
बिहार में बाढ़ (Bihar Flood) का प्रलयकारी मंजर है. उत्तरी बिहार (North Bihar) में कई गांव बाढ़ की चपेट में हैं. मोतिहारी (Motihari), दरभंगा (Dharbhanga) और गोपालगंज (Gopalganj) में स्थितियां भयावह है. कहीं मकान डूब रहे हैं, कहीं दुकान डूब रही हैं, कहीं इंसान डूब रहे हैं.
कुदरत ने बर्बादी की ऐसी गिरहें खोली हैं कि मोतिहारी में खुशियों की गठरियां डूब गई हैं. लहरों ने पहले मकान की देहरी लांघी और फिर कटान ने नींव को इक कदर धकेला कि मकान मिट्टी हो गया. बिहार के कुछ इलाकों में बाढ़ से हाल ये हो गया है कि सरकारी अफसरों को भी हालात का जायजा लेने तक में दिक्कत हो रही है.
कुछ जगह स्कूल से लेकर दूसरी इमारतें पानी में डूबी हैं तो कुछ इलाकों में ट्रेनों की आवा
जाही ठप है. बगहा में एसडीएम भैंसा गाड़ी में बाढ़ प्रभावित इलाकों का मुआयना करने पहुंचे. बाढ़ की विभिषिका ने फिर बिहार को बेहाल करना शुरू कर दिया है. प्रदेश के चार जिले बाढ़ का प्रकोप झेल रहे हैं.
दिनों दिन नदियों की हाहाकारी धार गांवों को अपनी चपेट में लेती जा रही है और लोग कुदरत के इस दंश को झेलने को मजबूर हैं. खेत पानी में डूब गए हैं और लोगों का काम धंधा चौपट हो गया है. ऐसा लगता है कि मानो बाढ़ से ये बेहाली हर साल ही बिहार के लोगों की नियति बन गई है.
बाढ़ की मुसीबत इस बार और भी बड़ी इसलिए है, क्योंकि जून के आखिर से ही गांव में बर्बादी की तस्वीरें सामने आने लगी थी और जुलाई होने तक बर्बादी और ज्यादा बढ़ गई है. समस्तीपुर में बाढ़ के पानी ने रेलों की रफ्तार भी थाम दी है. सगौली नरकटियागंज रेलखंड पर बाढ़ की वजह से ट्रेनों की आवाजाही पर ब्रेक लग गया है.
चार पैसेंजर ट्रेन को रद्द किया गया. मेल एक्सप्रेस ट्रेनों को भी वाया मुजफ्फरपुर-हाजीपुर-छपरा होकर चलाया जा रहा है. सुपौल में भी कोसी नदी में इतना उफान आया है कि दर्जनों गांव तबाही के कगार पर पहुंच गए हैं. नेपाल के कोसी बराज से पानी छोड़े जाने के साथ ही सुपौल में पल पल खतरा बढ़ रहा है.
कोसी तटबन्ध के अंदर लोगों के घरों में पानी घुस गया है. दर्जनों सड़के पानी की तेज धार में बह चुकी है. जो सड़कें बची है उनके ऊपर से पानी बह रहा है. ऐसे में सवाल उठता है कि ऐसा क्यूं है कि बिहार की जनता हर साल बाढ़ के दंश के झेलने को मजबूर है, क्य़ों हर साल बाढ़ के बचाव के वादे बह जाते हैं.
(रिपोर्ट- आजतक ब्यूरो)