
बिहार के बाहुबली नेता आनंद मोहन की बेटी की सोमवार को सगाई हुई. इस दौरान बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव समेत तमाम दिग्गज नेता मौजूद रहे. आनंद मोहन हत्या के मामले में लंबे समय से जेल में हैं. बेटी की सगाई में शामिल होने के लिए उन्हें 15 दिन की पैरोल मिली है.
आनंद मोहन की बेटी सुरभि आनंद की सगाई राजहंस के साथ हुई. राजहंस मुंगेर के रहने वाले हैं. वे आई आरएस में हैं. इस दौरान नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव ने दोनों को आशीर्वाद दिया. इस दौरान नीतीश कुमार ने आनंद मोहन को मुस्कुरा कर देखा. आनंद मोहन के बेटे चेतन आनंद राजद में मौजूदा विधायक हैं. ऐसे में बिहार कैबिनेट के कई मंत्री और विधायक इस समारोह में हिस्सा लेने पहुंचे.
ये नेता हुए समारोह में शामिल
आनंद मोहन की बेटी की सगाई में नीतीश कुमार, तेजस्वी यादव, विजय कुमार चौधरी, संजय झा, सुमित कुमार सिंह, लेसी सिंह, पूर्व मंत्री कांती सिंह, विधानपरिषद में विपक्ष के नेता सम्राट चौधरी, मेहबूब अली, अरुण कुमार, कांग्रेस अध्यक्ष मदन मोहन झा, पप्पू यादव, अवधेश सिंह, अखलाख अहमद, ऋषि कुमार, अशोक सिंह, संजीव कुमार सिंह, सुनील सिंह समेत तमाम दिग्गज नेता शामिल हुए.
15 दिन की मिली है पैरोल
पूर्व सांसद आनंद मोहन गोपालगंज के तत्कालीन जिलाधिकारी जी कृष्णय्या हत्याकांड में उम्रकैद की सजा काट रहे हैं. उन्हें हाल ही में 15 दिन की पैरोल मिली है. आनंद मोहन ने जेल से निकलने के बाद कहा था कि वे शुभ काम में शामिल होने के लिए बाहर आए हैं. ऐसे में वे कुछ नहीं कहेंगे. उन्होंने कहा था, ''सबको आजादी अच्छी लगती है, मुझे भी, जितना दिन बाहर रहेंगे ,समर्थकों और आपलोगों से उम्मीद है कि आप सभी मदद करेंगे.''
कौन हैं आनंद मोहन?
आनंद मोहन बिहार के सहरसा जिले के पचगछिया गांव के रहने वाले हैं. उनके दादा राम बहादुर सिंह एक स्वतंत्रता सेनानी थे. उन्होंने 1974 में लोकनायक जयप्रकाश नारायण के आंदोलन से राजनीति में एंट्री ली थी. इसके लिए उन्होंने अपना कॉलेज तक छोड़ दिया. इमरजेंसी के दौरान उन्हें 2 साल जेल में भी रहना पड़ा. कहा जाता है कि आनंद मोहन सिंह ने 17 साल की उम्र में ही अपना सियासी करियर शुरू कर दिया था.
साल 1990 में जनता दल (JD) ने उन्हें माहिषी विधानसभा सीट से मैदान में उतारा था. इसमें उन्हें जीत मिली थी. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, विधायक रहते हुए भी आनंद एक कुख्यात सांप्रदायिक गिरोह के अगुआ थे, जिसे उनकी 'प्राइवेट आर्मी' कहा जाता था. ये गिरोह उन लोगों पर हमला करता था जो आरक्षण के समर्थक थे. 5 बार लोकसभा सांसद रहे राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव के साथ आनंद मोहन की लंबी अदावत चली.