
पद्म श्री सम्मान से सम्मानित वरिष्ठ लेखक और नाटककार दया प्रकाश सिन्हा ने सम्राट अशोक (Samrat Ashoka) को क्रूर, कामुक, बदसूरत कहकर विवाद पैदा कर दिया है. दया प्रकाश सिन्हा को उनके नाटक सम्राट अशोक के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार दिया गया है, लेकिन एक इंटरव्यू में उन्होंने सम्राट अशोक को भाइयों का हत्यारा बताकर उनकी तुलना औरंगजेब से कर दी है.
बता दें कि दया प्रकाश, इंडियन काउंसिल फॉर कल्चरल रिलेशंस के उपाध्यक्ष भी हैं. दया प्रकाश सिन्हा द्वारा सम्राट अशोक पर की गई विवादित टिप्पणी से बिहार में सियासी उबाल आ गया है.
मिली जानकारी के मुताबिक, लेखक दया प्रकाश सिन्हा बीजेपी कल्चरल सेल के संयोजक हैं, लेकिन बिहार के बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने कहा कि इस नाम का कोई व्यक्ति बीजेपी की कल्चरल सेल में नहीं है. दया प्रकाश रिटायर्ड आईएएस अधिकारी हैं और उनकी उम्र 87 साल है. जायसवाल का कहना है कि 75 वर्ष से अधिक उम्र का व्यक्ति बीजेपी में किसी पद पर नहीं रहता.
जेडीयू के अध्यक्ष राजीव रंजन ने कहा: यह अपमान असहनीय है
जेडीयू के साथ साथ बीजेपी ने भी दया प्रकाश के इस बयान की आलोचना की है. जेडीयू के अध्यक्ष राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से उनका पद्मश्री वापस लेने की मांग कर दी है. जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने कहा कि प्रियदर्शी सम्राट अशोक मौर्य अखंड भारत के निर्माता थे. उनके बारे में अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल असहनीय है, अक्षम्य है. जिसने ऐसा किया है, वह विकृत विचारधारा से प्रेरित है. उन्होंने राष्ट्रपति, केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मांग करते हुए कहा कि ऐसे व्यक्ति का पद्मश्री वापस ले लेना चाहिए.
मंत्री सम्राट चौधरी बोले: चक्रवर्ती सम्राट की तुलना औरंगजेब से करना असत्य व काल्पनिक है
बिहार के पंचायती राज विभाग के मंत्री और बीजेपी नेता सम्राट चौधरी ने लेखक दया प्रकाश सिन्हा के लेख के शीर्षक 'औरंगजेब जैसा ही था सम्राट अशोक' का खंडन करते हुए कहा कि एक चक्रवर्ती सम्राट की तुलना औरंगजेब से करना मनगढ़ंत असत्य एवं काल्पनिक है.
चक्रवर्ती सम्राट अशोक को बौद्ध ग्रंथ के हवाले से कुरूप क्रूर और पत्नी को जलाने वाला बताया जाना आश्चर्यजनक है, क्योंकि यदि सम्राट अशोक औरंगजेब जैसे होते तो तो सम्राट अशोक द्वारा स्थापित चक्र को न तो राष्ट्रीय प्रतीक बनाया जाता, न राष्ट्रीय ध्वज में पिरोया जाता और न ही राष्ट्रपति भवन में अशोका भवन बनाया जाता.
उन्होंने कहा कि सम्राट अशोक के संबंध में किसी भी इतिहासकार ने कभी ऐसी टिप्पणी नहीं की. सम्राट अशोक के स्वर्णिम शासन के कारण ही नरेंद्र मोदी की सरकार ने सम्राट अशोक के नाम पर डाक टिकट जारी किया. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पटना के गांधी मैदान के समीप अशोक कन्वेंशन हॉल बनाया और बिहार में जब नगर विकास मंत्री थे, तभी सम्राट अशोक भवन बनाने का निर्णय लिया था.
जेडीयू के नेता उपेन्द्र कुशवाहा बोले: सिन्हा से वापस हों पुरस्कार
सम्राट अशोक बिहार के ही नहीं, बल्कि पूरे देश और अखंड भारत के प्रतीक रहे हैं. यही वजह है कि बिहार में सभी पार्टियां दया प्रकाश सिन्हा के विवादित बयान की कड़ी आलोचना कर रही हैं. जेडीयू के नेता उपेन्द्र कुशवाहा ने सबसे पहले दया प्रकाश सिन्हा पर कार्रवाई की मांग की है. उन्होंने कहा कि उनको दिए गए सभी पुरस्कारों को वापस ले लेना चाहिए. कई संगठनों ने 13 जनवरी को दया प्रकाश सिन्हा के इस विवादित बयान को लेकर उनका पुतला फूंकने और विरोध करने का फैसला किया है.