिश्ते नहीं आते हैं. शहर से आने वाले नौजवान अपने मित्रों को किसी होटल में ठहराते हैं.