
बिहार विधानसभा चुनाव के रण में उतरी प्लूरल्स पार्टी को करारी शिकस्त मिली है. खुद को बिहार का अगला मुख्यमंत्री बताकर राजनीति में आने वालीं पार्टी चीफ पुष्पम प्रिया चौधरी ने बांकीपुर और बिस्फी से चुनाव लड़ा था. बिस्फी में वो हार गईं जबकि बांकीपुर में उन्हें 1 प्रतिशत वोट भी नहीं मिला. दोनों सीटों पर वो अपनी जमानत तक नहीं बचा पाई थीं.
चुनाव में मिली करारी शिकस्त को लेकर पुष्पम प्रिया ने पहले EVM पर ठीकरा फोड़ा और अब फेसबुक पर पोस्ट साझा करके बिहार की बदहाली और अपनी हार को लेकर तीखे तंज कसे हैं. उन्होंने कहा कि मेरी संवेदना मेरे लाखों कार्यकर्ताओं और समर्थकों के साथ है. फिलहाल अंधेर नगरी में अंधेरे का जश्न मनाएं और चौपट राजाओं के लिए ताली बजाएं. मैंने जो बिहार के लिए सपना देखा था वो टूट गया, 2020 के बदलाव की क्रांति विफल रही.
फेसबुक पर शेयर पोस्ट में पुष्पम प्रिया ने लिखा- 'आज सुबह हो गई पर बिहार में सुबह नहीं हुई. मैं बिहार वापस एक उम्मीद के साथ आई थी कि मैं अपने बिहार और अपने बिहारवासियों की जिंदगी अपने नॉलेज, हिम्मत, ईमानदारी और समर्पण के साथ बदलूंगी. मैंने बहुत ही कम उम्र में अपना सबकुछ छोड़ कर ये पथरीला रास्ता चुना क्योंकि मेरा एक सपना था- बिहार को पिछड़ेपन और गरीबी से बाहर निकालने का. बिहार के लोगों को एक ऐसी इज्जतदार जिंदगी देना जिसके वो हकदार तो हैं पर जिसकी कमी की उन्हें आदत हो गई है. बिहार को देश में वो प्रतिष्ठा दिलाना जो उसे सदियों से नसीब नहीं हुई. मेरा सपना था बिहार के गरीब बच्चों को वैसे स्कूल और विश्वविद्यालय देना जैसों में मैंने पढ़ाई की है, जैसों में गांधी, बोस, अंबेडकर, नेहरू, पटेल, मजहरूल हक और जेपी-लोहिया जैसे असली नेताओं ने पढ़ाई की थी. उसे इसी वर्ष 2020 में देना क्योंकि समय बहुत तेजी से बीत रहा और दुनिया बहुत तेजी से आगे जा रही. आज वो सपना टूट गया है, 2020 के बदलाव की क्रांति विफल रही है.'
आज सुबह हो गयी पर बिहार में सुबह नहीं हुई। मैं बिहार वापस एक उम्मीद के साथ आयी थी कि मैं अपने बिहार और अपने बिहारवासियों...
Posted by Pushpam Priya Choudhary on Tuesday, 10 November 2020पुष्पम प्रिया ने अपनी पोस्ट में आगे कहा, 'हर छोर हर जिले में गई, लाखों लोगों से मिली. आपमें भी वही बेचैनी दिखी बिहार को लेकर जो मेरे अंदर थी- बदलाव की बेचैनी. और उस बेचैनी को दिशा देने के लिए जो भी वक्त मिला उसमें मैंने और मेरे साथियों ने अपनी तरफ से कोई कसर नहीं छोड़ी. पर हार गए हम. इनकी भ्रष्ट ताकत ज्यादा हो गई और आपकी बदलाव की बेचैनी कम. और मैं, मेरा बिहार और बिहार के वो सारे बच्चे जिनका भविष्य पूरी तरह बदल सकता था, वो हार गया. मीडिया मेरे कपड़ों और मेरी अंग्रेजी से ज्यादा नहीं सोच पाई, बाकी पार्टियों के लिए चीयरलीडर बनी रही और आप नीतीश, लालू और मोदी से आगे नहीं बढ़ पाए. आपकी आवाज तो मैं बन गई पर आप मेरी आवाज भी नहीं बन पाए और शायद आपको मेरे आवाज की जरूरत भी नहीं. इनकी ताकत को बस आपकी ताकत हरा सकती थी पर आपको आपस में लड़ने से फुर्सत नहीं मिली.'
आगे उन्होंने लिखा, 'आज अंधेरा बरकरार है और 5 साल, और क्या पता शायद 30 साल या आपकी पूरी जिंदगी तक यही अंधेरा रहेगा, आप ये मुझसे बेहतर जानते हैं. आज जब अपनी मक्कारी से इन्होंने हमें हरा दिया है, मेरे पास दो रास्ते हैं. इन्होंने बहुत बड़ा खेल करके रखा है जिस पर यकीन होना भी मुश्किल है. या तो आपके लिए मैं उससे लड़ूं पर अब लड़ने के लिए कुछ नहीं बचा है ना ही पैसा ना ही आप पर विश्वास, और दूसरा बिहार को इस कीचड़ में छोड़ दूं. निर्णय लेना थोड़ा मुश्किल है. मेरी संवेदना मेरे लाखों कार्यकर्ताओं और समर्थकों के साथ है. फिलहाल, आप अंधेर नगरी में अंधेरे का जश्न मनाएं और चौपट राजाओं के लिए ताली बजाएं. जब ताली बजा कर थक जाएं, और अंधेरा बरकरार रहे, तब सोचें कि कुछ भी बदला क्या, देखें कि सुबह आई क्या? मैंने बस हमेशा आपकी खुशी और बेहतरी चाही है, सब खुश रहें और आपस में मुहब्बत से रहें.'
पुष्पम प्रिया का सियासी सफर
बिहार विधानसभा चुनाव में पुष्पम प्रिया चौधरी पर प्रदेश ही नहीं बल्कि देश भर की नजर थी. मूल रूप से दरभंगा की रहने वाली पुष्पम ने लंदन के मशहूर लंदन स्कूल ऑफ इकॉनमिक्स से पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन में मास्टर्स की डिग्री ली है. लंदन रिटर्न पुष्पम बिहार राजनीति में अकेले चुनावी मैदान में उतरी थीं. हालांकि, एक समय में उनके पिता जेडीयू में थे, लेकिन इस चुनाव में पुष्पम ने अलग ही पार्टी बनाकर मैदान में उतरीं.