
बिहार में कोरोना का संकट जारी है और अस्पतालों से बदइंतजामी की तस्वीरें लगातार सामने आ रही हैं. कहीं पर बेड नहीं हैं, कहीं पर वेंटिलेटर खराब पड़े हैं. अब जेडीयू के पूर्व विधायक मंजीत सिंह ने भी राज्य सरकार पर निशाना साधा है. उनके मुताबिक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में डॉक्टरों की भारी कमी है. उन्होंने जोर देकर कहा है कि 7744 पद की नियुक्ति के लिए कैबिनेट से स्वीकृति मिल गई है, लेकिन अभी तक डाक्टर और मेडिकल स्टाफ की बहाली नहीं हो पाई है.
JDU के पूर्व विधायक के नीतीश सरकार पर आरोप
बिहार में 603 करोड़ की लागत से 201 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र यानी पीएचसी को अपग्रेड कर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र यानी सीएचसी बनाया गया है. इनमें से 176 सीएचसी का उदघाटन 2018 में हो चुका है. पीएचसी में जहां 6 बेड हुआ करते थे, सीएचसी में 30 बेडों का इंतज़ाम है. इन सीएचसी को ग्रेड के हिसाब से रखा गया है. सबसे ज्यादा सुविधाएं ग्रेड 4 में होती हैं जहां शिक्षण और प्रशिक्षण की व्यवस्था पर्याप्त रहती हैं. अब पूर्व विधायक ने दावा कर दिया है कि प्रति समुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर राज्य सरकार के द्वारा सृजित 61 पदों पर बहाली होनी थी लेकिन अभी तक ये प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई है.
जानकारी के लिए बता दें कि अस्पताल स्तर 1 में डॉक्टरों के साथ प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं और सामान्य चिकित्सा बाल रोग शामिल हैं. वहीं आपातकालीन रोगी और माइनर सर्जरी के लिए प्राथमिक चिकित्सा में 30 बेड होना अनिर्वाय किया गया है. स्तर 2 के अस्पतालों की बात करें तो यहां सर्जरी और एनेस्थीसिया जैसी सुविधाएं शामिल हैं. इसी तरह स्तर 4 में सुपर स्पेशियलिटी को तैयार करने पर जोर है.
पूर्व विधायक का दावा, चिट्ठी लिखी, नहीं हुआ एक्शन
जेडीयू के पूर्व विधायक मंजीत सिंह ने इन सीएचसी में डॉक्टर और अन्य मेडिकल स्टाफ की बहाली करने के लिए कई बार बिहार के मुख्य सचिव और स्वास्थ्य विभाग को पत्र लिखा है. इसके अलावा लोक निवारण अधिकार अधिनियम में शिकायत तक दर्ज करवाई है लेकिन कुछ नहीं हुआ. आज कोरोना महामारी के इस दौर में लोगों को अस्पातालों में जगह नहीं मिल रही है और समुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों में लगभग 6000 बेड धूल फांक रहे हैं.
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स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने आरोपों को बताया बेबुनियाद
मंजीत सिंह के मुताबिक 10 मई 2018 को सरकार के विशेष सचिव ने पत्र लिख कर सीएचसी और पीएचसी में 7744 पदों की नियुक्ति के लिए स्वीकृति पत्र भी भेजा था लेकिन फिर भी नियुक्ति होती नहीं देखी गई. पूर्व विधायक मानते हैं कि इसी देरी की वजह से अब बिहार के ग्रामीण इलाकों में कोरोना जैसी महामारी के इलाज की समुचित व्यवस्था नहीं है.
इस विवाद पर राज्य के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय की तरफ से भी प्रतिक्रिया आई है. उन्होंने इन तमाम आरोपों को बेबुनियाद बता दिया है. वे कहते हैं कि सामुदायिक केन्द्रों पर काम हो रहा हैं डाक्टरों की कमी हर जगह है, हम बार बार विज्ञापन निकाल कर डाक्टरों को नियुक्त करते हैं लेकिन हमें जितने डाक्टरों की जरूरत है उतने डाक्टर मिल नहीं रहे हैं.