
आखिरकार बिहार सरकार ने नई खनन नीति को वापस ले लिया. सरकार अब पुरानी नीति पर ही बालू खनन करेगी. बुधवार देर शाम बिहार के मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह ने इसकी घोषणा करते हुए कहा कि बिहार सरकार ने 2013 में खनन नीति बनाई थी, उसी के आधार पर अब बालू का खनन होगा।
नई खनन नीति 2017 में बनाई गई थी जिसका शुरू से ही विरोध हो रहा था. ट्रांसपोर्टरों और मजदूरों के साथ-साथ राजनैतिक दलों ने भी इसका जमकर विरोध किया था. मामला पटना हाईकोर्ट पहुंचा, जहां कोर्ट ने नई नीति पर स्टे लगा दिया. इसके बाद सरकार ने निर्णय लिया है कि पुराने नियम के अनुसार ही बालू का खनन होगा.
मुख्य सचिव ने कहा कि अवैध खनन और बालू के अवैध स्टोरेज पर प्रतिबंध रहेगा और अब 100 हेक्टेयर से ज्यादा खनन का पट्टा नहीं दिया जाएगा. साथ ही जिसे पहले से ही 100 हेक्टेयर से ज्यादा का टेन्डर मिला है उन पर कोई रोक नहीं होगी.
आरजेडी ने इसी खनन नीति के खिलाफ गुरूवार को बिहार बंद का ऐलान किया था. लेकिन सरकार के इस नीति के वापस लेने की वजह से बंद का शायद ही असर हो. पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने भी कहा था कि अगर सरकार नई नीति को वापस ले लेती है तो फिर वो बिहार बंद का फैसला वापस ले लेंगे.
गौरतलब है कि पटना हाईकोर्ट ने बिहार सरकार के बालू, गिट्टी और मिट्टी के खनन, बिक्री और परिवहन के लिए बनाए गए नई नियमों पर फिलहाल रोक लगा दी थी. कोर्ट ने पुराने नियमों के तहत काम करने का आदेश दिया था. इस आदेश के खिलाफ बिहार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी. बिहार में अवैध बालू खनन पर लगाम लगाने के लिए सरकार ने इस साल नए नियम बनाएं. इसे 10 अक्टूबर 2017 को बिहार गजट में प्रकाशित किया गया था. 14 नवंबर को बालू-गिट्टी का रेट जारी किया गया. लेकिन यह नया नियम खनन कंपनियों और ट्रांसपोर्टरों को पसंद नहीं आया. उसी के समर्थन में आरजेडी ने बिहार बंद का ऐलान किया है.