
महागठबंधन टूटने और नई सरकार के गठन के बाद बिहार कांग्रेस में बहुत कुछ चल रहा है. मकर संक्रांति के अवसर पर जेडीयू के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने घर पर दही चूड़ा का भोज दिया. उनके इस भोज में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार तो आये ही और पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं को साथ भी लाए. लेकिन इस भोज की खास बात रही है कि इसमें तीन कांग्रेस के विधायक भी शामिल हुए. इनमें कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और मंत्री अशोक चौधरी भी शामिल थे. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक कांग्रेस के चार एमएलसी ने विधान परिषद के सभापति से सदन में अलग बैठने के लिए आवेदन दिया है.
बिहार में महागठबंधन की सरकार बिखरने के बाद बड़ी तेजी से ये खबर आई थी कि बिहार कांग्रेस में टूट होने वाली है. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक उस समय 18 विधायकों ने जेडीयू में शामिल होने पर सहमति भी जताई थी. लेकिन बाद में कांग्रेस के तत्कालीन उपाध्यक्ष और अब के अध्यक्ष राहुल गांधी की तत्परता और कुछ राजनीतिक कारणों से यह टूट नहीं हो सकी. लेकिन टूट की अगुवाई करने वाले कांग्रेस नेता चुप नहीं बैठे वो लगातार इस प्रयास में लगे रहे. अब धीर-धीर फिर वो माहौल दिखने लगा है.
शनिवार को कांग्रेस विधायक दल के नेता सदानंद सिंह ने कांग्रेस आलाकमान के आदेश पर विधायक दल की बैठक बुलाई. 27 विधायकों में से गिने चुने विधायक ही इस बैठक शामिल हुए. कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अशोक चौधरी उस बैठक में नहीं गए और कहा कि वो पटना से बाहर हैं लेकिन दूसरे ही दिन अशोक चौधरी तीन विधायकों के साथ जेडीयू प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह के भोज में शामिल हो जाते हैं. इस अवसर पर अशोक चौधरी ने कहा कि राजनीति में कभी पूर्णविराम नहीं होता.