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बिहार में पांच दशक के बाद स्पीकर के लिए चुनाव, सत्तापक्ष और विपक्ष आमने-सामने

बिहार विधानसभा अध्यक्ष के लिए सत्तापक्ष की ओर से बीजेपी विधायक विजय सिन्हा और विपक्ष की ओर से आरजेडी विधायक अवध बिहारी चौधरी आमने-सामने हैं. बिहार में पांच दशक के बाद विधानसभा अध्यक्ष की कुर्सी के लिए चुनाव हो रहा है. बुधवार की सुबह 11:00 बजे से लेकर शाम 4:00 बजे तक वोटिंग होगी और शाम 5:00 बजे से वोटों की गिनती होगी.

विजय सिन्हा और अवध बिहारी चौधरी विजय सिन्हा और अवध बिहारी चौधरी
aajtak.in
  • नई दिल्ली ,
  • 25 नवंबर 2020,
  • अपडेटेड 10:02 AM IST
  • बिहार में तीसरी बार विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव
  • पांच दशक के बाद स्पीकर के लिए हो रहा चुनाव
  • अवध बिहार बनाम विजय सिन्हा के बीच मुकाबला

बिहार विधानसभा अध्यक्ष का चयन इस बार सर्वसम्मति से होने के बजाय इसका फैसला आज यानी बुधवार को वोटिंग के जरिए होगा. स्पीकर पद के लिए सत्तापक्ष की ओर से बीजेपी विधायक विजय सिन्हा और विपक्ष की ओर से आरजेडी विधायक अवध बिहारी चौधरी आमने-सामने हैं. बिहार में पांच दशक के बाद विधानसभा अध्यक्ष की कुर्सी के लिए चुनाव हो रहा है. इससे पहले 1969 में वोटिंग के जरिए स्पीकर का फैसला हो सका था. 

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बिहार विधानसभा अध्यक्ष के लिए बुधवार की सुबह 11:00 बजे से लेकर शाम 4:00 बजे तक वोटिंग होगी, जबकि शाम 5:00 बजे से वोटों की गिनती होगी. सीटों के लिहाज से आरजेडी विधानसभा में भले ही सबसे बड़ी पार्टी है, लेकिन गठबंधन के तहत एनडीए का पलड़ा भारी है. एनडीए को बहुमत का आंकड़ा प्राप्त है. इसके बावजूद आरजेडी ने विधानसभा अध्यक्ष के पद पर अपना प्रत्याशी उतारकर चुनावी प्रक्रिया के जरिए स्पीकर के चुनाव की पठकथा लिख दी है. 

बता दें कि विधानसभा अध्यक्ष की कुर्सी पर कौन बैठे, यह आमतौर पर विधानसभा में बहुमत के साथ सरकार बनाने वाली पार्टी या गठबंधन तय कर लेती है. विधानसभा स्पीकर को अक्सर सर्वसम्मति के साथ निर्विरोध चुन लिया जाता है, लेकिन बिहार में इस बार वोटिंग प्रक्रिया के जरिए विधानसभा अध्यक्ष चुना जाना है. इस तरह से स्पीकर पद पर एक तरह से चुनाव की परंपरा बहुत ही कम देखने को मिलती है. 

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बिहार में विधानसभा अध्यक्ष के लिए यह तीसरी बार चुनाव हो रहा है. इससे पहले साल 1967 और साल 1969 में स्पीकर का चयन वोटिंग प्रक्रिया के जरिए तय किया गया था. 1967 के विधानसभा अध्यक्ष के लिए धनिक लाल मंडल सत्तापक्ष की ओर से प्रत्याशी थे. जबकि विपक्ष ने सरदार हरिहर सिंह को उतरा था. इसमें धनिक लाल मंडल विधानसभा के अध्यक्ष चुने गए थे.

बिहार में दूसरी बार विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव की नौबत 11 मार्च, 1969 को आई. कांग्रेस नेता हरिहर प्रसाद सिंह ने सत्ता पक्ष की ओर से रामनारायण मंडल को अध्यक्ष बनाए जाने का प्रस्ताव रखा, जगदेव प्रसाद ने इसका अनुमोदन किया. वहीं. विपक्षी खेमे की ओर से कर्पूरी ठाकुर ने अध्यक्ष पद के लिए धनिक लाल मंडल के नाम का प्रस्ताव किया और इसका अनुमोदन राम अवधेश सिंह ने किया. इसके बाद हुए चुनाव में राम नारायण मंडल को अध्यक्ष बनाए जाने के पक्ष में 155 जबकि विपक्ष में 149 वोट पड़े. इस तरह से विपक्ष को मात खानी पड़ी थी. 

बिहार विधानसभा अध्यक्ष पद को लेकर अब एक बार फिर सत्तापक्ष और विपक्ष आमने-सामने है. बीजेपी की ओर से पूर्व मंत्री और लखीसराय विधायक विजय कुमार सिन्हा हैं तो महागठबंधन ने आरजेडी विधायक अवध बिहारी चौधरी को उतारा है. सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच राजनीतिक जोर आजमाइश होगी. बुधवार को  दिनभर वोटिंग की प्रक्रिया के बाद शाम तक परिणाम सामने आएगा. इसमें जो जीतेगा वही स्पीकर की कुर्सी पर विराजमान हो सकेगा. 

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बिहार के कुल 243 विधानसभा सदस्य हैं, जिनमें से 123 सदस्यों के वोट पाने वाला ही स्पीकर चुनाव जाएगा. ऐसे में एनडीए के पक्ष में 126 विधायकों का समर्थन हासिल है, जिनमें बीजेपी 74, जेडीयू के 43, हिंदुस्तान आवाम मोर्चा के 4, वीआईपी के चार और एक निर्दलीय विधायक शामिल हैं. विपक्षी खेमे में महागठबंधन के साथ 110 विधायक हैं, जिनमें आरजेडी के 75, कांग्रेस के 19 और वामपंथी दलों के 16 विधायक का समर्थन है. इसके अलावा सात विधायक अन्य के पास हैं, जिनमें 5 AIMIM, एक एलजेपी और एक बसपा के विधायक हैं. ऐसे में देखना होगा कि ओवैसी की पार्टी के विधायक एनडीए या फिर महागठबंधन के प्रत्याशी के पक्ष में वोट करते हैं. 

 

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