
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार गुरुवार को पटना में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 के तहत राज्य स्तरीय सतर्कता एवं अनुश्रवण समिति की बैठक में शामिल हुए. इस दौरान उन्होंने निर्देश दिया कि इस एक्ट के तहत दर्ज मामलों का निष्पादन समय सीमा के अंदर हो.
मुख्यमंत्री ने निर्देष दिया कि अनुसूचित जाति-जन जाति अत्याचार अधिनियम के तहत दर्ज मामलों का कैटेगरी वाइज विश्लेषण करें, मामलों में क्या कार्रवाई हुई इसे भी देखें. अगर मामले में चार्जशीट दाखिल की गई है तो कोर्ट से कार्रवाई जल्द हो इसका ध्यान रखें. उन्होंने यह भी निर्देष दिया कि अनुसूचित जति-जन जाति अत्याचार अधिनियम के तहत दर्ज मामलों में जांच लंबित नहीं रहनी चाहिए. इसके लिए उन्होंने एक समय अवधि निर्धारित की है.पुलिस महानिदेषक इसकी समीक्षा करेंगे.
मुख्यमंत्री ने निर्देश देते हुए कहा कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति एक्ट से जुड़े मामलों का निष्पादन समय सीमा के अंदर हो जाना चाहिए. पुलिस महानिदेशक, गृह सचिव, सीआईडी, आईजी कमजोर वर्ग सब लोग बैठकर विश्लेषण कीजिए कि लंबित मामलों के निष्पादन में विलंब क्यों हो रहा है. मुख्यमंत्री ने निर्देष दिया कि महादलित वर्ग के अन्दर अब सभी अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति को शामिल किया गया है.
मुख्यमंत्री ने निर्देष दिया कि जिला स्तर पर अनुसूचित जाति-जन जाति अधिकार अधिनियम सतर्कता समिति की बैठक निर्धारित समय सीमा में होनी चाहिए. जिला स्तर पर साल में चार बैठकें होनी हैं, इसे सुनिश्चित कराए. जिन जिलों में निर्धारित बैठकें नहीं की गई हैं उन जिलों के जिलाधिकारी से कारण पूछा जाए. मुख्यमंत्री ने निर्देष दिया कि जिला स्तर पर सतर्कता समिति की बैठकों के आयोजन को जिलाधिकारी के एसीआर का भी बिन्दु बनाया जाए.
समीक्षा के क्रम में मुख्यमंत्री ने निर्देष दिया कि न सिर्फ अनुसूचित जाति-जन जाति थाने में अनुसूचित जाति-जन जाति निवारण अधिनियम के तहत दर्ज मामलों की समीक्षा करें बल्कि अन्य थानों में इस अधिनियम के तहत दर्ज मामलों की भी समीक्षा की जाए. मुख्यमंत्री ने कहा कि बैठक में उठाए गए विभिन्न बिन्दुओं पर क्या कार्रवाई की गई है इसके लिए जल्द ही बैठक बुलाई जाएगी.