
चिराग पासवान की अगुवाई में लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) बिहार के लोगों के लिए नए बिहार का सपना दिखा रही है. इसकी शुरुआत इस साल दिखने लगी थी, जब एलजेपी प्रमुख चिराग पासवान ने 'बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट यात्रा' का आगाज किया था. चिराग अपने एजेंडे में बिहार के लोगों को केंद्र में रखकर अपनी सियासी बिसात बिछाने में जुटे हैं. इसके लिए चिराग ने बाकायदा एक 'विजन डॉक्यूमेंट' के जरिए बिहार के विकास का रोड मैप पेश करने की रणनीति अपनाई है.
एलजेपी के प्रधान महासचिव अब्दुल खालिक का कहना है कि 'बिहार फर्स्ट और बिहारी फर्स्ट' यह दो शब्द हैं. इसमें बिहार फर्स्ट का मतलब बिहार को देशभर में नंबर वन राज्य बनाने का सपना और एक रोडमैप चिराग पासवान के नेतृत्व में एलजेपी ने तैयार किया है. इसके अलावा बिहारी फर्स्ट का मतलब साफ है कि प्रदेश में जितने भी महत्वपूर्ण संस्थान हैं, शिक्षा से लेकर सभी जगहों पर केवल बिहारी ही हों, इसी सोच के साथ हम चुनाव में जा रहे हैं.
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एलजेपी अपने विजन डॉक्युमेंट को अंतिम रूप देने की तैयारी में लग गई है. विजन डॉक्युमेंट को बनाने के लिए एलजेपी की सात सदस्यीय कमेटी फरवरी में बनाई गई थी, जिसमें बिहार फर्स्- बिहारी फर्स्ट के तहत बिहार के लोगों के लिए रोड मैप सामने लाने की बात थी. एलजेपी की तरफ से 14 अप्रैल को पटना में बड़ी रैली की तैयारी भी चल रही थी. चिराग की उस वक्त बिहार के लोगों के सामने अपने विजन के साथ पेश होने की रणनीति थी, लेकिन कोरोना प्रकोप और लॉकडाउन ने उनके अरमानों पर पानी फेर दिया. अब एक बार फिर एलजेपी ने इस दिशा में कवायद शुरू की है.
अब्दुल खालिक का कहना है कि बिहार के विजन डॉक्युमेंट के लिए चिराग पासवान कई सालों से काम कर रहे हैं और इसके लिए हम एक बकायदा एक रोड मैप तैयार कर रहे हैं. एलजेपी के इस विजन डॉक्युमेंट के जरिए बिहार के हालात को न सिर्फ बेहतर किया जा सकता है बल्कि सर्वश्रेष्ठ भी बनाए जाने का खाका है. एलजेपी मानती है कि बिहार में पर्यटन, शिक्षा और स्वास्थ के क्षेत्र में बहुत काम किया जा सकता है और इनको बढ़ावा देने से पलायन पर रोक लगाई जा सकती है.अब्दुल खालिक ने बताया कि एलजेपी का बिहार में अब एक ही लक्ष्य है, बिहार को नंबर वन राज्य बनाना.
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दरअसल, एलजेपी चाहती है कि आगामी विधानसभा चुनाव में उसके विजन डॉक्युमेंट को भी एनडीए गठबंधन के कॉमन मिनिमम प्रोग्राम में शामिल किया जाए. एलजेपी का मानना है कि नीतीश कुमार की मौजूदा सरकार जिस एजेंडे पर काम करती है वो एजेंडा जेडीयू, आरजेडी और कांग्रेस का कॉमन एजेंडा है जो 2015 में तय हुआ था. अब जबकि नीतीश कुमार की एनडीए में वापसी हो गई है तो फिर उसमें बीजेपी और एलजेपी को मिलाकर एक कॉमन एजेंडा बने, जिसे जनता के सामने रखा जाए.