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बिहार: नीतीश कुमार पर लालू का तीखा तंज, बोले- उनका नाम मैंने पलटू राम रखा है

राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने एक बार फिर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर तीख तंज किया है. उन्होंने कहा कि नीतीश के साथ किसी समझौते की संभावना नहीं है. वे विश्वास के योग्य नहीं हैं तो उनका नाम मैंने पलटू राम रख दिया है.

RJD Supremo Lalu Prasad Yadav RJD Supremo Lalu Prasad Yadav
सुजीत झा
  • पटना,
  • 29 अक्टूबर 2021,
  • अपडेटेड 8:37 PM IST
  • बिहार उपचुनाव के लिए प्रचार करेंगे लालू
  • नीतीश कुमार पर लालू यादव ने किया तंज

राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव तकरीबन 3 साल के अंतराल के बाद रविवार शाम को पटना लौटे. अब वे आगामी उपचुनाव के लिए प्रचार करेंगे. पटना पहुंचे लालू ने कहा अब बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से कोई समझौता नहीं करेंगे. अब नीतीश कुमार पर किसी का विश्वास नहीं रहा इसलिए मैंने उनका नाम पलटू राम रख दिया है. लालू प्रसाद ने कहा कि नीतीश कुमार ने 15 सालों के राज में कुछ नहीं किया है.

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लालू प्रसाद ने पटना आने के बाद पहली बार बात करते हुए कहा कि मैंने 2 चुनाव में हिस्सा नहीं लिया मुझे रोका गया. इसलिए पटना आने के बाद मैं जनता के बीच गया. जनता ने मुझे अच्छा रिस्पांस दिया. लालू ने कहा कि मेरी अनुपस्थिति में बेटे तेजस्वी ने अच्छा संभाला और सरकार बनाने की स्थिति में भी था लेकिन उन्होंने बेईमानी करके सरकार बना ली.

लालू यादव ने कहा कि कांग्रेस से हमारा नेशनल स्तर पर गठबंधन है. उपचुनाव में हम मजबूत हैं इसलिए हमने चुनाव जीतने के लिये लड़ा है.  उपचुनाव की सीट हम जीतेंगे और सरकार कैसे बनेगी हम आगे देखेंगे.  उन्होंने बिहार कांग्रेस प्रभारी भक्त चरण दास को 'भकचोन्हर' कहने की बात पर कहा कि- भकचोन्हर कोई गाली नहीं है, इसका मतलब नासमझ, बेवकूफ होता है. उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार ने 15 सालों में कुछ नहीं किया. अब कितनी हत्या बलात्कार हो रहे हैं. हमने गरीबों की आवाज दी. लालू ने अपने विसर्जन वाले बयान पर कहा कि  इसका मतलब 'अब खत्म' लेकिन समझा गया 'मरवा देना'.

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बता दें कि लालू 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव के बाद पहली बार किसी चुनाव में प्रचार करने के लिए निकल रहे हैं. लालू 2019 के लोकसभा चुनाव और 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान चारा घोटाले के मामले में दोषी करार दिए जाने के बाद से जेल में बंद थे. जिसकी वजह से वह चुनावी गतिविधि में शामिल नहीं हो पाए थे.

 

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