
बिहार में सियासी बदलाव के बाद से ही राजनीतिक तपिश बढ़ी हुई है. बीजेपी अपने सियासी समीकरण को दुरुस्त करने में जुटी है तो नीतीश कुमार की वापसी के बाद महागठबंधन भी एक्टिव है. महागठबंधन सरकार यानी जेडीयू-आरजेडी सहित सात दलों का पहला बजट मंगलवार को वित्त मंत्री विजय कुमार चौधरी पेश करेंगे. लोकसभा चुनाव को देखते हुए महागठबंधन सरकार का फोकस मिशन-2024 पर होगा. ऐसे में बेरोजगारी और बिहार के पलायन को रोकने के लिए नीतीश-तेजस्वी सरकार के बजट में बड़े प्लान और कई लोक लुभावन घोषणाएं हो सकती हैं.
नौकरियां देने का एलान हो सकता है?
बिहार विधानसभा चुनाव के समय से ही आरजेडी नेता तेजस्वी यादव लाखों नौकरियों का वादा करते आ रहे हैं. उनका यहां तक कहना था कि महागठबंधन सरकार बनने के बाद वो अपनी कलम से सबसे पहले युवाओं के लिए 10 लाख नौकरियों पर हस्ताक्षर करेंगे. महागठबंधन में एंट्री करने के बाद सीएम नीतीश कुमार ने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर 20 लाख युवाओं को रोजगार देने का ऐलान किया था. ऐसे में माना जा रहा है कि महागठबंधन सरकार बजट में रोजगार को लेकर बड़े ऐलान कर सकती है. इसके संकेत पहले से ही मिलने लगे हैं.
वित्त मंत्री विजय कुमार चौधरी मंगलवार को जब आज राज्य सरकार का बजट पेश करेंगे तो रोजगार को लेकर बड़ा ऐलान हो सकता है. राज्य सरकार बजट के जरिए यह बता सकती है कि रोजगार और सरकारी नौकरियों को लेकर उसका ब्लूप्रिंट क्या है? देश में अगले साल होने वाले आम चुनाव के पहले महागठबंधन सरकार अपने बजट के जरिए रोजगार कार्ड खेल सकती है. विधानसभा सत्र के पहले दिन जब संयुक्त सदन में राज्यपाल का अभिभाषण हुआ तो इस दौरान भी रोजगार को लेकर कई बातों का उल्लेख किया गया था.
उम्मीद है कि बिहार से लगातार हो रहे पलायन को रोकने के लिए उद्योग के क्षेत्र और युवाओं को रोजगार देने की दिशा में कुछ ठोस ऐलान हो सकते हैं, क्योंकि महागठबंधन की सरकार बनने के लगातार रोजगार की मांग उठ रही है. नीतीश और तेजस्वी के अगुवाई वाली सरकार नौकरियों के नियुक्तियों के प्रमाणपत्र भी बांट रही है ताकि इसका प्रचार-प्रसार भी हो सके और लोगों को रोजगार के मिलने का भरोसा भी बना रहे. ऐसे में अब जब महागठबंधन का पहला बजट आ रहा है तो निश्चित तौर पर रोजगार की दिशा में बड़े ऐलान हो सकते हैं.
पिछली बार की तुलना में इस बार बड़ा होगा बजट का आकार
पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में इस बार भी राज्य सरकार अपने बजट का आकार बढ़ा सकती है. हालांकि इसमें बहुत इजाफा होगा, इसकी उम्मीद कम ही है. नीतीश कुमार एनडीए के साथ रहते हुए 2020 के बाद दो बार बजट पेश किया गया है, जिसमें वित्त वर्ष 2021-22 में 2 लाख 18 हजार 302 करोड़ 70 लाख रुपये का बजट था जबकि वित्त वर्ष 2022-23 में इसे बढ़ाकर 2 लाख 37 हजार 691 करोड़ 19 लाख रुपये कर दिया गया था. पिछली बार बिहार सरकार शिक्षा क्षेत्र में सबसे ज्यादा राशि 39,191 करोड़ रुपये दिए थे. यह कुल बजट का 16.5 फीसदी हिस्सा था. वहीं, कृषि क्षेत्र में बिहार सरकार ने 29 हजार 749 करोड़ रुपये दिए थे. इस बार के बजट में देखना होगा कि सरकार शिक्षा, रोजगार और कृषि के लिए कितनी राशि देती है.
बजट को छह सूत्री एजेंडे पर तैयार किया गया था, लेकिन सियासी बदलाव के बाद समीकरण भी बदल गए हैं. नीतीश कुमार मुख्यमंत्री जरूर हैं, लेकिन अब बिहार में एनडीए के बजाय महागठबंधन की सरकार है. डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव लगातार रोजगार की बात कर रहे हैं तो सीएम नीतीश कुमार की तरफ से सात निश्चय समेत अन्य योजनाओं पर फोकस किया जा रहा है. ऐसे में बजट के अंदर दोनों प्रमुख घटक दलों के एजेंडे का समावेश कैसे किया जाता है, यह देखना दिलचस्प होगा. इतना ही नहीं महागठबंधन सरकार को 2024 के लोकसभा चुनाव के सियासी समीकरण को साधने की चुनौती है.
बिहार में विकास की रफ्तार
वित्त मंत्री विजय कुमार चौधरी विधानसभा में जब बजट पेश करेंगे, उस वक्त ना केवल आर्थिक जानकारों की नजर बजट पर होगी बल्कि विपक्ष भी इस पर बारीक नजर रखेगा. खास तौर पर बीजेपी यह जरूर देखेगी की महागठबंधन के साथ जाने के बाद नीतीश कुमार ने प्राथमिकता सूची से एनडीए सरकार का कौन सा एजेंडा बाहर कर दिया. इसके पहले विधानसभा में महागठबंधन सरकार की तरफ से आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट पेश की गई है. नीतीश सरकार के वित्त मंत्री विजय कुमार चौधरी ने वित्तीय वर्ष 2022–23 का आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट रखा और बाद में इसे लेकर विस्तृत जानकारी भी दी.
बिहार में प्रति व्यक्ति आय बढ़ी
वित्त मंत्री के मुताबिक आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट यह बता रहा है कि बिहार देश के अंदर तेजी से विकसित होने वाले राज्यों की लिस्ट में तीसरे नंबर पर है. बिहार का डेवलपमेंट ग्रोथ 10.98 फीसदी रहा जो राष्ट्रीय औसत से कहीं ज्यादा है. राज्य में लोगों की आय भी बढ़ी है, लेकिन साथ ही ग्रामीण इलाकों में महंगाई बढ़ने की बात आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट में दी गई है. पिछले साल की तुलना में आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट के मुताबिक बिहार में प्रति व्यक्ति सालाना आय 6400 बढ़कर 54,383 रुपए हो गई है. बिहार से ऊपर बेहतर प्रदर्शन करने वाले राज्यों की लिस्ट में आंध्र प्रदेश और राजस्थान हैं. आंध्र प्रदेश में विकास दर 11.4 फ़ीसदी और राजस्थान में 11 फ़ीसदी है, राष्ट्रीय औसत 8.86 फ़ीसदी का है.