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बिहार में जातीय गणना के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई पूरी, पटना हाई कोर्ट आज सुनाएगा फैसला

बिहार में जातीय जनगणना के खिलाफ पटना हाई कोर्ट में सुनवाई पूरी हो चुकी है. पटना हाई कोर्ट इस मामले में आज फैसला सुनाएगा. सरकार की ओर से कोर्ट में कहा गया है कि लोग अपनी मर्जी से 17 सवालों का जवाब दे रहे हैं.

पटना हाई कोर्ट (फाइल फोटो) पटना हाई कोर्ट (फाइल फोटो)
शशि भूषण कुमार
  • पटना,
  • 04 मई 2023,
  • अपडेटेड 8:22 AM IST

बिहार में जाति आधारित गणना के खिलाफ दायर की गई याचिकाओं पर पटना हाई कोर्ट ने बुधवार को सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रख लिया था. अदालत इस मामले पर आज फैसला सुनाएगी. हाई कोर्ट में याचिका दायर कर जातीय जनगणना को तत्काल रोकने की मांग की गई है. 

बुधवार को पटना हाई कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति मधुरेश प्रसाद की पीठ ने एक साथ पांच याचिकाओं पर सुनवाई की और सुनवाई पूरी होने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया. बता दें कि मंगलवार को भी हाई कोर्ट में इस मामले की सुनवाई हुई थी. याचिकाकर्ताओं ने जातीय जनगणना पर सवाल उठाते हुए उसे तत्काल रोकने के लिए दलील दी थी.  

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याचिकाकर्ताओं की दलील पूरी होने के बाद राज्य सरकार की तरफ से महाधिवक्ता पीके शाही ने सभी सवालों का कोर्ट में जवाब दिया. मंगलवार को सरकार का जवाब पूरा नहीं हो सका था, इसलिए बुधवार को एक बार फिर सरकार ने इस मामले में आगे अपना पक्ष रखा. सरकार की तरफ से महाधिवक्ता ने कहा कि जाति आधारित गणना के लिए जो 17 सवाल तय किए गए हैं उससे किसी की गोपनीयता भंग नहीं हो रही है.  

सरकार की ओर से कहा गया कि कुछ चुनिंदा लोग इसका विरोध कर रहे हैं, जबकि ज्यादातर लोग अपनी जाति बताने से परहेज नहीं कर रहे हैं. लोग अपनी मर्जी से सभी 17 सवालों का जवाब दे रहे हैं. महाधिवक्ता ने हाई कोर्ट में यह भी कहा कि सरकार को गणना करने का अधिकार है.  

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जातीय गणना पर सरकार ने क्या दिया तर्क? 

जातीय गणना को लेकर पटना हाई कोर्ट में जो याचिकाएं दायर की गई उस पर बहस के दौरान राज्य सरकार की तरफ से महाधिवक्ता ने तर्क दिया. सरकार ने हाई कोर्ट में कहा कि सरकारी योजनाओं का फायदा लेने के लिए सभी अपनी जाति बताने को आतुर रहते हैं. उन्होंने नगर निकायों एवं पंचायत चुनावों में पिछड़ी जातियों को कोई आरक्षण नहीं देने का हवाला देते हुए कहा कि ओबीसी को 20 प्रतिशत, एससी को 16 फीसदी और एसटी को एक फीसदी आरक्षण दिया जा रहा है. अभी भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक 50 फीसदी आरक्षण दिया जा सकता है. राज्य सरकार नगर निकाय और पंचायत चुनाव में 13 प्रतिशत और आरक्षण दे सकती है. सरकार ने कोर्ट में तर्क दिया कि इसलिए भी जातीय गणना जरूरी है. 

 

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