
जीएसटी काउंसिल डेढ़ करोड़ तक टर्न ओवर वाले सभी करदाताओं को त्रैमासिक विवरण दाखिल करने की सुविधा देने की कोशिश में है. अभी कंपोजिट स्कीम में शामिल करदाताओं को एक करोड़ तक के टर्न ओवर पर त्रैमासिक रिटर्न दाखिल करने की सहूलियत दी गई है. बिहार चैम्बर ऑफ कॉमर्स में जीएसटी पर आयोजित परिचर्चा को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित करते हुए उपमुख्यमंत्री एवं सह वित्तमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि जीएसटी दुनिया का सबसे बड़ा आईटी आधारित नेटवर्क है. प्रारंभिक परेशानियों को दूर करने की कोशिश की जा रही है.
सुशील कुमार मोदी ने कहा कि यह भ्रम है कि अनेक वस्तुओं पर जीएसटी के अन्तर्गत कर बढ़कर 18 और 28 प्रतिशत हो गया है. दरअसल, यह भ्रम उत्पाद कर के कारण हो रहा है, जो पहले की वैट व्यवस्था के अन्तर्गत दर्शाया नहीं जाता था. इस भ्रम को दूर करने की जरूरत है. एचएसएन कोड को लेकर व्यापारियों की परेशानी पर उपमुख्यमंत्री ने कहा कि डेढ़ करोड़ टर्न ओवर वालों को एचएसएन कोड देने की जरूरत नहीं है.
मोदी ने कहा कि जीएसटी नेटवर्क का संचालन इंफोसिस जैसी बड़ी कंपनी कर रही है. नई प्रणाली के अन्तर्गत अब तक 44 करोड़ इनवायस अपलोड हुआ है, जबकि इसकी क्षमता 300 करोड़ की है. एक घंटे में एक लाख और एक दिन में 13 लाख तक रिटर्न अपलोड हुआ है. यह पूरी व्यवस्था आईटी पर आधारित और मानवीय हस्तक्षेप से मुक्त है.
जीएसटी की आवश्यकता पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि केन्द्र, राज्य और केन्द्र शासित प्रदेश समेत 37 प्रदेशों की वैट के अन्तर्गत अलग-अलग पोर्टल और डिवाइस थे. केन्द्र और राज्य सरकारों की कर लगाने की अलग-अलग व्यवस्था थी. बिहार में एंट्री टैक्स तो पंजाब-हरियाणा में परचेज टैक्स और महाराष्ट्र में चुंगी कर लगाये जाते थे. राज्य बिक्री कर तो केन्द्र उत्पाद, सेवा और केन्द्रीय बिक्री कर आदि लगाती थी. जीएसटी के अन्तर्गत 16 करों को मर्ज कर एक कर दिया गया है. दरअसल, आर्थिक सुधार की यह युगांतकारी पहल है.