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नीतीश कुमार के तेवर बदल रहे? पिछले दिनों में उठाए गए 5 कदम दे रहे गवाही

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एक के बाद एक कई मुद्दों पर बीजेपी और केंद्र सरकार की राय से उलट बयान ही नहीं दे रहे हैं बल्कि विपक्षी नेता के साथ भी सुर में सुर मिला रहे हैं. जातिगत जनगणना और पेगासस जासूसी मामले पर नीतीश का स्टैंड बीजेपी से उलटा है. ऐसे में बिहार की सियासत में में कब कौन-सा 'खेला' हो जाए, कोई नहीं कह सकता? 

नीतीश कुमार नीतीश कुमार
कुबूल अहमद
  • नई दिल्ली ,
  • 03 अगस्त 2021,
  • अपडेटेड 10:05 AM IST
  • जातिगत जनगणना की नीतीश कुमार ने उठाई मांग
  • मेगासस जासूसी मामले पर नीतीश विपक्ष के साथ
  • नीतीश और तेजस्वी की मुलाकात के सियासी मायने

बिहार में नीतीश कुमार के अगुवाई वाले एनडीए के भीतर लगातार असमंजस की स्थिति बनी हुई है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एक के बाद एक कई मुद्दों पर बीजेपी और केंद्र सरकार की राय से उलट बयान ही नहीं दे रहे हैं बल्कि विपक्षी नेता के साथ भी सुर में सुर मिला रहे हैं. जातिगत जनगणना और पेगासस जासूसी मामले पर नीतीश का स्टैंड बीजेपी से उलटा है. हाल ही में नीतीश कुमार और उनकी पार्टी के तेवर को देखते हुए बिहार की सियासत में कब कौन-सा 'खेला' हो जाए, कोई नहीं कह सकता.

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पेगासस जासूसी पर नीतीश विपक्ष के साथ

पेगासस जासूसी मामले को लेकर देश की राजनीति में बवाल मचा हुआ है. केंद्र की मोदी सरकार पर फोन टैपिंग का आरोप लगाकर विपक्ष के नेता हंगामा कर रहे और साथ ही पूरे मामले की जांच की मांग उठा रहे हैं. पेगासस जासूसी मामले पर एनडीए के सहयोगी और बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने जांच की मांग उठाकर बीजेपी को मुश्किल में डाल दिया है. 

नीतीश ने कहा कि टेलीफोन टैपिंग की बात कई दिनों से सामने आ रही है. इसकी जरूर जांच हो जानी चाहिए ताकि कोई किसी को डिस्टर्ब करने के लिए कुछ न कर सके. आज कल कौन क्या कर लेगा कहना कहना मुश्किल है. इसलिए मेरे हिसाब से पूरे तौर पर एक-एक बात को देखकर उचित कदम उठाना चाहिए. विपक्ष की मांग का बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने समर्थन किया है, जो बीजेपी के स्टैंड से पूरी तरह उलटा है. 

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जातिगत जनगणना की नीतीश ने उठाई मांग

जातिगत जनगणना की मांग को लेकर नीतीश कुमार और उनकी पार्टी जेडीयू मोर्चा खोले हुए है जबकि बीजेपी इस पर राजी नहीं है. नीतीश कुमार ने कहा है कि देश में जातिगत जनगणना होनी चाहिए. इससे एससी/एसटी के अलावा अन्य कमजोर वर्ग की जाति की वास्तविक संख्या के आधार पर सभी के विकास के कार्यक्रम बनाने में सहायता मिलेगी. जेडीयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी ने भी प्रस्ताव पास कर जातिगत जनगणना कराने की मांग की है. 

नीतीश कुमार इससे पहले भी दो बार बिहार विधान मंडल में जातिगत जनगणना के लिए प्रस्ताव पास कर केंद्र सरकार को भेज चुकी हैं. वहीं, अब नीतीश जातिगत जनगणना कराने के लिए कई दल के लोगों से बात करेंगे. उन्होंने कहा कि इससे कोई तनाव नहीं होगा, समाज में खुशी होगी. जब जातीय जनगणना हो जाएगा तो सभी की संतुष्टि हो जाएगी. इससे समाज को फायदा होगा. हम लोगों को लगता है कि सभी लोगों की राय है कि यह देश में एक बार होना चाहिए, यह देश के हित में है. वहीं, बीजेपी शुरू से ही जातिगत जनगणना कराने को लेकर रजामंद नहीं है. मोदी सरकार स्पष्ट कह चुकी हैं कि साल 2021 में जातिगत जनगणना नहीं होगी. 

तेजस्वी के साथ नीतीश की मुलाकात

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मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शुक्रवार को अपने धुर राजनीतिक विरोधी और आरजेडी नेता तेजस्वी यादव सहित बिहार के अन्य विपक्षी दलों के नेताओं के साथ मुलाकात की थी. विपक्षी नेताओं के कहने पर नीतीश अब बिहार के विपक्षी दलों के नेताओं के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करेंगे और जातिगत जनगणना कराने की मांग भी रखेंगे. इतना ही नहीं नीतीश और तेजस्वी की मुलाकात भले ही जातिगत जनगणना के मुद्दे पर हो रही है, लेकिन सियासी कयास लगाए जा रहे हैं. नीतीश ने तेजस्वी से ही नहीं बल्कि हरियाणा के पूर्व सीएम और इनेलो के प्रमुख ओम प्रकाश चौटाला से भी मुलाकात की है. 

तेजस्वी यादव की आरजेडी तो नीतीश कुमार को 'दिल्ली' भेजने की बातें पहले ही कह चुकी है. आरजेडी नेताओं ने यहां तक कहा था कि नीतीश कुमार को चाहिए कि वो तेजस्वी को बिहार सौंपे और खुद एक बार फिर राष्ट्रीय राजनीति में अपनी किस्मत आजमाएं. ऐसे में नीतीश और तेजस्वी की मुलाकात बीजेपी नेताओं को रास नहीं आ रही है. ऐसे में बीजेपी नेता सम्राट चौधरी से लेकर संजय पासवान तक नीतीश कुमार के खिलाफ मोर्चा खोल चुके हैं. चौधरी ने कहा है कि बिहार में चार दलों की मिलकर सरकार है और सभी की विचारधारा अलग-अलग है इसलिए काम करने में मुश्किलें आती है. 

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उपेंद्र कुशवाहा का बयान

जेडीयू नेता उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि नीतीश कुमार पांच साल तक बिहार के मुख्यमंत्री रहेंगे. उस से 1 घंटे पहले भी दुनिया की कोई ताकत नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री पद से नहीं हटा सकती. अगर कोई इस मुगालते में रहता है कि नीतीश कुमार की कुर्सी चली जाएगी तो वह ख्याली पुलाव पका रहा है. नीतीश कुमार पीएम मेटेरियल है और पीएम बनने के लायक हैं.

उपेंद्र कुशवाहा ने नीतीश की कुर्सी को लेकर जो बयान दिया, उसके दोहरे मायने निकाले जा रहे हैं. पहला निशाना विपक्षी दलों पर है तो वहीं दूसरा सहयोगी दलों की तरफ. कुशवाहा का बयान ऐसे समय आया है जब देश में विपक्षी एकता के लिए ममता बनर्जी से लेकर राहुल गांधी तक सक्रिय हैं. ऐसे में नीतीश का नाम उछालना बीजेपी के लिए टेंशन भी बढ़ा रहा है. नीतीश कुमार ने इनोलो के प्रमुख ओम प्रकाश चौटाला से भी मुलाकात की है, जिसके सियासी मायने निकाले जा रहे हैं. हालांकि, नीतीश कुमार ने पीएम वाले बयान से इससे इनकार किया है. 

ललन सिंह के जरिए नीतीश ने चला दांव

नीतीश कुमार ने आरसीपी सिंह सिंह की जगह पर भूमिहार समुदाय से आने वाले ललन सिंह को पार्टी में राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद नियुक्त किया है. बिहार चुनाव के बाद नीतीश कुमार नए सिरे से पार्टी को संजोने और संभालने में लग गए हैं. इसी क्रम में राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह की ताजपोशी से महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है. ललन सिंह के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए जाने से साफ है कि जेडीयू महज कुर्मी, कोइरी और अति पिछड़ों की पार्टी से आगे बढ़कर अगड़ों को भी साधने में लग गई है. 

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ललन सिंह की नियुक्ति कर नीतीश कुमार ने बीजेपी के सामने भी एक चुनौती खड़ी कर दी है. भूमिहारों का एक बड़ा वर्ग बीजेपी से भी जुड़ा रहा है और परंपरागत वोटर माना जाता है, लेकिन अब जेडीयू भी इस वोटबैंक को साधने की कवायद में है. ऐसे में ललन सिंह को नीतीश ने आगे कर बीजेपी के लिए चिंता पैदा कर दी है. इस तरह से नीतीश कुमार के एक के बाद एक उठा जा रहे कदम से जाहिर होता है कि उनके सियासी तेवर बदल रहे हैं. ऐसे में बिहार की सियासत में कोई भी 'राजनीतिक खेला' हो सकता है?

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