
बिहार के औरंगाबाद में छठ पूजा के लिए प्रसाद बनाने के दौरान अचानक गैस सिलेंडर फट गया. सिलेंडर फटने से दो मंजिला इमारत में आग लग गई. आग में झुलसने से 30 से ज्यादा लोग घायल हो गए. इस दौरान आग पर काबू पाने पहुंचे पुलिसकर्मी भी झुलस गए, जिन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है.
औरंगाबाद शहर की सबसे पतली गलियों में शामिल तेली मोहल्ले में ये घटना हुई है. शुक्रवार की रात ओड़िया गली में अचानक गैस सिलेंडर फट गया. इससे दो मंजिला इमारत वाले घर में आग लग गई. पता चला कि पुरानी जीटी रोड स्थित मर्फी रेडियो वाली गली में अनिल गोस्वामी नामक शख्स के घर में छठ पूजा का आयोजन हो रहा था. उनके घर में शुक्रवार की देर रात महिलाएं छठ पर्व के लिए प्रसाद बना रही थीं.
जानकारी के मुताबिक, छठ पर्व के लिए प्रसाद बनाने के दौरान गैस की पाइप लीकेज होने से रिसाव होने लगा. धीरे-धीरे गैस का रिसाव सिलेंडर तक पहुंच गया, जिससे ब्लास्ट हो गया. इस दौरान 30 से ज्यादा महिला-पुरुष आग की चपेट में आने से झुलस गए. इस दौरान आग पर काबू पाने पहुंचे पुलिसकर्मी भी उसकी चपेट में आ गए. हादसे में घायल हुए लोगों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है.
28 अक्टूबर को छठ महापर्व की शुरुआत
बता दें कि 28 अक्टूबर से छठ महापर्व की शुरुआत हो गई है. छठ का पहला दिन नहाय खाय होता है. छठ के व्रत को सबसे कठिन व्रत माना जाता है. मान्यता है कि जो महिलाएं छठ के नियमों का पालन करती हैं, छठी माता उनकी हर मनोकामना पूरी करती हैं. छठ पूजा में सूर्य देव का पूजन किया जाता है. यह पर्व चार दिनों तक चलता है. छठ पर्व का दूसरा दिन खरना कहलाता है. खरना का अर्थ होता है शुद्धिकरण. खरना के दिन छठ पूजा का प्रसाद बनाने की परंपरा है.
खरना के दिन व्रत रखती हैं महिलाएं
खरना के दिन महिलाएं पूरे दिन व्रत रखती हैं. इस दिन छठी माता का प्रसाद तैयार किया जाता है. इस दिन गुड़ की खीर बनती है. खास बात यह है कि वह खीर मिट्टी के चूल्हे पर तैयार की जाती है. प्रसाद तैयार होने के बाद सबसे पहले व्रती महिलाएं इसे ग्रहण करती हैं, उसके बाद इसे बांटा जाता है. इस दिन भगवान सूर्य की पूजा की जाती है. इसके अगले दिन सूर्यास्त के समय व्रती लोग नदी और घाटों पर पहुंच जाते हैं. जहां डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. इस दौरान सूर्यदेव को जल और दूध से अर्घ्य देते है. साथ ही इस दिन व्रती महिलाएं छठी मैया के गीत भी गाती हैं.