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वंशवाद के विरोधी रहे नीतीश कुमार क्या खुद ही दे रहे बढ़ावा?

चंद्रिका राय छपरा जिले के परसा विधानसभा सीट से सात बार विधायक रहे हैं. वे बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री दरोगा प्रसाद राय के बेटे हैं.

नीतीश कुमार पर वंशवाद को बढ़ावा देने के लग रहे आरोप (फोटो- पीटीआई) नीतीश कुमार पर वंशवाद को बढ़ावा देने के लग रहे आरोप (फोटो- पीटीआई)
रोहित कुमार सिंह
  • पटना,
  • 20 अगस्त 2020,
  • अपडेटेड 9:02 PM IST

  • जेडीयू में शामिल तीनों विधायक राजनीतिक परिवार से जुड़े हैं
  • नीतीश कुमार हमेशा वंशवाद की राजनीति का करते रहे विरोध

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने राजनीतिक जीवन में हमेशा परिवारवाद का विरोध किया. लेकिन गुरुवार को उन्होंने पार्टी में आरजेडी (राष्ट्रीय जनता दल) के तीन ऐसे विधायकों को शामिल किया जो परिवारवाद की ही देन हैं. सबसे पहले बात विधायक चंद्रिका राय की जो आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के समधी और तेज प्रताप यादव के ससुर हैं. चंद्रिका राय पिछले कुछ समय से अपने दामाद तेज प्रताप और बेटी ऐश्वर्या राय के बिगड़ते रिश्तों को लेकर परिवार से नाराज हैं और इसी क्रम में उन्होंने गुरुवार को पार्टी छोड़कर जनता दल यूनाइटेड का दामन थाम लिया.

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चंद्रिका राय छपरा जिले के परसा विधानसभा सीट से सात बार विधायक रहे हैं. वे बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री दरोगा प्रसाद राय के बेटे हैं. अब बात पटना के पालीगंज विधानसभा सीट से विधायक जयवर्धन यादव की. आरजेडी विधायक जयवर्धन यादव ने भी गुरुवार को जनता दल यूनाइटेड का दामन थाम लिया.

दरअसल नीतीश कुमार, अपने राजनीतिक जीवन में कई बार कांग्रेस में पनपते वंशवाद और परिवारवाद को लेकर ही हमलावर रहे. नीतीश, राहुल गांधी को हमेशा परिवारवाद की देन बताकर ही उन पर हमला बोलते रहे.

नीतीश कुमार और उनकी पार्टी ने कई बार लालू परिवार पर भी वंशवाद और परिवारवाद का आरोप लगाया है और कहा है कि मीसा भारती, तेजस्वी यादव और तेजप्रताप यादव का राजनीति में होना भी वंशवाद की ही देन है.

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आरजेडी प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने इसी मुद्दे को लेकर सीएम नीतीश पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा, 'नीतीश कुमार तभी परिवारवाद और वंशवाद पर सवाल खड़े करते थे, मगर आज जिन तीन आरजेडी विधायकों ने उनकी पार्टी का दामन थामा है सब परिवारवाद की ही देन हैं. नीतीश कुमार को जवाब देना चाहिए कि आखिर वह किस पृष्ठभूमि से आते हैं? नीतीश कुमार की यह कैसी नीति और कैसा सिद्धांत है?'

वहीं बिहार सरकार में मंत्री और जेडीयू नेता नीरज कुमार ने सभी आरोप का जवाब देते हुए कहा “चंद्रिका राय, जयवर्धन यादव या फराज फातमी राजनीतिक परिवार की देन हो सकते हैं, मगर इन लोगों ने संघर्ष करके अपने लिए जगह बनाई है. उन्होंने कहा कि इन सब के विपरीत तेजस्वी यादव आरजेडी में वरीयता को दरकिनार करके केवल इसलिए उत्तराधिकारी बन गए हैं क्योंकि वह लालू प्रसाद के बेटे हैं”.

बता दें, जयवर्धन यादव बिहार के सबसे बड़े यादव नेता राम लखन सिंह यादव के पोते हैं. 90 के दशक में जब लालू प्रसाद बिहार के मुख्यमंत्री बने तो उनसे पहले राम लखन सिंह यादव को ही पूरे प्रदेश में यादवों का सबसे बड़ा नेता माना जाता था. 1989 में राम लखन सिंह यादव को बाढ़ संसदीय क्षेत्र से हराकर नीतीश कुमार पहली बार सांसद बने थे. जयवर्धन यादव के पिता प्रकाश यादव भी पूर्व सांसद और पार्षद रहे हैं.

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वहीं एक समय में लालू यादव के बेहद करीबी रहे, पूर्व केंद्रीय मंत्री अशरफ अली फातमी के बेटे फराज फातमी को आरजेडी ने पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया. फराज फातमी केवटी सीट से विधायक हैं. आरजेडी को पहले ही भनक लग गई थी कि फराज, जनता दल यूनाइटेड में शामिल होने वाले हैं, इसलिए उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया.

पिछले साल लोकसभा चुनाव के दौरान महागठबंधन ने अशरफ अली फातमी को दरभंगा सीट से टिकट नहीं दिया जिसके बाद उन्होंने आरजेडी छोड़ दिया था.

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