Advertisement

भोजपुरी में जातिसूचक गानों पर बिहार में उबाल, CM नीतीश कुमार तक पहुंचा मामला

Bihar News: भोजपुरी गायकों ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पत्र लिखकर जातिसूचक भोजपुरी गानों के बनाने और गाने पर रोक लगाने की मांग की है. 

सीएम नीतीश कुमार (फाइल फोटो) सीएम नीतीश कुमार (फाइल फोटो)
सुजीत झा
  • पटना,
  • 04 मई 2022,
  • अपडेटेड 12:49 PM IST
  • जातिसूचक भोजपुरी गानों पर रोक की मांग
  • मुख्यमंत्री नीतीश कुमार तक पहुंचा मामला

Bihar News: कभी अपनी भाषाई सोंधी महक और मिट्टी की खुशबू के लिए जानी जाने वाली भोजपुरी भाषा इन दिनों विवादों में घिर गई है. कभी अंगुरी में डसले बिया नगिनिया हो और शारदा सिन्हा के गाए गीतों से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकार हुई भोजपुरी का स्तर लगातार गिरता जा रहा है. पैसे कमाने की होड़ और सोशल मीडिया पर एक दूसरे से आगे निकलने की होड़ ने भोजपुरी के गानों को जातिगत विद्वेष से भर दिया है.

Advertisement

अब आनन-फानन में हिट और लाइक पाने के लिए छुटभैये गायक और भोजपुरी के सितारे दिन-रात ऐसे गाने बना रहे हैं, जिससे सामाजिक समरसता के बिगड़ने का खतरा बढ़ गया है. इसी बात से चिंतित होकर खुद कई अश्लील भोजपुरी गाने गाने वाले गायक ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पत्र लिखकर जातिसूचक भोजपुरी गानों के बनाने और गाने पर रोक लगाने की मांग की है. 

कभी कजरी, ठुमरी और सोहर के बोल भोजपुरी भाषा की मिठास की पहचान होते थे. अब बदलते वक्त में गानों के बोल चोली, हुक, बटम और घाघरा के अलावा जातिसूचक बोल से शुरू होते हैं. हम सबसे पहले आपको बिहार की विभिन्न जातियों के ऊपर बने गानों के कुछ बोल से रूबरू कर रहे हैं.  जैसे- आरा में चले ला अहिरान (यादव) के. यानि की आरा में सिर्फ और सिर्फ यादव यानी अहीर की चलती है. दूसरे किसी के पास पावर नहीं है. आगे सुनिए- यादव जी बना ल आपन बीबी. यादव जी अपनी बीबी बना लीजिए. एक और गाना- पांडे जी का बेटा हूं. ये ब्राह्मणों पर बनाया गया है. आगे का बोल सुनिए- अइलु दूबे जी के बारात में, काहे डरा लू नाच में. तुम दूबे जी की बरात में आई हो, नाचने में डर क्यों रही हो. अगला गाना है- गोली चलेला बबुआन (राजपूत) के बारात में. राजपूत के बारात में गोली चलती है. अगला गाना दो जातियों में विद्वेष फैलाने के लिए है- टोला अहिरान (यादव) के रंगदारी चली बबुआन के. यानी इलाका अहीर (यादव) का है लेकिन रंगदारी राजपूत की चलेगी.

Advertisement

ये गाने महज बानगी हैं, जो इन दिनों सोशल मीडिया और यूट्यूब पर सुने जा रहे हैं. अगले गाने का बोल सुनिए- बबुआन (राजपूत) से बड़ बदमाश कौन ह. राजपूत से बड़ा दबंग कोई नहीं. आगे देखिए- लवर हमार भूमिहार घराना के. मेरी प्रेमिका भूमिहार घराने की है. आगे के गाने का बोल सुनिए- लहंगा निहारतारे लाला (कायस्थ) जी. मेरा लहंगा घुरकर देक रहे हैं लालाजी. आगे का गाना- खानदानी भूमिहार AK-47. और अब एक गाना हिट हुआ है-  हमके मरदे चाहिले भूमिहार राजा जी. हमको पति चाहिए भूमिहार जाति का. 

भोजपुरी गानों पर अपनी चिंता जताते हुए वरिष्ठ कवि और भोजपुरी के जानकार पूर्णानंद मिश्रा कहते हैं कि बिहार के हर वर्ग के बुद्धिजीवी इन गानों से व्यथित हैं. कोई नहीं चाहता कि समाज में ऐसा गाना बजे. लेकिन लगातार ऐसे गाने सोशल मीडिया पर पॉपुलर हो रहे हैं. यूट्यूब पर हिट होने से गायकों की कमाई हो रही है लेकिन समाज के अंदर धीरे-धीरे दुश्मनी सुलग रही है. गांव की स्थिति और भी खतरनाक है. आपस में मारपीट की घटनाएं बढ़ गई है. अब तो किसी भी गाने बजाने के कार्यक्रम में पिस्तौल लेकर ऐसे जातिसूचक गानों पर तमंचे पर डिस्को चल रहा है. 

इस पूरे मामले में बिहार के कला-संस्कृति मंत्री आलोक रंजन झा कहते हैं कि उनके पास आज तक इस तरह का मामला नहीं आया है. यदि ऐसा कुछ मामला चल रहा है, तो वे ऐसे गानों को कतई बाहर नहीं आने देंगे. ऐसे गानों पर प्रतिबंध लगेगा. उन्होंने ये भी कहा कि वे खुद मुख्यमंत्री से इस मामले में हस्तक्षेप की अपील करेंगे और बिहार की कला-संस्कृति और भोजपुरी को स्वच्छ बनाने का प्रयास करेंगे. ये गाने समाज के लिए ठीक भी नहीं है.

Advertisement

आलोक रंजन ने इस मामले में उन कलाकारों को भी दोषी ठहराया है. उनका कहना है कि अगर ये गाने समाज के लिए ठीक नहीं हैं. तो उन्हें गायक गा क्यों रहे हैं. अगर कलाकार ही जातिसूचक गाने गाएंगे, तो समाज के बाकी छोटे कलाकार भी उसी रास्ते पर चलेंगे. इधर स्थिति ये है कि छुटभैये कलाकार अपना हिट बढ़ाने और फैन फॉलोअर को बढ़ाने के लिए, अपनी टीआरपी बढ़ाने के लिए इस प्रकार के गाने गाते हैं. ऐसे गानों की वजह से समाज में वैमनस्यता बढ़ रही है और आपसी सद्भाव कम हो रहा है. 

वहीं, राजद प्रवक्ता शक्ति यादव ने कहा कि अब जाति बंधन तोड़ने की कोशिश चल ही है. बिहार में जातिसूचक गाने बजाने की वजह से माहौल खराब हो रहा है, इस पर जल्द रोक लगनी चाहिए. जदयू प्रवक्ता निखिल मंडल और नीरज कुमार भी मानते हैं कि जो हो रहा है वो बिल्कुल गलत है. किसी जाति विशेष को लेकर इस तरह के गाने कतई बर्दाश्त नहीं किए जाएंगे. बहुत जल्द ऐसे गानों पर बिहार में प्रतिबंध लगाया जाएगा. प्रवक्ताओं ने कहा कि भोजपुरी भाषा काफी मीठी भाषा है और कला से जुड़े लोगों को भाषा की गरिमा के अलावा अपनी कला की गरिमा का भी ख्याल रखना होगा.

Advertisement

दूसरी ओर वरिष्ठ पत्रकार प्रमोद दत्त कहते हैं कि जब सियासी दलों में ही जाति की राजनीति चरम पर है और लगातार ब्राह्मण सम्मेलन, क्षेत्रीय सम्मेलन और कायस्थ सम्मेलन के साथ भूमिहार एकता मंच की बात होती है, तो गायकों को कैसे सुधार सकते हैं. सबसे पहले बिहार के नेताओं और राजनीति को सुधरना होगा, तब ये गायक सुधरेंगे.

 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement