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जेल में लालू, इधर बिहार में बड़े सियासी हलचल के संकेत

पिछले साल पीएम नरेंद्र मोदी ने नीतीश कुमार को महागठबंधन से अलग कर अपने साथ मिलाकर लालू यादव को बड़ी राजनीतिक मात दी थी. ऐसे में आरजेडी भी मोदी से हिसाब बराबर करने की तैयारी में है. आरजेडी ने उनके दो सहयोगी दलों को अपने साथ मिलाने के संकेत दिए हैं.

लालू यादव और उपेंद्र कुशवाहा लालू यादव और उपेंद्र कुशवाहा
कुबूल अहमद
  • नई दिल्ली,
  • 30 जनवरी 2018,
  • अपडेटेड 1:34 PM IST

बिहार की सियासत के बेताज बादशाह कहे जाने वाले आरजेडी प्रमुख लालू यादव इन दिनों जेल में हैं. इसके बावजूद वो राजनीति में उलटफेर करने में लगे हैं. पिछले साल पीएम नरेंद्र मोदी ने नीतीश कुमार को महागठबंधन से अलग कर अपने साथ मिलाकर लालू यादव को बड़ी राजनीतिक मात दी थी. ऐसे में आरजेडी भी मोदी से हिसाब बराबर करने की तैयारी में है. आरजेडी ने उनके दो सहयोगी दलों को अपने साथ मिलाने के संकेत दिए हैं.

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आरजेडी नेता ने दिए संकेत

राजद के वरिष्ठ नेता रघुवंश प्रसाद सिंह ने दावा किया है मोदी सरकार में केंद्रीय राज्यमंत्री और राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी लालू प्रसाद की पार्टी के साथ हाथ मिलाने की योजना बना रहे हैं. रघुवंश ने दावा किया कि सारी प्रक्रियाएं अंदरूनी तौर पर चल रही हैं. उन्होंने कहा, 'एक दिन जदयू और बीजेपी का भंडाफोड़ होगा और सभी गैर भाजपाई दल मिलकर इनको पछाड़ेंगे और इन्हें 2018 के अंत तक सत्ता से बेदखल कर देंगे.

बीजेपी से कुशवाहा की दोस्ती

बता दें कि 2014 में बीजेपी ने बिहार के छोटे-छोटे दलों को अपने साथ लेकर सियासी रण को फतह किया था. इनमें उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (RLSP) और रामविलास पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी भी शामिल थी. बीजेपी के साथ गठबंधन का नतीजा यह रहा कि RLSP पार्टी लोकसभा की 3 सीटें जीतने में सफल रही और जब मोदी सरकार बनी तो उपेंद्र कुशवाहा को मंत्री पद से नवाजा गया.

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दुश्मन का दुश्मन दोस्त

बिहार की सियासत फिर करवट लेती हुई नजर आ रही है. नीतीश लालू का साथ छोड़कर दोबारा एनडीए में शामिल होकर सरकार चला रहे हैं. नीतीश और बीजेपी के बीच गहरी होती दोस्ती 2014 में मोदी के साथी बने उपेंद्र कुशवाहा को रास नहीं आ रही है. 'दुश्मन का दुश्मन दोस्त होता है' की कहावत को चरितार्थ करने की कवायद इस समय बिहार में हो रही है.

पूर्व विधानसभा अध्यक्ष ने भी किया दावा

जेडीयू के बागी नेता और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी ने आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद से जेल में मुलाकात की है. चौधरी ने कहा कि राजग में बीजेपी के सभी सहयोगी दल असहज महसूस कर रहे हैं. राजग में बिखराव की स्थिति है. उपेंद्र कुशवाहा अलग होना चाहते हैं. जीतन राम मांझी हमारी पार्टी के नेताओं के संपर्क में हैं.

कुशवाहा-मांझी ने किया इनकार

आरजेडी नेता के इस बयान ने बिहार की सियासत में हलचल पैदा कर दी है. हालांकि कुशवाहा और मांझी सहित राजग के नेताओं ने यह कहते हुए खारिज कर दिया कि रघुवंश का 'अपनी पार्टी में कोई अधिकार नहीं है और आवश्यकता से अधिक बोलने की उन्हें आदत है.

लालू-कुशवाहा के बीच नजदीकियां

नीतीश कुमार के एनडीए में दोबारा वापसी के बाद से कुशवाहा असहज नजर आ रहे हैं. पिछले काफी समय से कुशवाहा और लालू यादव के बीच नजदीकियां देखने को मिली है. पिछले साल 16 अक्टूबर को लालू यादव और आरएलएसपी के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा के बीच पहली मुलाकात हुई थी. इसके बाद हाल ही में लालू के जेल जाने के बाद कुशवाहा ने उनके परिवार से मुलाकात की थी.

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आरजेडी का जातीय फॉर्मूला

आरजेडी 2019 के चुनाव में यादव, मुस्लिम और दलित मतों के साथ-साथ ओबीसी मतों को भी अपने पाले में लाने की कवायद कर रही है. इसके लिए उपेंद्र कुशवाहा उनके वास्ते तुरुप का पत्ता साबित हो सकते हैं.  कुशवाहा कोइरी समाज से आते हैं, बिहार में इस समुदाय का करीब 3 फीसदी वोट है, जो लालू के लिए बेहद काम का है. भले ही वो जेल में हैं लेकिन उनके बेटे तेजस्वी इन दिनों बिहार के दौरे पर हैं. उनकी रैलियों में जबर्दस्त भीड़ भी जुट रही है.

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